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Blog / 30 Jul 2025

विश्व में खाद्य सुरक्षा और पोषण की स्थिति (SOFI) 2025 रिपोर्ट

संदर्भ:

जुलाई 2025 को पांच संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों नेविश्व में खाद्य सुरक्षा और पोषण की स्थिति (SOFI) 2025” रिपोर्ट जारी की। यह रिपोर्ट वैश्विक भूख और खाद्य असुरक्षा की गंभीर स्थिति को उजागर करती है। हालाँकि 2022 की अपेक्षा थोड़ा सुधार हुआ है, लेकिन प्रगति धीमी और असमान है। यह सुधार वर्ष 2030 तक भूखमुक्त दुनियायानी सतत विकास लक्ष्य (SDG) 2 को हासिल करने के लिए पर्याप्त नहीं है।

SOFI 2025 रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष:

  • 2024 में 72 करोड़ लोग लगातार भूख की स्थिति से प्रभावित थे, यह दुनिया की 8.2% आबादी है।
  • यह आंकड़ा 2023 (8.5%) और 2022 (8.7%) से थोड़ा कम है, लेकिन अब भी महामारी-पूर्व और 2015 के स्तर से ऊपर है।
  • 2024 में 2.3 अरब लोगों को मध्यम या गंभीर खाद्य असुरक्षा का सामना करना पड़ा।
  • 2015 की तुलना में (जब 2030 एजेंडा शुरू हुआ था),
    • 9.6 करोड़ अधिक लोग भूख से जूझ रहे हैं,
    • और 68.3 करोड़ लोगों को खाद्य असुरक्षा है।
  • 2015 की तुलना में (जिस वर्ष 2030 एजेंडा अपनाया गया था) 96 मिलियन अधिक लोग दीर्घकालिक भूख से पीड़ित हैं और 683 मिलियन अधिक लोग मध्यम या गंभीर खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहे हैं

क्षेत्रवार स्थिति:

क्षेत्र

2024 में कुपोषित जनसंख्या

मुख्य रुझान

एशिया

32.3 करोड़

संख्या सबसे ज़्यादा, लेकिन दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया में गिरावट देखी गई

अफ्रीका

30.7 करोड़

प्रतिशत के हिसाब से सबसे ज़्यादा प्रभावित हर 5 में से 1 व्यक्ति भूखा

लैटिन अमेरिका और कैरेबियाई क्षेत्र

3.4 करोड़

भूख में हल्की गिरावट देखी गई

  • एशिया में सबसे ज़्यादा खाद्य-असुरक्षित लोग हैं, क्योंकि यहाँ की आबादी सबसे अधिक है।
  • अफ्रीका में जनसंख्या के अनुपात में सबसे ज़्यादा लोग प्रभावित हैं।

भविष्य का अनुमान:

·         अनुमान है कि 2030 तक विश्वभर में 51.2 करोड़ (512 मिलियन) लोग कुपोषण का शिकार होंगे, जो दुनिया की कुल आबादी का लगभग 6% होगा।

·         यह संख्या 2015 की तुलना में केवल 6.5 करोड़ कम होगी, जो इस दिशा में हो रही प्रगति की धीमी गति को दर्शाती है।

·         अफ्रीका सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र बना रहेगा:

    • विश्व की लगभग 60% कुपोषित आबादी अफ्रीका में निवास करेगी।
    • यहाँ की 17.6% जनसंख्या को दीर्घकालिक भूख (chronic hunger) का सामना करना पड़ेगा।
  • वहीं एशिया और लैटिन अमेरिका में कुपोषण की दर 5% से नीचे आने की संभावना है।

भारत की स्थिति:

·         रिपोर्ट के अनुसार, भारत की 55.6% आबादी एक संतुलित और स्वस्थ आहार वहन करने में असमर्थ है।

·         खाद्य मूल्य वृद्धि, (कोविड-19 के बाद की आर्थिक चुनौतियाँ) जलवायु संबंधी आपदाएँ विशेष रूप से गरीब और निम्न-आय वर्ग के परिवारों पर भारी पड़ रही हैं।

·         भारत में अल्पपोषण और मोटापा,  विशेषकर बच्चों और महिलाओं में एक साथ बढ़ रहे हैं। इस स्थिति को "दोहरे पोषणीय बोझ" (Double Burden of Malnutrition) के रूप में जाना जाता है।

रिपोर्ट के बारे में:

विश्व में खाद्य सुरक्षा एवं पोषण की स्थिति (एसओएफआई) रिपोर्ट एक प्रमुख प्रकाशन है जो खाद्य सुरक्षा एवं पोषण लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में वैश्विक प्रगति पर नज़र रखता है।

इसे निम्नलिखित द्वारा संयुक्त रूप से प्रकाशित किया गया है:

·        खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ),

·        कृषि विकास के लिए अंतर्राष्ट्रीय कोष (आईएफएडी),

·        संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ),

·        विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी), और

·        विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO)

एसओएफआई रिपोर्ट विश्व भर में खाद्य सुरक्षा और पोषण की स्थिति के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करती है।

रिपोर्ट के मुख्य उद्देश्य:

SOFI रिपोर्ट का उद्देश्य सतत विकास लक्ष्य (SDG) 2 "भुखमरी का अंत और सभी के लिए पोषण युक्त भोजन तक पहुंच सुनिश्चित करना"  की दिशा में हो रही वैश्विक प्रगति का आकलन करना है।

  • यह रिपोर्ट कुपोषण के सभी रूपों पर निगरानी रखती है, जिसमें अल्पपोषण, सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी, अधिक वजन, और मोटापा शामिल हैं।
  • SOFI रिपोर्ट वैश्विक नीति-निर्माण, मानवीय सहायता एवं विकास योजनाओं, तथा राष्ट्रीय पोषण रणनीतियों के लिए महत्वपूर्ण सूचनात्मक आधार प्रदान करती है।

निष्कर्ष:

2030 तक सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) की समय-सीमा में अब 5 वर्ष से भी कम समय शेष है। ऐसे में यह अत्यंत आवश्यक है कि त्वरित कार्रवाई, लक्षित निवेश और समावेशी नीतियों को प्राथमिकता दी जाए, ताकि शून्य भूख (Zero Hunger) का लक्ष्य केवल एक दूर का सपना बनकर न रह जाए, बल्कि उसे वास्तविकता में बदला जा सके