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Blog / 21 May 2025

दार्जिलिंग चिड़ियाघर में हिम तेंदुए के शावकों का जन्म

संदर्भ:
पद्मजा नायडू हिमालयन प्राणी उद्यान (
PNHZP), जिसे दार्जिलिंग चिड़ियाघर के नाम से भी जाना जाता है, ने हाल ही में दो हिम तेंदुए के शावकों के जन्म की सूचना दी है। ये शावक मादा 'रेयर' और नर 'नमका' से जन्मे हैं और इनकी परवरिश दार्जिलिंग से लगभग 20 किमी दूर स्थित टोगबे दानरा के ऑफ-डिस्प्ले संरक्षण प्रजनन केंद्र (CBC) में की जा रही है। यह घटना भारत के इस दुर्लभ और संवेदनशील प्रजाति के संरक्षण के प्रयासों में एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि है।

पद्मजा नायडू हिमालयन प्राणी उद्यान (PNHZP) में संरक्षण प्रजनन कार्यक्रम:
PNHZP ने हिम तेंदुओं के लिए अपना संरक्षण प्रजनन कार्यक्रम 1985 में शुरू किया था और 1987 में पहली सफल जन्म दर्ज़ की गई। 2007 में इसे केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण द्वारा भारत में हिम तेंदुओं के लिए समन्वयक चिड़ियाघर के रूप में नामित किया गया। वर्तमान में यह चिड़ियाघर विश्व में सबसे अधिक बंदी हिम तेंदुओं की आबादी रखता है, जिसमें शामिल हैं:
• 7 वयस्क मादाएं
• 4 वयस्क नर
• 2 नवजात शावक

टोगबे दानरा में स्थित संरक्षण प्रजनन केंद्र पाँच हेक्टेयर में फैला हुआ है और इसे हिम तेंदुओं के प्राकृतिक आवास जैसा बनाया गया है। इसमें शुष्क, पथरीले बाड़े शामिल हैं और गर्भवती मादाओं और शावकों की देखभाल के लिए सीसीटीवी निगरानी और नियमित स्वास्थ्य जांच की जाती है।

PNHZP के बारे में:
पद्मजा नायडू हिमालयन प्राणी उद्यान समुद्र तल से 2,150 मीटर (7,050 फीट) की ऊँचाई पर स्थित है और 67.8 एकड़ में फैला हुआ है। यह भारत का सबसे ऊँचाई पर स्थित चिड़ियाघर है। यहाँ गोराल, साइबेरियन बाघ और हिमालयी पक्षियों जैसी दुर्लभ प्रजातियाँ पाई जाती हैं।
यह भारत का पहला चिड़ियाघर है जिसने बर्फीले क्षेत्रों के वन्यजीवों के डीएनए नमूनों को संरक्षित किया है।

भारत में हिम तेंदुआ जनसंख्या आकलन (SPAI):
2019 में, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) ने भारत में हिम तेंदुए की जनसंख्या का आकलन (SPAI) शुरू किया। यह प्रयास वैश्विक कार्यक्रम "पॉपुलेशन असेसमेंट ऑफ वर्ल्ड्स स्नो लेपर्ड्स" (PAWS) का हिस्सा है, जो "ग्लोबल स्नो लेपर्ड एंड इकोसिस्टम प्रोटेक्शन प्रोग्राम" (GSLEP) के अंतर्गत आता है।
• GSLEP को 2013 के बिश्केक घोषणा पत्र में स्वीकृत किया गया था।
• SPAI ने भारत में हिम तेंदुए की 70% से अधिक सीमा को कवर किया, जिसमें लद्दाख, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश शामिल हैं।

हिम तेंदुए के बारे में:
वैज्ञानिक नाम: पेंथेरा यून्सिया (Panthera uncial)
राज्य पशु: लद्दाख और हिमाचल प्रदेश
वजन: 30–55 किलोग्राम
रंग रूप: धुंधला-भूरा रंग, काले धब्बों के साथ  पथरीली भूमि में छिपने के लिए उपयुक्त
आवास: भारत, चीन, नेपाल और रूस सहित 12 देशों में पाया जाता है।

2024 में, खेलो इंडिया विंटर गेम्स ने हिम तेंदुए को अपना शुभंकर चुना, जिसे लद्दाख क्षेत्र में शीन-ए-शे’ (शान) नाम दिया गया।

प्रमुख संरक्षण पहलें-
प्रोजेक्ट स्नो लेपर्ड: उच्च हिमालयी क्षेत्रों में समुदाय आधारित संरक्षण पर केंद्रित।
GSLEP परिदृश्य भारत में:
o हेमिस-स्पीति (लद्दाख और हिमाचल प्रदेश)
o नंदा देवी-गंगोत्री (उत्तराखंड)
o कंचनजंघा-तवांग (सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश)
अंतर्राष्ट्रीय हिम तेंदुआ दिवस: हर वर्ष 23 अक्टूबर को मनाया जाता है।

PNHZP का हिम तेंदुआ प्रजनन परियोजना दक्षिण एशिया में इस प्रतिष्ठित प्रजाति की सुरक्षा और संरक्षण के लिए सबसे सफल प्रयासों में से एक बनी हुई है।

निष्कर्ष:
दार्जिलिंग चिड़ियाघर में दो हिम तेंदुए के शावकों का जन्म भारत के संरक्षण कार्यक्रमों की सफलता को दर्शाता है। योजनाबद्ध तरीके, वैज्ञानिक प्रजनन और SPAI जैसे राष्ट्रीय सर्वेक्षणों के माध्यम से भारत इस दुर्लभ प्रजाति को भविष्य की पीढ़ियों के लिए संरक्षित करने के महत्वपूर्ण कदम उठा रहा है।