सन्दर्भ:
केरल इन दिनों आवारा कुत्तों के हमलों की वजह से एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट का सामना कर रहा है। केवल 2024 में ही राज्य में 3.17 लाख से अधिक लोगों को कुत्तों के काटने के मामले आये। रेबीज से होने वाली मौतों की संख्या में भी वृद्धि हुई है, जिससे लोगों में गुस्सा और नीतिगत बहस तेज हो गई है। इसके जवाब में राज्य सरकार ने स्थानीय निकायों को 2023 के पशु क्रूरता निवारण (पशुपालन व्यवहार और प्रक्रियाएं) नियमों के तहत बीमार और असाध्य रोग से ग्रस्त आवारा कुत्तों को इच्छामृत्यु (euthanasia) देने की अनुमति दी है।
आवारा कुत्ते से समस्या-
भारत में आवारा कुत्ते लंबे समय से इंसानों के साथ रहते आए हैं, लेकिन हाल के वर्षों में उनकी संख्या और हमलों में तेज़ी आई है। इसके पीछे कई कारण हैं:
- नसबंदी और टीकाकरण अभियानों का कमजोर क्रियान्वयन।
- भूख, बीमारी या डर के कारण आक्रामक व्यवहार।
- पालतू कुत्तों को सड़कों पर छोड़ देना।
- खाने की जगहों का तय न होना, जिससे कुत्तों में झगड़े बढ़ते हैं।
- दुर्व्यवहार, उपेक्षा और जबरन स्थान परिवर्तन।
- बिना निगरानी के सामुदायिक भोजन कराना।
2023 के नियम क्या कहते हैं?
पशु क्रूरता निवारण (पशुपालन व्यवहार और प्रक्रियाएं) नियम, 2023 का उद्देश्य Animal Birth Control (ABC) नियमों को और बेहतर बनाना है। इनके प्रमुख प्रावधान हैं:
- नसबंदी और रेबीज टीकाकरण की मानकीकृत प्रक्रिया।
- राज्य, जिला और नगर स्तर पर निगरानी समितियों का गठन।
- नसबंदी के लिए AWBI द्वारा मान्यता प्राप्त संस्थाओं की भागीदारी।
- कम जनसंख्या वाले क्षेत्रों में भोजन स्थलों का निर्धारण।
- पशु सहायता केंद्रों की स्थापना।
- स्थानीय निकायों को जिम्मेदार बनाना।
इच्छामृत्यु (euthanasia) की अनुमति केवल उन्हीं मामलों में है जब:
- जानवर लाइलाज रूप से बीमार हो या गंभीर रूप से घायल हो।
- प्रमाणित पशु चिकित्सक द्वारा यह प्रमाणित हो कि जीवित रखना अमानवीय होगा।
- यह प्रक्रिया प्रशिक्षित पशु चिकित्सक द्वारा निगरानी में की जाए।
केरल की हालिया पहलें:
ABC नियमों में इच्छामृत्यु की अनुमति नहीं होने के कारण, केरल सरकार ने 2023 नियमों का सहारा लिया है:
- अब स्थानीय निकाय गंभीर रूप से बीमार आवारा कुत्तों को शांतिपूर्वक मृत्यु देने में सक्षम हैं।
- 152 ब्लॉक पंचायतों में मोबाइल नसबंदी यूनिट्स लगाई जा रही हैं।
- अगस्त में आवारा कुत्तों के लिए टीकाकरण अभियान, और सितंबर में पालतू कुत्तों का लाइसेंसिंग और टीकाकरण होगा।
- राज्य ने केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि ABC नियमों में संशोधन कर विशेष परिस्थितियों में इच्छामृत्यु की अनुमति दी जाए।
स्थायी ABC केंद्रों का विरोध होने के कारण सरकार ने मोबाइल यूनिट्स पर जोर दिया है। साथ ही, अधिकारियों को रोकने पर कानूनी चेतावनी भी जारी की गई है।
निष्कर्ष:
केरल द्वारा बीमार कुत्तों के लिए मानवीय इच्छामृत्यु की अनुमति देना सार्वजनिक स्वास्थ्य, पशु कल्याण और कानूनी दायित्वों के बीच संतुलन बनाने का प्रयास है। कुत्तों के काटने की बढ़ती घटनाओं और रेबीज से हो रही मौतों को देखते हुए, सरकार की यह प्रतिक्रिया आवश्यक है। लेकिन इसके साथ ही व्यवस्थित, मानवीय और दीर्घकालिक रणनीतियाँ भी जरूरी हैं। साफ़ कानून, सामुदायिक भागीदारी और मजबूत ABC कार्यक्रम ही इस समस्या का स्थायी समाधान हो सकते हैं।