संदर्भ:
हाल ही में 9 जून को, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) नियम, 2006 में प्रमुख संशोधनों की घोषणा की। इन परिवर्तनों का उद्देश्य विशेष रूप से सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रॉनिक घटकों के लिए SEZ स्थापित करना आसान और तेज़ बनाना है।
SEZ नियमों में हालिया सुधार (जून 2025)
1. न्यूनतम भूमि क्षेत्र की आवश्यकता कम की गई
पहले सेमीकंडक्टर SEZ के लिए कम से कम 50 हेक्टेयर भूमि की आवश्यकता थी। यह आवश्यकता अब केवल 10 हेक्टेयर कर दी गई है।
अब छोटे निवेश भी SEZ लाभ जैसे कर छूट, शुल्क-मुक्त आयात और बुनियादी ढांचा सहायता के लिए पात्र होंगे। इससे अधिक कंपनियों के लिए इस क्षेत्र में प्रवेश करना संभव हो पाएगा।
2. बिना अड़चन वाली भूमि की शर्त में ढील
पहले SEZ भूमि पूरी तरह से “अड़चन-मुक्त” होनी चाहिए थी, यानी उस पर किसी भी प्रकार का कानूनी दावा या स्वामित्व विवाद नहीं होना चाहिए था लेकिन अनुमोदन बोर्ड अब इस शर्त में ढील दे सकता है।
भारत के जटिल भूमि कानूनों और धीमी न्यायिक प्रक्रिया को देखते हुए, यह बदलाव SEZ को तेजी से स्थापित करने में मदद करेगा।
3. SEZ इकाइयों को घरेलू बाजार में बिक्री की अनुमति
पहले SEZ इकाइयाँ मुख्य रूप से निर्यात-उन्मुख होती थीं। अब SEZ अपनी वस्तुएँ घरेलू बाजार में भी बेच सकते हैं, बशर्ते वे संबंधित शुल्कों का भुगतान करें। इससे SEZ अधिक लचीले बनेंगे, वैश्विक व्यापार बाधाओं से बचाव होगा और महत्वपूर्ण घटकों की घरेलू आपूर्ति सुनिश्चित होगी।
सेमीकंडक्टर क्यों महत्वपूर्ण हैं?
- सेमीकंडक्टर छोटे चिप्स होते हैं जो लगभग हर आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण को शक्ति प्रदान करते हैं। ये स्मार्टफोन, कंप्यूटर, टेलीविजन, स्मार्ट स्पीकर और यहां तक कि कारों के लिए भी आवश्यक हैं। ये कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और मशीन लर्निंग (ML) जैसी उन्नत तकनीकों की रीढ़ भी हैं। जैसे-जैसे डिजिटलीकरण बढ़ता जा रहा है, सेमीकंडक्टर का महत्व भी बढ़ रहा है।
- 2021 में, सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री एसोसिएशन के अनुसार चीन ने दुनिया के लगभग 35% सेमीकंडक्टर का उत्पादन किया। COVID-19 महामारी ने यह दिखाया कि इस तरह के महत्वपूर्ण संसाधन के लिए किसी एक देश पर निर्भर रहना कितना जोखिम भरा हो सकता है। इसी वजह से भारत सहित कई देशों ने अपने स्वयं के सेमीकंडक्टर उत्पादन क्षमता में निवेश करना शुरू किया।
सेमीकॉन इंडिया कार्यक्रम
2022 में भारत सरकार ने ₹76,000 करोड़ के परिव्यय के साथ सेमीकॉन इंडिया कार्यक्रम शुरू किया। यह घरेलू चिप निर्माण को प्रोत्साहित करने और एक सतत सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम था।
नीति परिवर्तन का त्वरित प्रभाव
हालांकि ये बदलाव हाल ही में हुए हैं, लेकिन इनके चलते दो नए SEZ परियोजनाओं को पहले ही मंजूरी मिल चुकी है:
1. माइक्रोन सेमीकंडक्टर टेक्नोलॉजी इंडिया
o स्थान: साणंद, गुजरात
o क्षेत्रफल: 37.64 हेक्टेयर
o निवेश: ₹13,000 करोड़
o उद्देश्य: सेमीकंडक्टर निर्माण
2. हुबली ड्यूरेबल गुड्स क्लस्टर (एक्वस ग्रुप)
o स्थान: धारवाड़, कर्नाटक
o क्षेत्रफल: 11.55 हेक्टेयर
o निवेश: ₹100 करोड़
o उद्देश्य: इलेक्ट्रॉनिक घटकों का निर्माण
निष्कर्ष
भारत एक मजबूत घरेलू सेमीकंडक्टर उद्योग बनाने के लिए गंभीर प्रयास कर रहा है। SEZ नियमों में किए गए नए बदलाव यह दिखाते हैं कि सरकार बाधाओं को दूर करने और निवेश आकर्षित करने के लिए प्रतिबद्ध है। हालांकि दीर्घकालिक परिणाम आने में समय लगेगा, लेकिन माइक्रोन जैसे बड़े प्रोजेक्ट की शुरुआती मंजूरी इस नीति के सही दिशा में होने का संकेत देती है।