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Blog / 23 Sep 2025

चिनाब नदी पर सावलकोट बांध

संदर्भ:

भारत का सवालकोट डैम प्रोजेक्ट, जो चेनाब नदी पर लंबे समय तक रुका हुआ था, हाल ही में देश की जल और ऊर्जा रणनीति में एक महत्वपूर्ण परियोजना के रूप में सामने आया है। इसका मुख्य उद्देश्य चेनाब बेसिन की हाइड्रोपावर क्षमता का प्रभावी उपयोग करना है। यह कदम स्वच्छ ऊर्जा की बढ़ती मांग और अंतरराष्ट्रीय समझौतों के तहत साझा जल संसाधनों के रणनीतिक प्रबंधन की जरूरत के बीच उठाया गया है।

सवालकोट डैम के बारे में:

सवालकोट हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट (HEP) जम्मू और कश्मीर के रामबन और उदयपुर जिलों में प्रस्तावित एक प्रमुख बुनियादी ढांचा परियोजना है। इसका उद्देश्य चेनाब नदी की हाइड्रोपावर क्षमता का उपयोग कर भारत की ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ाना और क्षेत्रीय आर्थिक विकास में योगदान देना है।

·        क्षमता: 1,856 मेगावाट (8 इकाइयाँ × 225 मेगावाट + 1 इकाई 56 मेगावाट पर्यावरणीय प्रवाह के लिए)

·        डैम का प्रकार: 192.5 मीटर ऊँचा रोलर-कंपैक्टेड कंक्रीट (RCC) ग्रैविटी डैम

EXCLUSIVE: With Indus Waters Treaty on hold, Centre panel to weigh  clearance for Sawalkote dam on Chenab this week | India News - The Indian  Express

कानूनी और कूटनीतिक संदर्भ:

चेनाब नदी (सिंधु नदी प्रणाली का हिस्सा है) जिसे भारत और पाकिस्तान के बीच बांटा गया है। इसके उपयोग को 1960 में हस्ताक्षरित इंडस वॉटर ट्रीटी (IWT) द्वारा नियंत्रित किया गया है।

  • इस संधि के तहत पश्चिमी नदियाँ (सिंधु, झेलम और चेनाब) पाकिस्तान को आवंटित की गई हैं, जबकि भारत को इन नदियों का अप-खपत उपयोग (non-consumptive purposes), जैसे हाइड्रोपावर उत्पादन, करने की अनुमति है।
  • हाल के भू-राजनीतिक परिवर्तनों के कारण भारत ने IWT को फिलहाल स्थगित कर दिया है, जिससे सवालकोट जैसी लंबित परियोजनाओं को पुनर्जीवित करने का मार्ग खुल गया है।

रणनीतिक महत्व:

  • ऊर्जा सुरक्षा: सवालकोट HEP जम्मू और कश्मीर का सबसे बड़ा हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट बनने जा रहा है, जो 900 मेगावाट की बगलीहर परियोजना से भी बड़ा होगा। चालू होने पर यह परियोजना क्षेत्र की ऊर्जा जरूरतों में महत्वपूर्ण योगदान देगी।
  • आर्थिक विकास: यह परियोजना स्थानीय अर्थव्यवस्था को रोजगार सृजन, बुनियादी ढांचे के विकास और बेहतर बिजली आपूर्ति के माध्यम से मजबूत करेगी।
  • पर्यावरणीय दृष्टिकोण: परियोजना में पर्यावरणीय प्रभाव कम करने के लिए उपाय किए गए हैं, जैसे 56 मेगावाट की सहायक इकाई का निर्माण ताकि नदी में आवश्यक पारिस्थितिक प्रवाह बना रहे।

चेनाब नदी के बारे में:

चेनाब नदी, सिंधु नदी प्रणाली की एक महत्वपूर्ण सहायक नदी है, जिसका क्षेत्र की भौगोलिक, आर्थिक और राजनीतिक स्थिति में महत्वपूर्ण योगदान है।

·         उत्पत्ति: चिनाब नदी हिमाचल प्रदेश के लाहौल और स्पीति जिलों में दो धाराओं, चंद्रा और भागा के संगम से बनती है।

·         वैकल्पिक नाम: ऊपरी भाग में इसे चंद्रभागा कहा जाता है ।

·         मार्ग: यह नदी केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर और हिमाचल प्रदेश से होकर बहती है। त्रिम्मु के पास झेलम नदी में मिलने के बाद, यह अंततः सतलुज नदी में मिल जाती है।

मुख्य सहायक नदियाँ:

चिनाब नदी प्रणाली को अनेक सहायक नदियाँ पोषित करती हैं, जिन्हें निम्नानुसार वर्गीकृत किया गया है:

·         बाएं तट की सहायक नदियाँ: निरू, तवी, नीरू, लिद्दरारी

·         दाएं तट की सहायक नदियाँ: अंस, भूत नाला, बिचलेरी, कलनाई, मारुसुदार, मियार नाला

चिनाब नदी पर प्रमुख बांध:

भारत ने अपनी जलविद्युत क्षमता का दोहन करने के लिए चिनाब पर कई बड़े बांधों का निर्माण किया है:

  • सलाल बांध: एक चट्टान भरा बांध
  • आलाल बांध: एक कंक्रीट बांध
  • बगलिहार बांध
  • दुल बांध

निष्कर्ष:

चेनाब नदी, अपनी महत्वपूर्ण पारिस्थितिक और भू-राजनीतिक भूमिका के कारण, भारत की जल और ऊर्जा रणनीति में केंद्रीय स्थान रखती है। सवालकोट जैसी लंबित परियोजनाओं का पुनरुद्धार यह दर्शाता है कि भारत सतत विकास, स्वच्छ ऊर्जा और अंतरराष्ट्रीय ढांचे, जैसे इंडस वॉटर ट्रीटी के तहत, जलीय संसाधनों के कुशल और जिम्मेदार प्रबंधन के प्रति प्रतिबद्ध है।