होम > Blog

Blog / 07 Aug 2025

रूस आईएनएफ संधि से हटा

संदर्भ:

हाल ही में रूस ने मध्यम दूरी की परमाणु शक्ति (INF) संधि से हटने की घोषणा की है, जो 1987 में अमेरिका और तत्कालीन सोवियत संघ के बीच हस्ताक्षरित एक ऐतिहासिक हथियार नियंत्रण समझौता था। यह निर्णय दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव की पृष्ठभूमि में लिया गया है, जो भू-राजनीतिक टकराव, प्रतिबंधों और परमाणु नीति में आक्रामक रुख से प्रेरित है।

आईएनएफ संधि के बारे में:

अमेरिका और तत्कालीन सोवियत संघ के बीच वर्ष 1987 में हस्ताक्षरित 'इंटरमीडिएट-रेंज न्यूक्लियर फोर्सेज' (INF) संधि एक महत्वपूर्ण हथियार नियंत्रण समझौता थी, जिसका उद्देश्य 500 से 5,500 किलोमीटर तक की मारक क्षमता वाली परमाणु मिसाइलों की तैनाती को रोकना था।

·         शीत युद्ध के दौरान हथियार नियंत्रण व्यवस्था के संदर्भ में यह संधि एक बड़ी उपलब्धि मानी जाती है, जिसका प्रमुख उद्देश्य विशेष रूप से यूरोप में परमाणु संघर्ष के बढ़ते खतरे को कम करना था।

·         इस संधि ने उन मिसाइलों को प्रभावी रूप से हटाया, जिन्हें कम समय में तैनात किया जा सकता था और जो कम दूरी पर भी अत्यधिक विनाशकारी हमले करने में सक्षम थीं।

Russia withdraws from INF Treaty

रूस द्वारा आईएनएफ (INF) संधि छोड़ने के कारण:

रूस का आईएनएफ संधि से बाहर निकलने का निर्णय अमेरिका की कार्रवाइयोंविशेष रूप से यूरोप और एशिया में मध्यम दूरी की मिसाइलों की तैनातीके प्रति एक प्रतिक्रिया के रूप में देखा जा रहा है।

·         मास्को इन तैनातियों को अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा मानता है और तर्क देता है कि ये संधि की मूल भावना को कमजोर करती हैं।

·         एक अन्य कारण अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा रूस पर लगाए गए व्यापक प्रतिबंध हैं, जिनके चलते दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ गया।

·         इन प्रतिबंधों में भारत और चीन जैसे देशों पर दंडात्मक उपायों की चेतावनी शामिल थी, जो रूसी तेल खरीदना जारी रखे हुए थे। इसके अतिरिक्त, यूक्रेन संकट पर अमेरिकी मांगों का पालन न करने वाले देशों को दंडित करने की धमकियाँ भी दी गई थीं।

कौन से देश सबसे ज़्यादा ख़तरे में हैं?

INF संधि के विघटन से सबसे तात्कालिक रूप से प्रभावित यूरोप के नाटो सदस्य देश और एशिया-प्रशांत क्षेत्र के देश हैं। रूस का संधि से हटना और मध्यम दूरी की मिसाइलों की पुनः तैनाती का उसका इरादा यूरोपीय देशों, विशेष रूप से रूस से सटे देशों के लिए प्रत्यक्ष खतरा उत्पन्न करता है। एस्टोनिया, पोलैंड और यूक्रेन जैसे नाटो सहयोगी अब रूसी मिसाइलों की नई तैनाती की सीमा में आ गए हैं।

वैश्विक सुरक्षा पर प्रभाव:

  • INF संधि का विघटन एक अधिक अस्थिर और खतरनाक वैश्विक व्यवस्था की संभावना को दर्शाता है, जहाँ शांति और सुरक्षा का निर्धारण कूटनीति के बजाय तात्कालिक मिसाइल तैनाती पर आधारित हो सकता है।
  • विशेषज्ञों का मानना है कि यदि सैन्य गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिए कोई स्पष्ट और विश्वसनीय व्यवस्था नहीं रही, तो गलतफहमी और टकराव की आशंका बढ़ सकती है।
  • अमेरिका और रूस के बीच प्रत्यक्ष और प्रभावी संवाद की कमी इस अनिश्चितता और तनाव को और अधिक बढ़ावा देती है।

निष्कर्ष:

रूस के INF संधि से हटने और उसकी नई मिसाइल संबंधी महत्वाकांक्षाओं ने यह आशंका बढ़ा दी है कि विश्व एक नए शीत युद्ध जैसे परिदृश्य की ओर बढ़ रहा है। परमाणु-सक्षम हथियारों की पारस्परिक तैनाती, क्षेत्रीय तनावों में वृद्धि और परस्पर प्रतिबंधों की नीति इस ओर संकेत करती है कि शीत युद्ध के बाद का रणनीतिक सहयोग का युग समाप्ति की ओर है।