सन्दर्भ:
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप जल्द ही मलेशिया की राजधानी कुआलालंपुर में होने वाले आगामी आसियान (ASEAN) शिखर सम्मेलन में थाईलैंड और कंबोडिया के बीच शांति समझौते पर होने वाले औपचारिक हस्ताक्षर समारोह में शामिल होंगे। यह समझौता उस युद्धविराम को औपचारिक रूप देने का प्रयास है, जिसे जुलाई 2025 में मलेशिया और ट्रंप द्वारा मध्यस्थता के माध्यम से कराया गया था। इस युद्धविराम ने दोनों दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के बीच पिछले कई दशकों में हुई सबसे घातक सैन्य झड़पों को समाप्त किया।
पृष्ठभूमि:
थाईलैंड और कंबोडिया की 817 किलोमीटर लंबी साझा सीमा अभी तक पूरी तरह से निर्धारित नहीं है। सीमा के कुछ हिस्से औपनिवेशिक युग की संधियों (विशेष रूप से फ्रेंच इंडो-चाइना प्रशासन द्वारा बनाए गए मानचित्रों) के कारण विवादित बने हुए हैं।
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- विवाद का प्रमुख केंद्र प्रेह विहार मंदिर क्षेत्र (Preah Vihear Temple) रहा है, जिस पर दोनों देश अपना दावा करते हैं।
- अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) ने 1962 में इस मंदिर की संप्रभुता कंबोडिया को प्रदान की थी, किंतु थाईलैंड ने व्यापक सीमा विवादों के संदर्भ में ICJ के निर्णयों को पूर्ण रूप से स्वीकार नहीं किया।
- विवाद का प्रमुख केंद्र प्रेह विहार मंदिर क्षेत्र (Preah Vihear Temple) रहा है, जिस पर दोनों देश अपना दावा करते हैं।
2025 की झड़पें:
संघर्ष की शुरुआत मई 2025 में हुई, जब एक झड़प में एक कंबोडियाई सैनिक मारा गया। तनाव जुलाई 2025 में और बढ़ गया। 24 से 28 जुलाई के बीच, दोनों देशों के बीच तोपखाने, रॉकेट हमलों और हवाई हमलों हुए, जिसने कई सीमावर्ती क्षेत्रों को प्रभावित किया।
प्रथम युद्धविराम एवं जारी तनाव:
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- 28 जुलाई 2025 को “तत्काल और बिना शर्त युद्धविराम” की घोषणा की गई। इसे मुख्य रूप से मलेशिया के प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम ने मध्यस्थता कर कराया, जबकि अमेरिका (विशेष रूप से ट्रंप प्रशासन) ने कूटनीतिक दबाव के माध्यम से इसे संभव बनाया।
- आगामी आसियान शिखर सम्मेलन से पहले मलेशिया और अमेरिका दोनों इस युद्धविराम ढांचे को और सुदृढ़ बनाने पर काम कर रहे हैं, विशेष रूप से भारी हथियारों की वापसी और बारूदी सुरंगों की सफाई के संबंध में।
प्रभाव:
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- थाईलैंड और कंबोडिया के लिए:
एक स्थायी समझौता सीमा स्थिरता को पुनर्स्थापित करेगा, विस्थापित लोगों की वापसी को संभव बनाएगा और सीमापार व्यापार एवं पर्यटन को पुनर्जीवित करेगा। - क्षेत्र (आसियान एवं दक्षिण-पूर्व एशिया) के लिए:
इस सफलता से आसियान की प्रासंगिकता और उसकी संघर्ष समाधान क्षमता को मजबूती मिलेगी। यह क्षेत्रीय कूटनीति के मानदंडों को सुदृढ़ करेगा और भविष्य में क्षेत्रीय सीमा विवादों के प्रबंधन के लिए एक उदाहरण स्थापित कर सकता है। - अमेरिकी विदेश नीति के लिए:
इस समझौते की सफलता से एशिया में अमेरिका की शांति स्थापना क्षमता को बल मिलेगा और उसकी कूटनीतिक साख बढ़ेगी।
वहीं, यदि समझौता विफल रहा, तो यह संप्रभु सीमा विवादों में अमेरिकी प्रभाव की सीमाओं को उजागर करेगा। - वैश्विक कूटनीति के लिए:
यह समझौता दर्शाता है कि कैसे राजनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा उपायों को मिलाकर संघर्ष समाधान के लिए काम किया जा सकता है।
- थाईलैंड और कंबोडिया के लिए:
निष्कर्ष:
थाईलैंड–कंबोडिया युद्धविराम समझौते पर आगामी हस्ताक्षर दक्षिण-पूर्व एशिया में शांति और स्थिरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। आसियान शिखर सम्मेलन में राष्ट्रपति ट्रंप की उपस्थिति इस समझौते को वैश्विक स्तर पर और अधिक महत्व प्रदान करेगी।
यदि यह सफल रहा, तो यह न केवल क्षेत्रीय स्थिरता को मजबूत करेगा, बल्कि ट्रंप की वैश्विक शांति निर्माता (global peacemaker) के रूप में छवि को भी सुदृढ़ कर सकता है।

