होम > Blog

Blog / 25 Jul 2025

रूस ने तालिबान सरकार को औपचारिक मान्यता दी

सन्दर्भ:
हाल ही में रूस के काबुल स्थित राजदूत दिमित्री जिरनोव ने तालिबान के कार्यवाहक विदेश मंत्री मौलवी अमीर खान मुत्ताकी को सूचित किया कि मास्को ने तालिबान को अफगानिस्तान की वैध सरकार के रूप में औपचारिक रूप से मान्यता देने का निर्णय लिया है। इसके तुरंत बाद, हेग स्थित अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) ने दो वरिष्ठ तालिबान नेताओं के खिलाफ लिंग-आधारित उत्पीड़न के आरोपों में गिरफ्तारी वारंट जारी किए।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

1.        अफगानिस्तान पर सामरिक प्रतिस्पर्धा
• 19वीं सदी के दौरान, अफगानिस्तान ब्रिटिश साम्राज्य और जारशाही रूस के बीच "महाखेल" (Great Game) में एक बफर राज्य था।
• 1919 में, तीसरे एंग्लो-अफगान युद्ध के बाद, अफगानिस्तान ने ब्रिटिश प्रभाव को खारिज कर स्वतंत्रता की ओर कदम बढ़ाया।
• 1917 की क्रांति के बाद लेनिन की सोवियत संघ सरकार ने वैचारिक और क्षेत्रीय समर्थन देते हुए अफगान स्वतंत्रता का समर्थन किया।

2.      सोवियत हस्तक्षेप (1978–1989)
• 1978 में अफगानिस्तान में एक समाजवादी सरकार सत्ता में आई, जो सोवियत संघ के साथ संबद्ध थी।
• 1979 में सोवियत आक्रमण, ब्रेजनेव सिद्धांत के तहत न्यायोचित ठहराया गया, और एक दशक तक चलने वाला संघर्ष आरंभ हुआ।
यह युद्ध 1989 में समाप्त हुआ, जिसमें लगभग 20,000 सोवियत सैनिक और 15 लाख अफगान नागरिक मारे गए।

3.      उत्तर- सोवियत रूस की भूमिका
• 9/11 के बाद, रूस ने आतंकवाद के विरुद्ध वैश्विक अभियान का समर्थन किया, विशेष रूप से अपने क्षेत्रों में विद्रोही खतरों को रोकने हेतु।
• 1990 के दशक में तालिबान से तनाव के बावजूद, 2021 के बाद मास्को ने कूटनीतिक जुड़ाव बनाए रखा।
• 2017 से, "मॉस्को प्रारूप" नामक बहुपक्षीय कूटनीतिक मंच में प्रमुख क्षेत्रीय पक्ष शामिल हुए, जिनका उद्देश्य संवाद के माध्यम से स्थिरता लाना था।

Taliban government

हालिया घटनाक्रम:

1.        कूटनीतिक मान्यता
यह मान्यता रूस के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 2025 की शुरुआत में तालिबान को आतंकी सूची से हटाए जाने के निर्णय के बाद आई।
इस औपचारिक स्वीकार्यता से दोनों देशों को व्यापार, ऊर्जा और सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने का रास्ता मिला है।

2.      आर्थिक सहयोग
• 2022 में, रूस ने अफगानिस्तान को रियायती दरों पर ईंधन और गेहूं की आपूर्ति हेतु प्रारंभिक समझौते किए।
• 2024 में द्विपक्षीय व्यापार दोगुना होकर लगभग 1 अरब अमेरिकी डॉलर हुआ, और 2025 में इसके 3 अरब डॉलर तक पहुंचने की संभावना है।
रूस ने अफगान श्रमिकों को अपने श्रम बाजार में अवसर प्रदान किए हैं और बुनियादी ढांचा व तकनीकी साझेदारी के क्षेत्रों में संभावनाएं तलाश रहा है।

3.      कानूनी और नैतिक पक्ष
• ICC द्वारा जारी गिरफ्तारी वारंटों से महिलाओं और अल्पसंख्यकों के साथ व्यवहार को लेकर गहरी अंतरराष्ट्रीय चिंता सामने आई है।
यह स्थिति कूटनीतिक मान्यता और वैश्विक उत्तरदायित्व प्रयासों के बीच तीव्र विरोधाभास को दर्शाती है।

क्षेत्रीय और वैश्विक प्रतिक्रियाएँ
चीन ने 2023 में अफगानिस्तान में अपने राजदूत की नियुक्ति कर पहले ही संबंध गहरे किए थे।
पाकिस्तान, यूएई, तुर्की और अजरबैजान जैसे अन्य प्रमुख क्षेत्रीय देशों ने भी कूटनीतिक स्तर पर तालिबान से संवाद बनाए रखा है।
भारत, भले ही तालिबान सरकार को औपचारिक मान्यता नहीं देता, परंतु वह विकास सहयोग जारी रखे हुए है और शिक्षा, अवसंरचना व स्वास्थ्य क्षेत्रों में अपनी तकनीकी उपस्थिति बनाए हुए है।

भारत और अन्य के लिए प्रभाव

1.        कूटनीतिक संतुलन: भारत को अब यह मूल्यांकन करना होगा कि तालिबान शासन के साथ बढ़ते संवाद को कितना आगे बढ़ाया जाएजहाँ राष्ट्रीय हित, मानवाधिकार और क्षेत्रीय स्थिरता के बीच संतुलन साधना आवश्यक होगा।

2.      सामरिक संपर्क: अफगानिस्तान भारत की कनेक्ट सेंट्रल एशियापहल का केंद्र बना हुआ है। रूस व अन्य देशों की मान्यता इस दिशा में व्यापार, परिवहन और संपर्क के नए रास्ते खोल सकती है।

3.      मानवीय पहुंच: शिक्षा और चिकित्सा वीजा के अवसर बढ़ाकर भारत अफगान युवाओं और महिलाओं के साथ दीर्घकालिक सद्भावना और विकास साझेदारी को सुदृढ़ कर सकता है।

निष्कर्ष
रूस द्वारा तालिबान सरकार को मान्यता अफगानिस्तान की कूटनीतिक पुनः-स्वीकृति की दिशा में एक निर्णायक मोड़ है, जो एक ओर आर्थिक सहयोग और क्षेत्रीय संपर्क के अवसर खोलता है, तो दूसरी ओर वैश्विक मानदंडों और मानवाधिकार दायित्वों से सामंजस्य की चुनौती भी पेश करता है। भारत समेत प्रमुख क्षेत्रीय देशों के लिए चुनौती यह है कि वे ऐसा रणनीतिक संतुलन विकसित करें, जो राष्ट्रीय हितों को सुरक्षित रखते हुए अफगानिस्तान में स्थिरता और मानवीय प्रगति को भी समर्थन दे।