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Blog / 06 Aug 2025

यूनेस्को विश्व धरोहर सूची के लिए सारनाथ का नामांकन

संदर्भ:

हाल ही में प्राचीन बौद्ध स्थल सारनाथ को 2025-26 चक्र के लिए भारत की ओर से यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में औपचारिक रूप से नामांकित किया गया है। यह नामांकन भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा तैयार एवं प्रस्तुत किया गया।

सारनाथ के विषय में:

·        उत्तर प्रदेश में वाराणसी के पास स्थित, सारनाथ ऐतिहासिक, धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व का एक अत्यंत महत्वपूर्ण स्थल है।

·        सारनाथ वह स्थान है जहाँ गौतम बुद्ध ने ज्ञान प्राप्ति के बाद अपना पहला उपदेश दिया था, जिससे यह बौद्ध जगत में एक केंद्रीय स्थान बन गया। यह लुम्बिनी, बोधगया और कुशीनगर के साथ बौद्ध धर्म के चार सबसे पवित्र स्थलों में से एक है।

सारनाथ की प्रमुख विशेषताओं में शामिल हैं:

लगभग 500 ईस्वी में निर्मित धमेख स्तूप, जो बुद्ध के प्रथम उपदेश से जुड़ा हुआ एक प्रमुख स्मारक है।
सिंह-शीर्ष युक्त अशोक स्तंभ, जिसे भारत ने अपने राष्ट्रीय प्रतीक के रूप में अपनाया है
मौर्य से लेकर गुप्त काल तक निर्मित प्राचीन विहारों और मंदिरों के अवशेष, जो उस काल की स्थापत्य और धार्मिक परंपराओं का साक्ष्य प्रस्तुत करते हैं।

सारनाथ का यह नामांकन वैश्विक मंच पर भारत द्वारा अपनी समृद्ध मूर्त सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और संवर्धन हेतु किए जा रहे सतत प्रयासों को दर्शाता है।

Sarnath nominated as India'sUNESCO entry for 2025-2026 cycle

यूनेस्को विश्व धरोहर स्थलों के विषय में:

यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल (World Heritage Site - WHS) ऐसे स्थल होते हैं जिन्हें उनके 'उत्कृष्ट सार्वभौमिक मूल्य' (Outstanding Universal Value) के लिए मान्यता दी जाती है। ये स्थल मानवता के लिए सांस्कृतिक, प्राकृतिक या मिश्रित महत्व को दर्शाते हैं। इन्हें 1972 में अंगीकृत 'विश्व धरोहर सम्मेलन' (World Heritage Convention) के अंतर्गत संरक्षित किया जाता है, जो 1975 से प्रभाव में आया। भारत ने इस सम्मेलन का अनुसमर्थन वर्ष 1977 में किया था।

विश्व धरोहर समिति (WHS) तीन श्रेणियों में आती है:

1. सांस्कृतिक - स्मारक, इमारतों के समूह, पुरातात्विक स्थल

2. प्राकृतिक - प्राकृतिक विशेषताएँ, भूवैज्ञानिक संरचनाएँ, पारिस्थितिक तंत्र

3. मिश्रित - सांस्कृतिक और प्राकृतिक दोनों महत्व

चयन मानदंड:

योग्यता प्राप्त करने के लिए, किसी स्थल को दस मानदंडों में से कम से कम एक मानदंड पूरा करना होगा, जिनमें शामिल हैं:

मानव रचनात्मक प्रतिभा का प्रतिनिधित्व

ऐतिहासिक या सांस्कृतिक महत्व प्रदर्शित करना

पारिस्थितिक या भूवैज्ञानिक महत्व प्रदर्शित करना

असाधारण प्राकृतिक सौंदर्य या जैव विविधता युक्त होना

अन्य कारकों में प्रामाणिकता, संरक्षण, प्रबंधन और अखंडता शामिल हैं।

विश्व धरोहर समिति (WHC) के बारे में:

·        विश्व धरोहर समिति (WHC), जिसमें सदस्य राष्ट्र (भारत सहित) शामिल हैं, इस सूची का प्रबंधन करती है। यह स्थलों को जोड़ने, संशोधित करने या सूची से हटाने के लिए प्रतिवर्ष बैठक करती है और संकटग्रस्त स्थलों को विश्व धरोहर सूची में भी डाल सकती है।

·        भारत ने नई दिल्ली (जुलाई 2024) में 46वें विश्व धरोहर स्थल सम्मेलन की मेजबानी की। इस अवसर पर, अहोम राजवंश के 'मोइदम' को भारत के 43वें विश्व धरोहर स्थल के रूप में शामिल किया गया।

·        विश्व धरोहर कोष (स्था. 1977) सदस्य देशों और निजी दाताओं के योगदान के माध्यम से संरक्षण प्रयासों का समर्थन करता है।

निष्कर्ष:

यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त होने से न केवल सारनाथ की वैश्विक पहचान और प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी, बल्कि यह सांस्कृतिक कूटनीति एवं पर्यटन विकास को भी सशक्त बनाएगा। यह पहल भारत द्वारा अपने ऐतिहासिक, आध्यात्मिक एवं स्थापत्य महत्व वाले स्थलों को अंतरराष्ट्रीय मान्यता दिलाने एवं संरक्षित करने के सतत प्रयासों के अनुरूप है।