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Blog / 25 Jan 2025

MGNREGA वेतन भुगतान प्रणाली पर अध्ययन

संदर्भ:

हाल ही में भारतीय श्रम अर्थशास्त्र जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन ने MGNREGA मजदूरी भुगतान के लिए आधार-आधारित भुगतान प्रणाली (ABPS) की प्रभावशीलता का विश्लेषण किया।

·        अध्ययन ने 10 राज्यों में 2021-22 की अवधि के दौरान 4,602 करोड़ रुपये मूल्य के 3.14 करोड़ लेन-देन पर ध्यान केंद्रित किया।

·        जनवरी 2024 से MGNREGA मजदूरी भुगतान के लिए ABPS अनिवार्य हो गया

मुख्य निष्कर्ष:

भुगतान गति में न्यूनतम अंतर:  MGNREGA के तहत, ABPS (आधार-आधारित भुगतान प्रणाली) ने मजदूरी भुगतान को 7 दिनों के भीतर 39% तक संसाधित किया, जबकि पारंपरिक खाता-आधारित प्रणाली के माध्यम से यह आंकड़ा 36% रहा।

भुगतान अस्वीकृति दर: ABPS भुगतानों में से 2.1% अस्वीकार कर दिए गए, जबकि खाता-आधारित भुगतानों में 2.85% अस्वीकृति का सामना करना पड़ा।

·        ये अंतर सांख्यिकीय रूप से महत्वपूर्ण नहीं थे, जो दक्षता में कोई प्रमुख सुधार नहीं होने का संकेत देते हैं।

आधार-आधारित प्रणाली की जटिलताएं: ABPS के लिए श्रमिकों के आधार नंबरों को उनके जॉब कार्ड और बैंक खातों दोनों से जोड़ा जाना आवश्यक है, जिसमें भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) के माध्यम से सही मैपिंग हो।

o    यह जटिल प्रक्रिया बेमेल या गलत निर्देशित भुगतान जैसी समस्याओं का कारण बन सकती है।

o    ABPS की केंद्रीकृत प्रकृति श्रमिकों के लिए इन मुद्दों को स्थानीय स्तर पर हल करना कठिन बना देती है।

MGNREGA क्या है?

·        2005 में पारित महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम (MGNREGA), भारत में ग्रामीण नागरिकों को "कार्य करने का अधिकार" की गारंटी देता है।

·        यह सुनिश्चित करता है कि ग्रामीण परिवार सार्वजनिक कार्य-संबंधित अकुशल श्रम के माध्यम से रोजगार तक पहुंच सकते हैं, जिसका ध्यान ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक परिस्थितियों में सुधार लाने पर केंद्रित है।

MGNREGA के प्रमुख प्रावधान:

1.   पात्रता मानदंड:

o    भारत का नागरिक होना चाहिए।

o    कम से कम 18 वर्ष की आयु।

o    ग्रामीण परिवार से संबंधित होना चाहिए।

o    अकुशल श्रम करने के लिए तैयार होना चाहिए।

2.   गारंटीकृत रोजगार: MGNREGA सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम मजदूरी पर सभी पात्र ग्रामीण नागरिकों को 100 दिनों के अकुशल रोजगार की गारंटी देता है।

3.   बेरोजगारी भत्ता:

o    यदि आवेदन के 15 दिनों के भीतर काम प्रदान नहीं किया जाता है, तो बेरोजगारी भत्ता प्रदान किया जाता है।

o    भत्ता पहले 30 दिनों के लिए न्यूनतम मजदूरी का 1/4 है और उसके बाद की अवधि के लिए 1/2 है।

4.   सामाजिक अंकेक्षण:  महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम की धारा 17 में कार्यक्रम के तहत किए गए सभी कार्यों का सामाजिक अंकेक्षण अनिवार्य है, जिससे पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा मिलता है।

5.   स्थानीय रोजगार को वरीयता: आवेदक के गांव के 5 किमी के दायरे में काम प्रदान किया जाता है और यदि काम अधिक दूर है तो यात्रा भत्ता दिया जाता है।

6.   विकेंद्रीकृत योजना: पंचायती राज संस्थान (PRI) योजना बनाने, क्रियान्वित करने और कार्यों की निगरानी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, ग्राम सभाओं को कार्य सुझाने और कम से कम आधे कार्यों को पूरा करने की अनुमति है।