संदर्भ:
हाल ही में दूसरे लैंसेट आयोग ने किशोरों के स्वास्थ्य और कल्याण पर एक विस्तृत वैश्विक रिपोर्ट जारी की है, जो अब तक हुई प्रगति के साथ-साथ दुनिया भर में अब भी मौजूद चुनौतियों को भी रेखांकित करती है।
आयोग के प्रमुख निष्कर्ष:
- बहु-भार वाले देश: 2030 तक 1 अरब किशोर ऐसे देशों में रहेंगे जहां HIV/AIDS, जल्दी गर्भावस्था, डिप्रेशन, कुपोषण और चोट जैसी बीमारियों का बोझ बहुत अधिक होगा।
- 464 मिलियन किशोर मोटापे का शिकार: आयोग का अनुमान है कि 2030 तक दुनियाभर में 464 मिलियन किशोर मोटे या अधिक वजन वाले होंगे, जो 2015 की तुलना में काफी अधिक है।
- मानसिक स्वास्थ्य: 2030 तक मानसिक रोगों या आत्महत्या के कारण 4.2 करोड़ स्वस्थ जीवन वर्ष खो दिए जाएंगे, जिससे तात्कालिक कार्रवाई की जरूरत स्पष्ट होती है।
- वित्तीय असमानता: किशोर स्वास्थ्य को कुल विकास सहायता में से केवल 2.4% हिस्सा मिलता है, जबकि किशोर दुनिया की 25.2% आबादी का हिस्सा हैं।
आयोग की सिफारिशें:
• निवेश में वृद्धि: सरकारों और संगठनों को किशोर स्वास्थ्य में अधिक निवेश करना चाहिए, विशेषकर उन उपायों पर जो प्रमुख स्वास्थ्य समस्याओं से सीधे तौर पर निपटते हों।
• सशक्त कानून और नीतियाँ: ऐसी नीतियाँ और कानून बनाए जाने चाहिए जो किशोरों के यौन और प्रजनन स्वास्थ्य अधिकारों की रक्षा करें, स्वास्थ्य पर पड़ने वाले वाणिज्यिक प्रभावों को सीमित करें और सोशल मीडिया व ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जिम्मेदार और सुरक्षित उपयोग को बढ़ावा दें।
• बहु-क्षेत्रीय सहयोग: किशोरों की जटिल और विविध आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए स्वास्थ्य, शिक्षा और सामाजिक सेवाओं के बीच प्रभावी समन्वय ज़रूरी है।
• मंत्रालयों के बीच समन्वय: किशोर स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए स्कूलों में चलाए जाने वाले कार्यक्रमों में स्वास्थ्य और शिक्षा मंत्रालयों को आपस में मिलकर काम करना चाहिए।
रिपोर्ट का महत्व:
• आबादी की दृष्टि से महत्त्व: दुनियाभर में लगभग 2 अरब किशोर हैं, जो वैश्विक जनसंख्या का लगभग 24% हिस्सा हैं। इतनी बड़ी संख्या किशोर स्वास्थ्य को एक अत्यंत महत्वपूर्ण वैश्विक मुद्दा बनाती है।
• संघर्ष प्रभावित क्षेत्र: लगभग 34 करोड़ (18%) किशोर ऐसे क्षेत्रों में रहते हैं जो हिंसा या संघर्ष से प्रभावित हैं, जिनके लिए विशेष रूप से लक्षित और संवेदनशील हस्तक्षेपों की आवश्यकता है।
• विश्वसनीय डेटा की आवश्यकता: किशोरों के स्वास्थ्य और कल्याण में सुधार लाने के लिए बेहतर सूचकांकों और मज़बूत डेटा प्रणालियों की मदद से सटीक निगरानी और मूल्यांकन अत्यंत आवश्यक है।
निष्कर्ष:
दूसरे लैंसेट आयोग की रिपोर्ट स्पष्ट रूप से यह दर्शाती है कि दुनियाभर के किशोरों को गंभीर स्वास्थ्य चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जिन्हें दूर करने के लिए त्वरित और ठोस कदम उठाना आवश्यक है। इसके लिए पर्याप्त निवेश, प्रभावी कानूनों की स्थापना और विभिन्न क्षेत्रों (जैसे स्वास्थ्य, शिक्षा और सामाजिक सेवाओं) के बीच समन्वित प्रयास ज़रूरी हैं। यह न केवल किशोरों के समग्र विकास को सुनिश्चित करेगा, बल्कि लैंगिक समानता और बेहतर जीवन परिणामों की दिशा में भी महत्वपूर्ण योगदान देगा।