संदर्भ:
एक नई गुफा में रहने वाली मछली की प्रजाति शिस्तुरा डेंसिक्लावा (Schistura densiclava) की खोज मेघालय की एक चूना पत्थर की गुफा, क्रेम मावजिमबुइन (Krem Mawjymbuin) में हुई है। यह खोज हाल ही में अंतरराष्ट्रीय पीयर-रिव्यू जर्नल “जर्नल ऑफ फिश बायोलॉजी” में प्रकाशित हुई है।
शिस्तुरा डेंसिक्लावा के बारे में:
शिस्तुरा डेंसिक्लावा एक तली में रहने वाली मछली है जो नेमाचेइलिडे (Nemacheilidae) परिवार से संबंधित है। यह मछली गुफा के अंदर लगभग 60 मीटर की दूरी पर एक ठंडी, तेज बहाव वाली धारा में पाई गई, जहां पानी का तापमान लगभग 18°C और ऑक्सीजन का स्तर कम रहता है।
• इस मछली का शरीर पीले-हरे रंग का होता है, जिस पर 14–20 काले या स्लेटी रंग की पट्टियां होती हैं।
• इसके पृष्ठीय पंख (डॉर्सल फिन) के पास एक गहरी, मोटी पट्टी होती है, जिससे इसका नाम डेंसिक्लावा (densiclava) पड़ा (लैटिन में ‘घनी पट्टी’)।
• इस प्रजाति में नर और मादा में भिन्नता (sexual dimorphism) दिखती है: नर मछली पतली होती है, गाल फूले हुए होते हैं और शरीर पर अनियमित पैटर्न होते हैं, जबकि मादा मोटी होती है और उन पर एकसमान निशान होते हैं।
• इस मछली में रंग और देखने की क्षमता अभी भी बनी हुई है, जो गुफा में रहने वाली मछलियों के लिए असामान्य विशेषता है।
आवास और पारिस्थितिकी:
यह प्रजाति मेघालय की सबसे कठिन गुफाओं में से एक क्रेम मावजिमबुइन में पाई गई। यह गुफा एक कार्स्ट भू-आकृति में स्थित है, जो चूना पत्थर और डोलोमाइट के धीरे-धीरे घुलने से बनी है – यह गुफा जैव विविधता के लिए उपयुक्त वातावरण प्रदान करती है।
• यह गुफा पारिस्थितिकी तंत्र मौसमी दुर्गमता और घने जंगलों के कारण लगभग अप्रभावित है।
• S. densiclava केवल गुफा के अंदरूनी हिस्से में पाई गई, जिससे इसका विशेष पर्यावास पर उच्च निर्भरता स्पष्ट होती है, हालांकि यह पूर्ण रूप से गुफा-निवासी (troglobite) नहीं है।
गुफ़ाप्रेमी (Troglophile) प्रजातियों के बारे में:
पूर्ण रूप से गुफा-आधारित प्रजातियों (troglobitic) जैसे शिस्तुरा पपुलिफेरा या नियोलिसोचिलस पैनर (Schistura papulifera/ Neolissochilus pnar) के विपरीत, S. densiclava को troglophile के रूप में वर्गीकृत किया गया है:
• Troglophile वे प्रजातियाँ होती हैं जो भूमिगत (गुफा) और सतही (epigean) दोनों पर्यावरण में रह सकती हैं और प्रजनन कर सकती हैं।
• इस मछली की देखने और रंग पहचानने की क्षमता यह दर्शाती है कि यह अभी तक पूरी तरह गुफा जीवन के अनुरूप नहीं हुई है, लेकिन केवल गुफा में ही पाए जाने के कारण यह एक संभावित विकासीय संक्रमण दर्शाती है।
जैव विविधता का महत्व:
यह मेघालय से दर्ज की गई छठी गुफा-निवासी मछली प्रजाति है और इस क्षेत्र में पाई जाने वाली स्थानीय जलीय प्रजातियों की सूची में एक और नाम जोड़ती है। मेघालय अब गुफा जीव-जंतुओं के लिए एक जैव विविधता हॉटस्पॉट बन गया है, जहां 1,700 से अधिक गुफाओं का दस्तावेजीकरण किया गया है, जिनमें से कई अब भी अनछुई हैं।
• S. densiclava की खोज पूर्वोत्तर भारत की कार्स्ट गुफाओं की पारिस्थितिकीय महत्ता को पुष्ट करती है।
• जेनेटिक विश्लेषण से यह पुष्टि हुई है कि यह एक नई और विशिष्ट प्रजाति है, जो संभवतः केवल इसी गुफा प्रणाली में पाई जाती है।
संरक्षण और सांस्कृतिक संदर्भ:
क्रेम मावजिमबुइन गुफा को 2024 में उस समय सार्वजनिक ध्यान मिला जब स्थानीय प्रशासन ने वहां धार्मिक पूजा पर प्रतिबंध लगाया। यह चूना पत्थर की गुफा मेघालय के ईस्ट खासी हिल्स ज़िले में मावसिनराम से लगभग 15 किमी दूर और सोहरा (चेरापूंजी) के पास स्थित है।
• गुफा में मानवीय गतिविधियाँ बहुत कम हैं, जिससे वहां का पर्यावरण अब तक शुद्ध बना हुआ है।
• ऐसे उपाय यह दर्शाते हैं कि पारिस्थितिक रूप से नाजुक क्षेत्रों में पारिस्थितिकी संरक्षण और सांस्कृतिक प्रथाओं के बीच संतुलन बनाना आवश्यक है।
निष्कर्ष:
शिस्तुरा डेंसिक्लावा की खोज मेघालय की गुफाओं में छिपी जैव विविधता की एक दुर्लभ झलक प्रस्तुत करती है। जैसे-जैसे और गुफा प्रणालियाँ खोजी जाएंगी, ऐसी खोजें हमें विकास, प्रजातियों के अनुकूलन और संवेदनशील संरक्षण रणनीतियों की आवश्यकता को बेहतर ढंग से समझने में मदद करेंगी। यह वैज्ञानिक दृष्टिकोण और समुदाय-संवेदनशील प्रयासों के ज़रिए कम-जाने गए पारिस्थितिक तंत्रों की सुरक्षा के महत्व को भी रेखांकित करता है।