संदर्भ:
हाल ही में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) का 25वां वार्षिक शिखर सम्मेलन 31 अगस्त से 1 सितंबर 2025 तक चीन के तियानजिन शहर में आयोजित किया गया। इस शिखर सम्मेलन की मेज़बानी चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने की। यह सम्मेलन संगठन के सदस्य देशों के राष्ट्राध्यक्षों की परिषद की 25वीं बैठक थी।
बैठक के प्रमुख परिणाम:
· तियानजिन घोषणा: शिखर सम्मेलन के दौरान पारित यह घोषणा-पत्र एससीओ देशों की साझा राजनीतिक प्रतिबद्धता का प्रतीक है। इसमें आतंकवाद, चरमपंथ और अलगाववाद के विरुद्ध संयुक्त प्रयासों तथा क्षेत्रीय शांति और स्थिरता को बनाए रखने के प्रति सदस्य देशों की प्रतिबद्धता दोहराई गई।
· 2026-2035 के लिए विकास रणनीति: इस रणनीति में आर्थिक, सुरक्षा और सांस्कृतिक सहयोग को प्राथमिकता देते हुए एससीओ के दीर्घकालिक विकास की दिशा निर्धारित की गई।
· सहयोग कार्यक्रम (2026-2030): इस कार्यक्रम का उद्देश्य चरमपंथी विचारधाराओं का मुकाबला करना और क्षेत्रीय सुरक्षा व स्थिरता को सुदृढ़ करना है।
· 2030 तक ऊर्जा सहयोग हेतु रोडमैप: इस रोडमैप में ऊर्जा सहयोग, सतत विकास और हरित औद्योगिक पहलों के लिए रणनीतिक दिशा-निर्देश तय किए गए।
· सीआईएस में पर्यवेक्षक दर्जा: स्वतंत्र राज्यों के राष्ट्रमंडल (CIS) में एससीओ को पर्यवेक्षक का दर्जा प्राप्त हुआ, जिससे अंतर्राष्ट्रीय साझेदारी को बल मिला।
· चोलपोन अता घोषणा: किर्गिस्तान में चोलपोन अता को 2025-2026 के लिए एससीओ की पर्यटन और सांस्कृतिक राजधानी घोषित किया गया, जिससे सांस्कृतिक आदान-प्रदान और सहयोग को बढ़ावा मिला।
भारत के लिए एससीओ का महत्व:
सुरक्षा:
· भारत क्षेत्रीय शांति, सुरक्षा एवं स्थिरता को सतत विकास के लिए अनिवार्य मानता है। भारत के अनुसार, आतंकवाद आज भी एक गंभीर वैश्विक खतरा बना हुआ है, जिससे निपटने हेतु सदस्य देशों के बीच समन्वित और एकजुट प्रयासों की आवश्यकता है। इस संदर्भ में, एससीओ का क्षेत्रीय आतंकवाद-रोधी ढांचा (RATS) भारत के लिए आतंकवाद-निरोधक सहयोग को सुदृढ़ करने का एक प्रभावी मंच प्रदान करता है।
संपर्क-सुविधाएँ:
· भारत, मध्य एशिया और अफगानिस्तान के साथ बहुआयामी संबंधों को प्रगाढ़ बनाने के लिए चाबहार बंदरगाह, अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा (INSTC) तथा अन्य क्षेत्रीय संपर्क परियोजनाओं को सक्रिय रूप से बढ़ावा देता है। ये पहल भारत की "कनेक्ट सेंट्रल एशिया नीति" को मूर्त रूप देने में सहायक हैं।
सहयोग के नए क्षेत्र :
· भारत की 2023 की अध्यक्षता के दौरान, नवाचार, युवा सशक्तिकरण और सांस्कृतिक आदान-प्रदान जैसे नए सहयोग क्षेत्रों की शुरुआत की गई। भारत ने सभ्यतागत संवाद मंच स्थापित करने का प्रस्ताव भी दिया, जिसका उद्देश्य साझा ऐतिहासिक विरासत को उजागर करना और सदस्य देशों के बीच जनस्तर पर आपसी समझ और संबंधों को मजबूत करना है।
शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के विषय में:
· शंघाई सहयोग संगठन (SCO) एक यूरेशियन राजनीतिक, आर्थिक एवं सुरक्षा संगठन है, जिसकी स्थापना वर्ष 2001 में कज़ाकिस्तान, चीन, किर्गिज़स्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उज़्बेकिस्तान द्वारा संयुक्त रूप से की गई थी।
· वर्तमान में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के कुल 10 सदस्य देश हैं। भारत और पाकिस्तान वर्ष 2017 में पूर्ण सदस्य बने। इसके बाद ईरान को 2023 में और बेलारूस को 2024 में सदस्यता प्रदान की गई।
· संगठन का स्थायी सचिवालय बीजिंग (चीन) में स्थित है, जबकि क्षेत्रीय आतंकवाद-रोधी संरचना (RATS) का कार्यालय ताशकंद (उज़्बेकिस्तान) में कार्यरत है।
· एससीओ "शंघाई भावना" को बढ़ावा देता है और आपसी विश्वास, समानता और सांस्कृतिक विविधता के सम्मान पर केंद्रित है।
एससीओ के मुख्य उद्देश्य:
· शंघाई सहयोग संगठन (SCO) का मुख्य उद्देश्य आतंकवाद, उग्रवाद और अलगाववाद जैसे पारंपरिक तथा गैर-पारंपरिक सुरक्षा खतरों का समन्वित प्रयासों के माध्यम से मुकाबला कर क्षेत्रीय शांति, सुरक्षा और स्थिरता को सुनिश्चित करना है।
· राजनीतिक रूप से, SCO एक अधिक लोकतांत्रिक, न्यायसंगत और बहुध्रुवीय वैश्विक व्यवस्था के पक्ष में है और आपसी विश्वास, संवाद और समावेशी कूटनीति को बढ़ावा देता है।
· इसके अतिरिक्त, एससीओ शिक्षा, पर्यटन और कला के क्षेत्र में सांस्कृतिक आदान-प्रदान को प्रोत्साहित करता है।
निष्कर्ष:
एससीओ शिखर सम्मेलन 2025 ने संगठन की भूमिका को क्षेत्रीय सुरक्षा और आर्थिक सहयोग के एक प्रभावी मंच के रूप में मजबूत किया। तियानजिन घोषणा-पत्र ने आतंकवाद के विरुद्ध स्पष्ट और सशक्त संदेश दिया, जबकि वैश्विक शासन पर हुई चर्चाओं ने बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था की दिशा में संगठन की सोच को रेखांकित किया। भारत के लिए यह शिखर सम्मेलन सुरक्षा हितों को उजागर करने और आर्थिक व कूटनीतिक भागीदारी को बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण अवसर रहा।