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Blog / 13 Oct 2025

‘सक्षम’ (SAKSHAM) अनमैन्ड एरियल सिस्टम ग्रिड

संदर्भ:

भारतीय सेना ने उभरते ड्रोन खतरों से अपनी सुरक्षा को मज़बूत करने के लिए घरेलू स्तर पर विकसित काउंटर अनमैन्ड एरियल सिस्टम (यूएएस) ग्रिड ‘सक्षम’ की खरीद शुरू कर दी है। भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) द्वारा विकसित, सक्षम को वास्तविक समय में शत्रुतापूर्ण मानवरहित हवाई प्रणालियों (Unmanned Aerial Systems) का पता लगाने, उन्हें ट्रैक करने, पहचानने और उन्हें बेअसर करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

पृष्ठभूमि:

    • ड्रोन विरोधी मजबूत तंत्र की आवश्यकता विशेष रूप से ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) के दौरान सामने आई, जब ड्रोन के झुंड (drone swarms) सीमाओं को पार कर गए जिससे ड्रोन का पता लगाने, प्रतिक्रिया की गति और वायुक्षेत्र नियंत्रण में मौजूद कमियों को उजागर किया।
    • पारंपरिक युद्ध क्षेत्र की अवधारणा जो केवल भूमि और निम्न ऊँचाई वाले वायु क्षेत्र तक सीमित थी, अब पुनर्विचार के केंद्र में है।
      सेना ने "टैक्टिकल बैटल एरिया" (Tactical Battle Area – TBA) की अवधारणा से आगे बढ़कर "टैक्टिकल बैटलफील्ड स्पेस" (Tactical Battlefield Space – TBS) की अवधारणा अपनाई है, जिसमें वायु लिटोरल (Air Littoral) अर्थात् भूमि से लगभग 3,000 मीटर (लगभग 10,000 फीट) ऊँचाई तक का वायुक्षेत्र शामिल है। सक्षमका उद्देश्य इसी वायु क्षेत्र की सुरक्षा सुनिश्चित करना है।

🇮🇳 Indian Army's New SAKSHAM System | BEL's Indigenous Counter-Drone Grid  | Current Affairs 2025 - YouTube

सक्षम की प्रमुख विशेषताएँ:

विशेषता

विवरण

पूर्ण परिस्थितिजन्य जागरूकता (“Recognised UAS Picture”)

सक्षमविभिन्न सेंसरों (रडार, रेडियो फ्रीक्वेंसी, इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल/इन्फ्रारेड आदि) से प्राप्त सूचनाओं को एकीकृत करेगा, ताकि मित्र, तटस्थ और शत्रु हवाई इकाइयों का समग्र चित्र तैयार हो सके।

सॉफ्ट और हार्ड किल विकल्प

यह प्रणाली गैर-गतिज अवरोधन (जैमिंग/स्पूफिंग) और गतिज निष्क्रियकरण (विनाश)दोनों का समर्थन करती है, जो खतरे के प्रकार और दूरी पर निर्भर करता है।

कमांड और कंट्रोल नेटवर्क ग्रिड

यह एक ग्रिड प्रणाली है जिसमें विभिन्न क्षेत्रों में स्थापित डिटेक्शन, ट्रैकिंग और न्यूट्रलाइजेशन नोड्स को जोड़ा गया है। यह सेना के सुरक्षित डेटा नेटवर्क (Army Data Network – ADN) पर कार्य करती है, जिससे विभिन्न फॉर्मेशन और शाखाएँ रीयल-टाइम में वायु स्थिति साझा कर सकें।

एआई / स्वचालित निर्णय समर्थन प्रणाली

सक्षममें कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और मशीन लर्निंग (ML) आधारित उपकरण हैं, जो खतरों को वर्गीकृत करने, प्रतिक्रिया को प्राथमिकता देने और निर्णय-निर्माण की गति बढ़ाने में सहायता करते हैं। यह प्रणाली भविष्य में खतरों के विकसित रूप के अनुसार अपग्रेड या स्केल की जा सकेगी।

जीआईएस आधारित कॉमन ऑपरेटिंग पिक्चर

यह भौगोलिक सूचना प्रणाली (GIS) का उपयोग कर युद्ध क्षेत्र के वायुक्षेत्र का दृश्य प्रस्तुत करती है जिसमें शत्रु ड्रोन खतरों और मित्र संपत्तियों दोनों को दर्शाया जाता है।

मौजूदा प्रणालियों के साथ एकीकरण

सक्षमको आकाशतीर’ (Akashteer) — भारत की स्वचालित वायु रक्षा नियंत्रण एवं रिपोर्टिंग प्रणाली के साथ एकीकृत किया जाएगा, ताकि सभी वायु उपयोगकर्ताओं का समन्वय और प्रतिक्रिया सुनिश्चित हो सके।

 

सक्षम के रणनीतिक निहितार्थ:

1.        विस्तारित वायुक्षेत्र नियंत्रण (3,000 मीटर तक):

o    यह जमीनी बलों को निम्न और मध्यम ऊँचाई वाले वायुक्षेत्र पर अधिक नियंत्रण प्रदान करता है।

o    आधुनिक युद्ध में यूएवी (UAVs) और ड्रोन स्वार्म से निपटने के लिए यह अत्यंत आवश्यक है।

2.      तेज़ प्रतिक्रिया और कम संवेदनशीलता:

o    यह प्रणाली डिटेक्शन, ट्रैकिंग, निर्णय-निर्माण और निष्क्रियकरण प्रक्रियाओं को एकीकृत करती है।

o    इससे प्रतिक्रिया समय घटता है और शत्रु ड्रोन से उत्पन्न खतरे में कमी आती है।

3.      स्वदेशी अनुसंधान और विनिर्माण को बढ़ावा:

o    सक्षमपूरी तरह से भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) द्वारा विकसित किया गया है।

o    यह आत्मनिर्भर भारत (Aatmanirbhar Bharat) मिशन और भारतीय सेना के परिवर्तन के दशक (2023–2032) के लक्ष्यों को सशक्त करता है।

4.     मजबूत प्रतिरोध और सीमा सुरक्षा:

o    यह भारत की ड्रोन घुसपैठ का पता लगाने और उन्हें निष्क्रिय करने की क्षमता को बढ़ाता है, विशेष रूप से पाकिस्तान सीमा के निकट।

o    इससे शत्रु के ड्रोन अभियानों को अधिक जोखिमपूर्ण और अप्रभावी बनाया जा सकता है।

निष्कर्ष:

सक्षमभारत की वायु रक्षा प्रणाली के आधुनिकीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह रीयल-टाइम सेंसर फ्यूज़न, कृत्रिम बुद्धिमत्ता समर्थन, और सॉफ्ट/हार्ड किल क्षमताओं के माध्यम से 3,000 मीटर तक के वायु क्षेत्र में ड्रोन खतरों से निपटने में सक्षम है। यदि इसे प्रभावी ढंग से तैनात, एकीकृत और निरंतर अद्यतन किया जाए, तो यह सीमावर्ती परिसंपत्तियों की रक्षा, शत्रु UAVs को रोकने, और भारत की रक्षा प्रौद्योगिकी क्षमता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।