होम > Blog

Blog / 19 Aug 2025

समुद्रयान मिशन

संदर्भ:

हाल ही में भारत के दो जलयात्रियों कमांडर (सेवानिवृत्त) जतिंदर पाल सिंह और आर. रमेश ने अटलांटिक महासागर में क्रमशः 5,002 मीटर और 4,025 मीटर की गहराई तक गोता लगाकर अब तक के सबसे गहरे मानवयुक्त समुद्री अभियान को सफलतापूर्वक पूरा किया। यह प्रयास भारत के पहले मानवयुक्त गहरे समुद्र मिशन 'समुद्रयान' के प्रशिक्षण कार्यक्रम का हिस्सा था, जिसे फ्रांसीसी गहरे समुद्र पनडुब्बी नॉटाइल (Nautile) की सहायता से संचालित किया गया।

समुद्रयान मिशन के बारे में:

समुद्रयान मिशन भारत का पहला मानवयुक्त गहरे समुद्र का अभियान है, जिसे पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (MoES) के तहत प्रारंभ किया गया है। इस मिशन का उद्देश्य एक ऐसी स्व-चालित पनडुब्बी विकसित करना है, जो तीन वैज्ञानिकों को समुद्र की सतह से 6,000 मीटर की गहराई तक सुरक्षित रूप से ले जाने में सक्षम हो।

·        इस पहल का लक्ष्य समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित किए बिना गहरे समुद्र में स्थित संसाधनों का अन्वेषण करना और जैव विविधता का वैज्ञानिक मूल्यांकन करना है।

·        यह मिशन भारत की नीली अर्थव्यवस्था नीति के अनुरूप है, जिसका उद्देश्य समुद्री संसाधनों के सतत और समावेशी उपयोग को प्रोत्साहित करना है।

About Samudrayaan | UPSC Current Affairs | IAS GYAN

मत्स्य 6000:

समुद्रयान मिशन के तहत विकसित की जा रही मानवयुक्त पनडुब्बी का नाममत्स्य 6000’ है, जिसे राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान (NIOT), चेन्नई द्वारा स्वदेशी रूप से विकसित किया जा रहा है।

यह वैज्ञानिकों को महासागर के गहरे, अब तक अनछुए क्षेत्रों का प्रत्यक्ष निरीक्षण करने में सक्षम बनाएगी।
मत्स्य 6000 की संचालन क्षमता 12 घंटे है, जिसे आपातकालीन परिस्थितियों में 96 घंटे तक बढ़ाया जा सकता है।
इसके प्रक्षेपण के बाद, संभावित रूप से 2027 तक, भारत अमेरिका, रूस, फ्रांस, जापान और चीन के बाद मानवयुक्त गहरे समुद्र अभियान पूरा करने वाला छठा देश बन जाएगा।

गहरे समुद्र मिशन (Deep Ocean Mission)-

समुद्रयान, भारत सरकार के गहरे समुद्र मिशन (Deep Ocean Mission) का एक प्रमुख घटक है। यह मिशन भारत की नीली अर्थव्यवस्था नीति को समर्थन देने वाली एक बहु-मंत्रालयी, बहु-विषयक पहल है।

इसका कुल बजट ₹4,077 करोड़ है, जिसे 2021 से 2026 की अवधि के लिए स्वीकृत किया गया है।
यह मिशन छह प्रमुख घटकों पर केंद्रित है:

1.        गहरे समुद्र में खनन और रोबोटिक्स के लिए प्रौद्योगिकियाँ

2.      महासागरीय जलवायु सलाहकार सेवाएँ

3.      जैव विविधता का अन्वेषण और संरक्षण

4.     गहरे समुद्र का सर्वेक्षण और अन्वेषण

5.      महासागर-आधारित ऊर्जा और पेयजल उत्पादन

6.     उन्नत समुद्री जैव प्रौद्योगिकी केंद्र की स्थापना

राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान (NIOT)  के बारे में:

1993 में स्थापित, राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान (NIOT) एक स्वायत्त संस्थान है, जो पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (MoES) के अधीन कार्य करता है।


संस्थान का प्रमुख उद्देश्य भारत के विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र (EEZ) में समुद्री संसाधनों के सतत अन्वेषण हेतु स्वदेशी समुद्री प्रौद्योगिकियों का विकास करना है।
समुद्रयान परियोजना के तहत गहरे समुद्र के अन्वेषण में भारत की प्रगति को साकार करने में NIOT की केंद्रीय भूमिका है।

निष्कर्ष:

हाल ही में हुए गहरे समुद्र गोताखोरी अभियान ने भारतीय जलयात्रियों की क्षमताओं और गहरे समुद्र में भारत की बढ़ती विशेषज्ञता को उजागर किया है। समुद्रयान मिशन की सफलता न केवल वैज्ञानिक अनुसंधान को सशक्त बनाएगी, बल्कि यह समुद्री संसाधनों के अन्वेषण और सतत दोहन के नए द्वार भी खोलेगी। यह पहल भारत को नीली अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्व की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम प्रदान करती है।