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Blog / 08 Oct 2025

Securities Transaction Tax (STT): कानूनी चुनौतियाँ व विवरण | Dhyeya IAS करेंट अफेयर

संदर्भ:

हाल ही में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने प्रतिभूति लेन-देन कर (Securities Transaction Tax - STT) की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करने का निर्णय लिया है। न्यायालय ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है और चार सप्ताह के भीतर जवाब देने का आदेश दिया है।

प्रतिभूति लेनदेन कर (STT) के बारे में:

प्रतिभूति लेनदेन कर भारत में मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंजों के माध्यम से किए गए प्रतिभूति लेन-देन के मूल्य पर लगाया जाने वाला कर है।

·         इसे मुख्य रूप से पूंजीगत लाभ में कर चोरी को रोकने के लिए वित्त अधिनियम, 2004 के तहत लागू किया गया था।

·         डिलीवरी-आधारित इक्विटी ट्रेडों पर वर्तमान में खरीद और बिक्री दोनों पर 0.1% के हिसाब से एसटीटी लगाया जाता है।

मुख्य कानूनी चुनौती:

1.        दोहरा कराधान (Double Taxation): याचिकाकर्ता का तर्क है कि एसटीटी दोहरे कराधान का कारण बनता है:

o    एक बार लेन-देन के मूल्य पर एसटीटी के रूप में

o    फिर उसी लेन-देन से हुए मुनाफे पर पूंजीगत लाभ कर (Capital Gains Tax) के रूप में।
याचिकाकर्ता का कहना है कि किसी ही लेन-देन और उससे हुए लाभ दोनों पर कर लगाना कर समानता के सिद्धांत का उल्लंघन करता है।

2.      लाभ पर नहीं, लेन-देन पर कर (Tax on Act, Not Profit): पारंपरिक करों के विपरीत, जो केवल शुद्ध आय या मुनाफे पर लगाए जाते हैं, एसटीटी केवल ट्रेड करने की क्रिया पर लगाया जाता है, चाहे ट्रेड से घाटा ही क्यों न हुआ हो।

o    याचिकाकर्ता इसे दंडात्मक या रोकथामकारी (punitive/deterrent) कर मानते हैं, क्योंकि यह लाभ या हानि की परवाह किए बिना लागू होता है।

3.      मौलिक अधिकारों का उल्लंघन:

·        याचिका में कहा गया है कि एसटीटी अनुच्छेद 14 (कानून के समक्ष समानता), अनुच्छेद 19(1)(g) (व्यापार करने या पेशा अपनाने का अधिकार) और अनुच्छेद 21 (जीवन और सम्मान का अधिकार) का उल्लंघन करता है।

·        याचिकाकर्ता का तर्क है कि व्यापार की क्रिया पर मनमाना कर लगाना, चाहे परिणाम कुछ भी हो, इन मौलिक अधिकारों में हस्तक्षेप करता है।

4.     समायोजन या रिफंड की कमी: याचिकाकर्ता यह भी कहते हैं कि एसटीटी में अंतिम कर देयता के खिलाफ समायोजन या रिफंड की सुविधा नहीं है, जबकि अन्य कर प्रणालियों जैसे TDS (Tax Deducted at Source) में अतिरिक्त कटौती का समायोजन या रिफंड संभव होता है।

निष्कर्ष:

सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्रतिभूति लेन-देन कर (STT) की संवैधानिक वैधता पर विचार करना भारत के वित्तीय और पूंजी बाजार कानून में एक महत्वपूर्ण मोड़ है। यह मामला राज्य की कराधान शक्ति और व्यक्तियों के मौलिक अधिकारों के बीच संतुलन तय करेगा। साथ ही, यह भारत में लेन-देन आधारित कराधान की सीमाओं के लिए एक उदाहरण स्थापित करेगा।