संदर्भ:
हाल ही में सालखन फॉसिल पार्क (जिसे सोनभद्र फॉसिल्स पार्क के नाम से भी जाना जाता है) यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों की संभावित सूची (Tentative List) में शामिल किया गया है। यह कदम भारत की भूवैज्ञानिक विरासत को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
सालखन फॉसिल पार्क के बारे में:
सालखन फॉसिल पार्क उत्तर प्रदेश के सोनभद्र ज़िले में, रॉबर्ट्सगंज के पास स्थित सालखन गांव में स्थित है। यह पार्क कैमूर पहाड़ियों लगभग 25 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला हुआ है। यहां करीब 1.4 अरब (1.4 बिलियन) वर्ष पुराने जीवाश्म पाए जाते हैं।
· इस पार्क की सबसे खास विशेषता यहां पाए जाने वाले स्ट्रोमैटोलाइट्स हैं। ये परतदार तलछटी संरचनाएं होती हैं, जो प्राचीन सायनोबैक्टीरिया (ब्लू-ग्रीन एल्गी) द्वारा निर्मित की गई थीं। ये सूक्ष्मजीव प्रकाश-संश्लेषण करते थे और पृथ्वी पर जीवन के सबसे शुरुआती रूपों में गिने जाते हैं।
· सालखन में मिले स्ट्रोमैटोलाइट्स मेसोप्रोटेरोज़ोइक युग से संबंधित हैं, जो लगभग 1.6 से 1.0 अरब साल पहले का काल था। ये जीवाश्म ऑस्ट्रेलिया के शार्क बे या अमेरिका के येलोस्टोन नेशनल पार्क जैसे प्रसिद्ध स्थलों पर पाए जाने वाले जीवाश्मों की तुलना में कहीं अधिक प्राचीन हैं।
· इन जीवाश्मों का वैज्ञानिक महत्व अत्यधिक है। लम्बे समय तक यह माना जाता रहा कि पृथ्वी पर जटिल जीवन की शुरुआत लगभग 57 करोड़ (570 मिलियन) साल पहले हुई थी। लेकिन सालखन में हुई खोजों ने इस धारणा को चुनौती दी है और यह दर्शाया है कि जीवन इससे भी पहले अस्तित्व में था।
· यह स्थल न केवल पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति को समझने में मदद करता है, बल्कि प्राचीन महासागरीय पारिस्थितिकी तंत्र की संरचना और विकास को जानने में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
संरक्षण और विकास:
उत्तर प्रदेश सरकार ने इस स्थल के विकास के लिए 1.5 करोड़ रुपये का बजट दिया है, जिसमें शामिल हैं:
· नेचर ट्रेल (प्राकृतिक भ्रमण पथ)
· विज़िटर इंटरप्रिटेशन सेंटर (दर्शकों के लिए जानकारी केंद्र)
· सुरक्षा सुविधाएं
इसके साथ ही, वैज्ञानिक शोध और दस्तावेजीकरण के लिए लखनऊ स्थित बीरबल साहनी पुराविज्ञान संस्थान के साथ एक समझौता (MoU) भी किया गया है।
यूनेस्को की संभावित सूची के बारे में:
संभावित सूची (Tentative List) वह प्रारंभिक सूची होती है, जिसमें कोई भी देश उन सांस्कृतिक या प्राकृतिक स्थलों को शामिल करता है जिन्हें वह भविष्य में यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में नामित करना चाहता है।
· किसी भी स्थल को इस सूची में शामिल करने के लिए यह प्रमाणित करना आवश्यक होता है कि उसमें “असाधारण सार्वभौमिक मूल्य” (Outstanding Universal Value) है. अर्थात् उसकी सांस्कृतिक या प्राकृतिक महत्ता ऐसी होनी चाहिए जो केवल उस देश तक सीमित न होकर वैश्विक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण हो।
· किसी भी स्थल को विश्व धरोहर के रूप में औपचारिक रूप से नामित करने से कम से कम एक वर्ष पहले उसका संभावित सूची में शामिल होना अनिवार्य है।
· देशों को प्रोत्साहित किया जाता है कि वे अपनी संभावित सूची को समय-समय पर, आमतौर पर हर दस वर्षों में, अद्यतन (अपडेट) करें ताकि उसमें नए महत्वपूर्ण स्थलों को जोड़ा जा सके।
निष्कर्ष:
सालखन फॉसिल पार्क न केवल वैज्ञानिक शोध का एक महत्वपूर्ण केंद्र है, बल्कि यह भू-पर्यटन (Geotourism) को बढ़ावा देने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है। यह स्थल शोधकर्ताओं, छात्रों और आम दर्शकों को पृथ्वी पर प्रारंभिक जीवन के सबसे प्राचीन साक्ष्यों को प्रत्यक्ष रूप से देखने और समझने का अनूठा अवसर प्रदान करता है। जीवाश्म विज्ञान और भूविज्ञान के क्षेत्र में यह भारत की एक अमूल्य प्राकृतिक धरोहर है, जो न केवल शैक्षणिक दृष्टि से बल्कि पर्यटन और संरक्षण के दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।