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Blog / 25 Sep 2025

एसएसटी-भारत

संदर्भ:

हाल ही में गांधीनगर स्थित प्लाज्मा अनुसंधान संस्थान (आईपीआर) के शोधकर्ताओं ने भारत की फ्यूजन ऊर्जा योजनाओं के लिए एक रोडमैप प्रस्तावित किया है, जिसका उद्देश्य स्टेडी-स्टेट सुपरकंडक्टिंग टोकामक-भारत (एसएसटी-भारत) नामक एक संलयन बिजली जनरेटर विकसित करना है।

एसएसटी-भारत की मुख्य विशेषताएँ:

         फ्यूजन-फिशन हाइब्रिड रिएक्टर: यह रिएक्टर फ्यूजन और फिशन दोनों के लाभों को मिलाकर काम करेगा। इसमें कुल 130 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा, जिसमें 30 मेगावाट फ्यूजन और 100 मेगावाट फिशन से आएगा।

         अतिचालक चुम्बक: उच्च तापमान प्राप्त करने और फ्यूजन प्रतिक्रिया को स्थिर बनाए रखने के लिए उन्नत प्लाज्मा नियंत्रण और अतिचालक चुम्बक का उपयोग किया जाएगा।

         डिजिटल ट्विन्स: टोकामक रिएक्टर के वर्चुअल प्रतिरूप तैयार किए जाएंगे, जिससे नए डिज़ाइन का परीक्षण और संभावित समस्याओं का समाधान किया जा सके, और फ्यूजन रिएक्टर का विकास अधिक प्रभावी हो।

         दीर्घकालिक लक्ष्य: रोडमैप का लक्ष्य 2060 तक पूर्ण आकार का डेमोंस्ट्रेशन फ्यूजन रिएक्टर विकसित करना है, जिसकी आउटपुट-इनपुट पावर अनुपात (Q वैल्यू) 20 और पावर आउटपुट 250 मेगावाट हो।

Nuclear fission and fusion

फ्यूजन क्यों फिशन से बेहतर है?

  • परमाणु ऊर्जा उत्पादन के लिए लंबे समय तक फिशन प्रक्रिया का उपयोग किया जाता रहा है। फिशन में बड़े परमाणु नाभिक को छोटे हिस्सों में तोड़ा जाता है, जिससे ऊर्जा उत्पन्न होती है लेकिन फिशन से रेडियोधर्मी अपशिष्ट बनता है, जो लंबे समय तक खतरनाक रहता है और इसे सुरक्षित रूप से संग्रहित करना मुश्किल होता है।
  • इसके विपरीत, फ्यूजन में छोटे परमाणु नाभिक आपस में मिलकर एक बड़ा नाभिक बनाते हैं, जिससे और भी अधिक ऊर्जा निकलती है। फ्यूजन का सबसे बड़ा लाभ यह है कि इससे बहुत कम रेडियोधर्मी अपशिष्ट उत्पन्न होता है, जिससे यह अधिक सुरक्षित और प्रबंधनीय होता है।

परमाणु फिशन
फिशन वह प्रक्रिया है जिसमें भारी परमाणु नाभिक (जैसे यूरेनियम) पर न्यूट्रॉनों की टक्कर होती है और यह दो या अधिक छोटे नाभिकों में विभाजित हो जाता है।

         ऊर्जा रिलीज़: छोटे नाभिक मूल नाभिक से हल्के होते हैं, और इस खोई हुई द्रव्यमान की ऊर्जा बहुत अधिक निकलती है (आइंस्टीन के समीकरण E=mc² के अनुसार)।

         उत्पाद: यह अतिरिक्त न्यूट्रॉन भी छोड़ता है, जो और अधिक फिशन प्रतिक्रियाएँ उत्पन्न कर सकते हैं।

         उपयोग: आज के परमाणु पावर प्लांट्स में बिजली बनाने के लिए फिशन तकनीक का उपयोग किया जाता है।

         चुनौतियाँ: यह रेडियोधर्मी अपशिष्ट बनाता है, जो लंबे समय तक खतरनाक रहता है और इसे सुरक्षित ढंग से निपटाना पड़ता है।

परमाणु फ्यूजन:

फ्यूजन तब होता है जब दो हल्के परमाणु नाभिक (जैसे हाइड्रोजन के समस्थानिक) टकराकर मिलकर एक भारी नाभिक बनाते हैं।

         ऊर्जा रिलीज़: फिशन की तरह, फ्यूजन भी थोड़ी मात्रा में द्रव्यमान को बड़ी ऊर्जा में बदल देता है।

         उत्पाद: फ्यूजन मुख्य रूप से हीलियम पैदा करता है, जो एक निष्क्रिय और गैर-रेडियोधर्मी गैस है।

         उपयोग: फ्यूजन सूर्य और सितारों में प्राकृतिक रूप से ऊर्जा पैदा करता है।

         चुनौतियाँ: फ्यूजन के लिए अत्यधिक उच्च तापमान और दबाव की आवश्यकता होती हैऐसे हालात जैसे तारे के भीतर होते हैं। वैज्ञानिक अभी भी पृथ्वी पर फ्यूजन प्रतिक्रियाओं को नियंत्रित करने पर काम कर रहे हैं।

निष्कर्ष:

हालांकि व्यावसायिक फ्यूजन अभी भी पूरी तरह निश्चित नहीं है, भारत का रोडमैप दीर्घकालिक ऊर्जा क्षमता के लिए मजबूत नींव रखता है। यह वैश्विक प्रयासों के साथ सामंजस्य रखता है और भारतीय ऊर्जा के भविष्य के लिए सतर्क आशावाद और रणनीतिक दृष्टिकोण को दर्शाता है।