होम > Blog

Blog / 10 Nov 2025

सूडान संकट

संदर्भ:

हाल ही में अंतरराष्ट्रीय रेड क्रॉस समिति (ICRC) की प्रमुख मिरजाना स्पोलजारिक ने सूडान के दारफुर क्षेत्र में स्थित अल-फाशर शहर पर रैपिड सपोर्ट फोर्सेज़ (RSF) के कब्ज़े के बाद बड़े पैमाने पर सामूहिक हत्याओं  और मानवाधिकार उल्लंघनों की खबरें सामने के बाद चिंता व्यक्त की है।

पृष्ठभूमि:

    • 2000 के दशक की शुरुआत में दारफुर संघर्ष (Darfur Conflict) के दौरान, सूडान की सरकार और उससे संबद्ध जनजावीद (Janjaweed) नामक अरब मिलिशिया समूह पर आरोप लगे थे कि उन्होंने गैर-अरब समुदायों के विरुद्ध जातीय आधार पर व्यापक नरसंहार, बलात्कार, और गाँवों के विनाश जैसी भयावह अत्याचारपूर्ण घटनाएँ कीं।
    • वर्तमान में, 2023 से चल रहा गृहयुद्ध, जो सूडानी सशस्त्र बल (SAF) और रैपिड सपोर्ट फोर्सेज़ (RSF) के बीच सत्ता-संघर्ष के रूप में प्रारंभ हुआ था, अब उसी प्रकार की जातीय हिंसा और मानवीय अत्याचारों को पुनः दारफुर क्षेत्र में दोहरा रहा है जिससे यह प्रतीत होता है कि इतिहास एक बार फिर स्वयं को दोहरा रहा है।

सूडान संकट:

सूडान का यह संघर्ष दो सैन्य गुटों के बीच चल रहा है

      • सूडानी सशस्त्र बल (SAF), जिसके नेता हैं जनरल अब्देल फतह अल-बुरहान
      • रैपिड सपोर्ट फोर्सेज़ (RSF), जिसके नेता हैं जनरल मोहम्मद हमदान दागालो (हेमदती)
      • यह संघर्ष अप्रैल 2023 में उस समय शुरू हुआ, जब सूडान की संक्रमणकालीन सरकार के पतन के बाद दोनों जनरलों में सत्ता-साझेदारी को लेकर टकराव हुआ। अब यह युद्ध दुनिया के सबसे बड़े मानवीय और विस्थापन संकटों में से एक बन चुका है ।

भारत के रणनीतिक हित:

कृषि क्षेत्र में सहयोग:

सूडान की कृषि भूमि भारत के लिए अवसर है। भारतीय कंपनियाँ वहाँ ट्रैक्टर, हाइब्रिड बीज, और कृषि उपकरण निर्यात करती हैं।

ऊर्जा सुरक्षा :

भारत की कंपनी ONGC विदेश का सूडान में निवेश है जो भारत की ऊर्जा सुरक्षा और अफ्रीका में उपस्थिति को मजबूत करता है।

भूराजनीतिक महत्त्व :

सूडान, रेड सी (लाल सागर) के पास स्थित है, जो भारत के समुद्री मार्गों और व्यापार सुरक्षा के लिए रणनीतिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण है।

एक स्थिर सूडान, हॉर्न ऑफ अफ्रीका क्षेत्र (Horn of Africa) में शांति और स्थायित्व के लिए आवश्यक है जहाँ अस्थिरता भारत के हितों को प्रभावित कर सकती है। साथ ही, अफ्रीका में भारत की विश्वसनीय साझेदार छवि को भी मज़बूती मिलती है।

निष्कर्ष:

ICRC प्रमुख की चिंता यह दर्शाती है कि मानवता ने पिछली त्रासदी से कुछ नहीं सीखा। एक बार फिर, जातीयता, भोजन और सहायता को संघर्ष के हथियार की तरह प्रयोग किया जा रहा है। सूडान जनसंहार और अकाल के कगार पर है, इसलिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय   को आगे आकर दण्डमुक्ति के चक्र को तोड़ना होगा और मानवता की रक्षा के लिए ठोस कदम उठाने होंगे।