सन्दर्भ:
हाल ही में हेल्थ इफेक्ट्स इंस्टीट्यूट (HEI) द्वारा इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन (IHME) के सहयोग से जारी स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर 2025 (SoGA 2025) रिपोर्ट में यह खुलासा किया गया है कि वर्ष 2023 में वायु प्रदूषण के कारण वैश्विक स्तर पर 7.9 मिलियन (79 लाख) मौतें हुईं।
मुख्य निष्कर्ष:
वायु प्रदूषण विश्वभर में मृत्यु का प्रमुख पर्यावरणीय जोखिम कारक बना हुआ है, जिसने वर्ष 2023 में लगभग 7.9 मिलियन मौतों में योगदान दिया।
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- इन मौतों में से लगभग 6.8 मिलियन (≈86%) गैर-संचारी रोगों (NCDs) जैसे हृदय रोग, फेफड़ों का कैंसर, क्रॉनिक श्वसन रोग, मधुमेह और डिमेंशिया के कारण हुईं।
- दुनिया की लगभग 36% जनसंख्या वार्षिक औसत PM₂.₅ स्तर 35 माइक्रोग्राम/घनमीटर (µg/m³) से अधिक प्रदूषण के संपर्क में है (जो WHO का न्यूनतम अंतरिम लक्ष्य है)।
- लगभग 2.6 अरब लोग (मानवता का लगभग एक-तिहाई हिस्सा) घरों में खाना पकाने या हीटिंग के लिए ठोस ईंधन (solid fuels) के उपयोग से होने वाले प्रदूषण के संपर्क में हैं।
- इन मौतों में से लगभग 6.8 मिलियन (≈86%) गैर-संचारी रोगों (NCDs) जैसे हृदय रोग, फेफड़ों का कैंसर, क्रॉनिक श्वसन रोग, मधुमेह और डिमेंशिया के कारण हुईं।
भारत-विशिष्ट निष्कर्ष:
भारत में वर्ष 2023 में वायु प्रदूषण के संपर्क से जुड़ी लगभग 20 लाख मौतें दर्ज की गईं।
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- यह वर्ष 2000 की तुलना में लगभग 43% की वृद्धि को दर्शाता है (जब लगभग 14 लाख मौतें हुई थीं)।
- भारत में वायु प्रदूषण से मृत्यु दर प्रति एक लाख जनसंख्या पर लगभग 186 मौतें है, जबकि उच्च-आय वाले देशों में यह दर लगभग 17 प्रति एक लाख है।
- भारत में वायु प्रदूषण से जुड़ी लगभग 89%–90% मौतें गैर-संचारी रोगों (हृदय रोग, फेफड़ों का कैंसर, सीओपीडी, मधुमेह आदि) के कारण होती हैं।
- क्षेत्रीय स्तर पर: भारत की लगभग 75% जनसंख्या ऐसे क्षेत्रों में रहती है जहाँ वार्षिक PM₂.₅ स्तर WHO के 35 µg/m³ के अंतरिम लक्ष्य से अधिक है।
- भौगोलिक हॉटस्पॉट: उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, बिहार और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में प्रत्येक में एक लाख से अधिक मौतें 2023 में वायु प्रदूषण से दर्ज की गईं।
- यह वर्ष 2000 की तुलना में लगभग 43% की वृद्धि को दर्शाता है (जब लगभग 14 लाख मौतें हुई थीं)।
नीति संबंधी निहितार्थ:
रिपोर्ट के निष्कर्ष तत्काल और एकीकृत कार्रवाई की मांग करते हैं —
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- वायु गुणवत्ता नीति को सार्वजनिक स्वास्थ्य नीति के साथ जोड़ा जाना चाहिए, क्योंकि वायु प्रदूषण अब NCDs का एक प्रमुख जोखिम कारक बन चुका है।
- राज्य-विशिष्ट और स्थानीय स्तर पर अनुकूलित कार्य योजनाएँ आवश्यक हैं, क्योंकि विभिन्न क्षेत्रों में प्रदूषण के स्रोत और स्तर भिन्न हैं।
- निगरानी और स्वास्थ्य-सर्वेक्षण प्रणालियों को सशक्त करना अत्यंत आवश्यक है, ताकि प्रगति का मूल्यांकन और लक्षित हस्तक्षेप संभव हो सके।
- प्रमुख स्रोत जैसे परिवहन उत्सर्जन, औद्योगिक उत्पादन, फसल अवशेष जलाना, शहरी धूल और ऊर्जा संक्रमण को नियंत्रित करना प्रभावी निवारण के लिए अनिवार्य है।
- वायु गुणवत्ता नीति को सार्वजनिक स्वास्थ्य नीति के साथ जोड़ा जाना चाहिए, क्योंकि वायु प्रदूषण अब NCDs का एक प्रमुख जोखिम कारक बन चुका है।
निष्कर्ष:
स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर 2025 रिपोर्ट वायु प्रदूषण के वैश्विक स्वास्थ्य पर विनाशकारी प्रभाव की एक गंभीर तस्वीर प्रस्तुत करती है। रिपोर्ट के निष्कर्ष इस बात पर ज़ोर देते हैं कि वायु गुणवत्ता मानकों को मजबूत करने, स्वच्छ ऊर्जा और परिवहन अवसंरचना में निवेश बढ़ाने, तथा जन-जागरूकता अभियानों को प्रोत्साहित करने जैसे बहुआयामी दृष्टिकोण की तत्काल आवश्यकता है।
