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Blog / 02 May 2025

शिलॉंग–सिलचर ग्रीनफील्ड कॉरिडोर परियोजना

सन्दर्भ:

हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने शिलॉंगसिलचर ग्रीनफील्ड कॉरिडोर परियोजना के तहत राष्ट्रीय राजमार्ग-6 (NH-6) पर 166.8 किलोमीटर लंबा, चार लेन वाला हाई-स्पीड कॉरिडोर बनाने को मंज़ूरी दी है। यह कॉरिडोर मेघालय के मावलिंगखुंग से शुरू होकर असम के पंचग्राम तक जाएगा।

परियोजना के बारे में:

यह कॉरिडोर भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र के कठिन और पहाड़ी इलाकों से होकर गुज़रेगा। इसलिए इसमें आधुनिक इंजीनियरिंग तकनीकों का इस्तेमाल किया जाएगा। इस परियोजना के तहत निम्नलिखित निर्माण कार्य होंगे:

                    19 बड़े पुल

                    153 छोटे पुल

                    326 कलवर्ट (छोटे पुलनुमा ढांचे)

                    22 अंडरपास

                    26 ओवरपास

                    34 वायाडक्ट (लंबे पुल जैसे ढांचे)

इस परियोजना को तीन साल में पूरा करने का लक्ष्य है और इसकी अनुमानित लागत ₹22,864 करोड़ है। कुल 166.8 किलोमीटर लम्बी परियोजना में से 144.8 किलोमीटर हिस्सा मेघालय में होगा और बाकी 22 किलोमीटर असम में।

यह परियोजना हाइब्रिड एन्युइटी मोड (HAM) के तहत बनाई जाएगी, जो कि पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) का एक रूप है। यह योजना प्रधानमंत्री गति शक्ति मास्टर प्लान और आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत कार्यान्वित की जाएगी।

कॉरिडोर के मुख्य लाभ:

                    यात्रा में समय की बचत: शिलॉंग से सिलचर की यात्रा का समय 8 घंटे 30 मिनट से घटकर 5 घंटे हो जाएगा।

                    दूरी में कमी: गुवाहाटी से सिलचर की दूरी 25% कम हो जाएगी।

                    गाड़ियों की गति बढ़ेगी: वाहनों की औसत रफ्तार दोगुनी हो जाएगी, जिससे यातायात बेहतर होगा।

                    महत्वपूर्ण राज्यों को जोड़ेगा: यह कॉरिडोर मेघालय, त्रिपुरा, मिज़ोरम और मणिपुर को बेहतर ढंग से जोड़ेगा।

                    मालवाहन में सुधार: यह मार्ग ट्रकों और भारी वाहनों के लिए सबसे छोटा और तेज़ रास्ता होगा, जिससे व्यापार और लॉजिस्टिक्स को बढ़ावा मिलेगा।

पूर्वोत्तर भारत के लिए रणनीतिक महत्त्व:

                    सिलचर एक प्रवेश द्वार: सिलचर मिज़ोरम, त्रिपुरा, मणिपुर और असम के बराक घाटी क्षेत्र का प्रवेश बिंदु है। यह नया कॉरिडोर इन राज्यों तक पहुंच आसान बनाएगा।

                    आर्थिक विकास को बढ़ावा: बेहतर ढांचागत सुविधाएं क्षेत्रीय व्यापार, सेवाओं और आर्थिक गतिविधियों को तेज़ करेंगी।

निष्कर्ष:

यह हाई-स्पीड कॉरिडोर पूर्वोत्तर भारत में यातायात व्यवस्था को नया रूप देगा। यह परियोजना न केवल यात्रा को सरल और तेज़ बनाएगी, बल्कि क्षेत्रीय विकास, आपसी संपर्क और व्यापारिक गतिविधियों को भी मज़बूती देगी।