संदर्भ:
हाल ही में नीति आयोग ने डेलॉइट के सहयोग से तैयार "समावेशी सामाजिक विकास के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता" नामक एक रिपोर्ट जारी की है। यह रिपोर्ट भारत के 49 करोड़ अनौपचारिक कामगारों (जो देश के सकल घरेलू उत्पाद का लगभग आधा हिस्सा हैं) को लाभ पहुँचाने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) और अन्य अग्रणी तकनीकों के उपयोग की रणनीति की रूपरेखा प्रस्तुत करती है।
रिपोर्ट की मुख्य बातें:
· मिशन डिजिटल श्रमसेतु: एक ऐसा राष्ट्रीय मिशन प्रस्तावित किया गया है, जिसका उद्देश्य एक समग्र रोडमैप और मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र तैयार करना है, जो हर श्रमिक के लिए एआई को आसान, किफायती और प्रभावी तरीके से उपलब्ध करा सके।
· अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों का उपयोग: रिपोर्ट इस बात पर जोर देती है कि एआई, ब्लॉकचेन, इमर्सिव लर्निंग जैसी उन्नत तकनीकों का उपयोग करके असंगठित श्रमिकों की प्रमुख समस्याएँ “वित्तीय असुरक्षा, सीमित बाजार पहुंच और कौशल की कमी” को दूर किया जा सकता है।
· समावेशी विकास की दिशा में चेतावनी: चेतावनी देती है कि कि यदि एआई अपनाने और डिजिटल कौशल विकास में देरी हुई, तो 2047 तक असंगठित श्रमिकों की औसत वार्षिक आय लगभग 6,000 डॉलर पर ही सीमित रह सकती है, जो भारत को उच्च-आय वाले राष्ट्र के स्तर तक ले जाने के लिए आवश्यक 14,500 डॉलर की आय सीमा से काफी कम है।
मिशन डिजिटल श्रमसेतु के उद्देश्य:
-
- डिजिटल स्किलिंग: असंगठित श्रमिकों के लिए ऐसी सीखने की सुविधाएं देना जो लचीली हों, आसानी से उपलब्ध हों और वास्तविक मांग पर आधारित हों।
- डिजिटल गरिमा का संवर्धन: तकनीक को बहिष्कार का साधन न बनाकर सम्मान और सशक्तिकरण का उपकरण के रूप में प्रस्तुत करना।
- बहु-हितधारक सहयोग: अनौपचारिक श्रमिकों के सामने आने वाली जटिल चुनौतियों का समाधान करने के लिए सरकार, उद्योग, शिक्षा और नागरिक समाज को एकजुट करना।
- डिजिटल स्किलिंग: असंगठित श्रमिकों के लिए ऐसी सीखने की सुविधाएं देना जो लचीली हों, आसानी से उपलब्ध हों और वास्तविक मांग पर आधारित हों।
रिपोर्ट का महत्व:
रिपोर्ट इस बात पर जोर देती है कि भारत के असंगठित श्रमिकों के जीवन में बदलाव लाने के लिए सामूहिक प्रयास और साझेदारी वहुत जरूरी है। एआई और अन्य तकनीकों का सही उपयोग करके भारत उत्पादकता, विकास और समावेशिता के नए रास्ते खोल सकता है।
भारत का असंगठित क्षेत्र:
भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ माने जाने वाले इस क्षेत्र में आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23 के अनुसार कुल कार्यबल का 90% से अधिक हिस्सा काम करता है और यह क्षेत्र लगभग 50% जीडीपी में योगदान देता है। इसके बावजूद यह क्षेत्र नीतिगत चर्चाओं और विकास योजनाओं में अक्सर पीछे छूट जाता है।
भारत का अनौपचारिक क्षेत्र:
अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) के अनुसार, भारत दुनिया की सबसे बड़ी असंगठित अर्थव्यवस्थाओं में से एक है, जहाँ 40 करोड़ से अधिक श्रमिक कम आय, अस्थिर काम और बिना सामाजिक सुरक्षा या कानूनी संरक्षण के काम करते हैं।
-
- नीति आयोग बताता है कि असंगठित क्षेत्र खासकर ग्रामीण इलाकों में रोजगार का बड़ा स्रोत है, जहाँ ऐसे श्रमिकों का 80% हिस्सा केंद्रित है।
- नीति आयोग बताता है कि असंगठित क्षेत्र खासकर ग्रामीण इलाकों में रोजगार का बड़ा स्रोत है, जहाँ ऐसे श्रमिकों का 80% हिस्सा केंद्रित है।
निष्कर्ष:
नीति आयोग की यह रिपोर्ट भारत में एआई नीति की सोच को एक नए दृष्टिकोण की ओर ले जाती है। अब एआई को सिर्फ औपचारिक क्षेत्रों या उच्च स्तरीय नवाचार के उपकरण के रूप में नहीं देखा जा रहा, बल्कि इसे उन करोड़ों असंगठित श्रमिकों के जीवन में परिवर्तन लाने वाले साधन के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है, जिन्हें पारंपरिक विकास मॉडल ने पीछे छोड़ दिया था। प्रस्तावित मिशन डिजिटल श्रमसेतु इसी दृष्टिकोण को समाहित करता है, जिसका उद्देश्य बुनियादी ढाँचा, विश्वास, कौशल और सक्षमता का निर्माण करना है ताकि एआई आय बढ़ाने, काम की गरिमा में सुधार लाने और देश के विकसित भारत 2047 के लक्ष्य में अपनी भूमिका निभाने में मदद कर सके।