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Blog / 29 Apr 2025

सिमिलिपाल टाइगर रिजर्व को राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया

संदर्भ: 

हाल ही में 24 अप्रैल, 2025 को, ओडिशा सरकार ने आधिकारिक तौर पर सिमिलिपाल टाइगर रिजर्व (एसटीआर) को राष्ट्रीय उद्यान के रूप में अधिसूचित किया, जो 845.70 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। यह भारत का 107वाँ राष्ट्रीय उद्यान है और भितरकनिका के बाद ओडिशा का दूसरा राष्ट्रीय उद्यान है।

सिमिलीपल टाइगर रिजर्व के बारे में:

ओडिशा के मयूरभंज ज़िले में स्थित सिमिलीपल में 40 रॉयल बंगाल टाइगर, ओडिशा की 25% हाथी आबादी और 360 से अधिक पक्षी प्रजातियाँ पाई जाती हैं। इसके अलावा यहां 104 ऑर्किड प्रजातियाँ भी हैं, जिनमें से कई स्थानिक (endemic) हैं। साथ ही तेंदुआ, सांभर हिरण और मगरमच्छ भी पाए जाते हैं।
यहां के जंगलों में साल वृक्षों के साथ-साथ नम पर्णपाती और अर्ध-सदाबहार वन हैं, जो वन्यजीवों और वन-आश्रित समुदायों के लिए समृद्ध आवास प्रदान करते हैं।
सिमिलीपल दुनियाभर में अपने जंगली मेलानिस्टिक टाइगर्स (गहरे रंग वाले बाघों) के लिए प्रसिद्ध है। इनमें सामान्य से अधिक मेलानिन होता है, जिससे इनका रंग गहरा होता है।
ये बाघ आनुवंशिक रूप से विशिष्ट होते हैं और इस क्षेत्र की वैश्विक पारिस्थितिकी महत्ता को दर्शाते हैं।

राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा मिलने पर प्रभाव:

भारत में राष्ट्रीय उद्यानों को वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत संरक्षित किया जाता है, जो इनके निर्माण और प्रबंधन के लिए नियम तय करता है। इसका उद्देश्य राष्ट्रीय उद्यानों में मानव गतिविधियों को नियंत्रित करना और वन्यजीवों को न्यूनतम व्यवधान देना है।
सिमिलीपल को राष्ट्रीय उद्यान घोषित करना ओडिशा की पारिस्थितिकी विरासत और सतत विकास के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को मजबूत करता है।
अब यह राष्ट्रीय उद्यान 845.70 वर्ग किलोमीटर में फैला है, जबकि शेष 2,750 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को वन्यजीव अभयारण्य घोषित किया जाएगा।
राष्ट्रीय उद्यान क्षेत्र में सख्त संरक्षण उपाय लागू होंगे, जहां किसी भी प्रकार की मानव गतिविधियों की अनुमति नहीं होगी। इसमें सभी वनस्पतियाँ, जीव-जंतु, ऐतिहासिक व भौगोलिक महत्त्व की वस्तुएँ सम्मिलित होंगी।
सिमिलीपल का नया दर्जा इसे वन्यजीव अभयारण्य, प्रोजेक्ट टाइगर क्षेत्र, यूनेस्को बायोस्फीयर रिजर्व और हाथी रिजर्व के रूप में एकीकृत करता है, जिससे इसकी सुरक्षा और मान्यता और बढ़ेगी।

संरक्षण उपाय और भविष्य की योजनाएँ:

• ओडिशा सरकार ने ग्रेटर सिमिलीपल लैंडस्केप प्रोग्रामशुरू किया है, जिसमें कैमरा टावर, एआई-सक्षम ट्रेल गार्ड कैमरे और वी-सैट संचार नेटवर्क जैसे निगरानी उपकरण लगाए जाएंगे।
एक विशेष सुरक्षा बल बनाया गया है, जिसमें प्रशिक्षित पुलिसकर्मी और पूर्व सैनिक शामिल हैं, जो उद्यान की रक्षा करेंगे। एक महत्वपूर्ण संरक्षण प्रयास के तहत, महाराष्ट्र के ताडोबा अंधारी टाइगर रिजर्व से दो मादा बाघिनों को लाकर सिमिलीपल में बसाया गया है, जिससे बाघों की आनुवंशिक विविधता बढ़ेगी और 2036 तक बाघों की संख्या 100 तक पहुँचाने का लक्ष्य रखा गया है।
• “अमा सिमिलिपाल योजनाभी शुरू की गई है, जिसका उद्देश्य कौशल प्रशिक्षण, इको-पर्यटन, सांस्कृतिक पर्यटन और बुनियादी ढांचे में सुधार करना है, जिससे संरक्षण और सतत विकास के बीच संतुलन बना रहे और आर्थिक अवसरों का सृजन हो।

निष्कर्ष:
सिमिलीपल को राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा मिलना भारत के संरक्षण प्रयासों की एक बड़ी उपलब्धि है। इसकी समृद्ध जैव विविधता और वन्यजीव इसे भारत की पारिस्थितिकी संरक्षण रणनीति में एक महत्वपूर्ण स्थान प्रदान करते हैं। उन्नत संरक्षण उपायों, बाघों की संख्या में वृद्धि और समुदाय विकास की योजनाओं के साथ, यह क्षेत्र एक सतत और समृद्ध भविष्य की ओर अग्रसर है।