संदर्भ:
हाल ही में बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख़ हसीना को बांग्लादेश के इंटरनेशनल क्राइम्स ट्राइब्यूनल (ICT-BD) ने 2024 में छात्र-नेतृत्व वाले प्रदर्शनों पर किए गए हिंसक दमन से जुड़े मानवता के विरुद्ध अपराधों में दोषी पाते हुए मौत की सज़ा सुनाई है।
प्रमुख बिंदु:
-
- शेख़ हसीना को कई गंभीर आरोपों में दोषी ठहराया गया, जिनमें उकसाना, सुरक्षा बलों को घातक बल प्रयोग का आदेश देना और जुलाई–अगस्त 2024 में हुए छात्र आंदोलन के दौरान हुए अत्याचारों को रोकने में विफल रहना, शामिल है। यह वही आंदोलन था जिसके कारण अंततः उन्हें सत्ता से हटना पड़ा।
- संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, सुरक्षा बलों द्वारा किए गए हिंसक दमन में लगभग 1,400 लोगों की मौत हुई और हज़ारों लोग घायल हुए।
- इस मुकदमे की सुनवाई इंटरनेशनल क्राइम्स ट्राइब्यूनल (ICT) ने की, यह बांग्लादेश की एक विशेष स्थानीय अदालत है, जिसे शेख़ हसीना ने 2009 में स्वयं स्थापित किया था।
- शेख़ हसीना को इस फैसले के विरुद्ध बांग्लादेश के सुप्रीम कोर्ट के अपीलीय प्रभाग में 30 दिनों के भीतर अपील करने का अधिकार है।
- शेख़ हसीना को कई गंभीर आरोपों में दोषी ठहराया गया, जिनमें उकसाना, सुरक्षा बलों को घातक बल प्रयोग का आदेश देना और जुलाई–अगस्त 2024 में हुए छात्र आंदोलन के दौरान हुए अत्याचारों को रोकने में विफल रहना, शामिल है। यह वही आंदोलन था जिसके कारण अंततः उन्हें सत्ता से हटना पड़ा।
भारत के लिए निहितार्थ:
1. द्विपक्षीय संबंधों में रणनीतिक चुनौती
• शेख़ हसीना दक्षिण एशिया में भारत की सबसे भरोसेमंद राजनीतिक साझेदारों में से एक रही हैं। उनका सत्ता से हटना और उसके बाद मौत की सज़ा का निर्णय भारत–बांग्लादेश संबंधों में उन अनिश्चितताओं को बढ़ाता है, जो अब तक मज़बूत राजनीतिक विश्वास पर आधारित थे।
2. सीमा क्षेत्रों में सुरक्षा चुनौतियाँ
बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता या सत्ता का खालीपन भारत के लिए कई सुरक्षा जोखिम पैदा कर सकता है, जैसे:
• चरमपंथी और विद्रोही समूहों का फिर से सक्रिय होना,
• सीमा पार तस्करी और अवैध प्रवासन में वृद्धि,
• सीमाओं पर असुरक्षा और अस्थिरता में बढ़ोतरी।
3. भारत के पूर्वोत्तर पर प्रभाव
भारत की एक्ट ईस्ट नीति और कनेक्टिविटी परियोजनाओं के लिए बांग्लादेश एक महत्वपूर्ण मार्ग है। ढाका में राजनीतिक अस्थिरता के कारण निम्नलिखित बड़े प्रोजेक्ट्स प्रभावित हो सकते हैं:
• भारत–बांग्लादेश पारगमन और व्यापार मार्ग,
• त्रिपुरा, असम और मेघालय से जुड़ी कनेक्टिविटी परियोजनाएँ,
• चटगाँव और मोंगला बंदरगाहों तक पहुँच।
इन परियोजनाओं में देरी से पूर्वोत्तर भारत के आर्थिक विकास की गति धीमी पड़ सकती है।
4. क्षेत्रीय स्थिरता पर प्रभाव
बांग्लादेश में जारी उथल-पुथल दक्षिण एशिया में भारत के व्यापक सामरिक हितों को प्रभावित करती है, विशेषकर:
• बिम्सटेक,
• BBIN कनेक्टिविटी फ्रेमवर्क,
• हिंद महासागर की समुद्री सुरक्षा।
एक अस्थिर बांग्लादेश क्षेत्रीय सहयोग की उन व्यवस्थाओं को कमजोर कर सकता है, जिनमें भारत नेतृत्व की भूमिका निभाता है।
निष्कर्ष:
शेख़ हसीना को सुनाई गई फ़ासी की सज़ा बांग्लादेश के राजनीतिक इतिहास में एक अत्यंत महत्वपूर्ण और निर्णायक मोड़ को दर्शाती है। यह फैसला न केवल देश में शासन, जवाबदेही और नागरिक स्वतंत्रताओं से जुड़े लम्बे संघर्ष को सामने लाता है, बल्कि यह भी रेखांकित करता है कि किसी भी संघर्ष के बाद न्यायिक प्रक्रियाओं को निष्पक्ष और प्रभावी बनाना कितना जटिल होता है। आगामी चुनावी चरण की ओर बढ़ते हुए बांग्लादेश के लिए सबसे बड़ी चुनौती होगी राजनीतिक स्थिरता को बनाए रखना, लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा करना और यह सुनिश्चित करना कि न्यायिक प्रक्रियाएँ पारदर्शी और विश्वसनीय हों।

