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Blog / 06 Nov 2025

भारत में बढ़ती असमानता: धन अंतर, कारण और नीति प्रतिक्रिया – Dhyeya IAS

सन्दर्भ:

हाल ही में दक्षिण अफ्रीका की अध्यक्षता में तैयार की गई एक जी20 रिपोर्ट, जिसका नेतृत्व नोबेल पुरस्कार विजेता जोसेफ स्टिग्लिट्ज़ ने किया, में पाया गया कि भारत के सबसे अमीर 1% लोगों की संपत्ति वर्ष 2000 से 2023 के बीच 62% बढ़ी है।

मुख्य निष्कर्ष:

      • विश्व में शीर्ष 1 प्रतिशत लोगों ने वर्ष 2000 से 2024 के बीच सृजित कुल नई संपत्ति का 41 प्रतिशत हिस्सा अर्जित किया, जबकि निचले 50 प्रतिशत लोगों को मात्र 1 प्रतिशत संपत्ति प्राप्त हुई।
      • भारत के सबसे अमीर 1 प्रतिशत लोगों की संपत्ति में 62 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जो चीन के शीर्ष 1 प्रतिशत (54 प्रतिशत) से भी अधिक है।
      • जिन देशों में असमानता का स्तर अधिक है, वहाँ लोकतंत्र के ह्रास की संभावना सात गुना अधिक पाई गई है। बढ़ती असमानताएँ आर्थिक स्थिरता, सामाजिक एकता और जलवायु कार्रवाई के लिए गंभीर खतरा उत्पन्न करती हैं।
      • वर्ष 2020 के बाद से वैश्विक गरीबी में कमी की गति धीमी पड़ी है; वर्तमान में लगभग 2.3 अरब लोग मध्यम या गंभीर खाद्य असुरक्षा से ग्रस्त हैं, जबकि 1.3 अरब लोग स्वास्थ्य पर प्रत्यक्ष व्यय के कारण गरीबी रेखा के नीचे पहुंच गए हैं।

भारत में असमानता के प्रमुख कारण:

      • संपत्ति का केंद्रीकरण: उच्च आय वर्ग द्वारा वित्तीय बाजारों, रियल एस्टेट और कॉर्पोरेट मुनाफे के माध्यम से तीव्र गति से संपत्ति का संचय किया गया है।
      • कर प्रणाली की खामियाँ: आय और संपत्ति पर कर प्रणाली में प्रगतिशीलता की कमी के कारण उच्च आय वर्ग अपनी आय का असमान रूप से बड़ा हिस्सा अपने पास बनाए रखने में सक्षम रहा है।
      • सुविधाओं की असमान पहुँच: गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं और प्रौद्योगिकी तक असमान पहुँच ने पीढ़ी दर पीढ़ी संपत्ति के अंतर को और गहरा किया है।
      • ग्रामीण-शहरी विभाजन: आर्थिक विकास का लाभ मुख्यतः शहरी और औद्योगिक क्षेत्रों तक सीमित रहा है, जबकि ग्रामीण जनसंख्या इस विकास प्रक्रिया से काफी हद तक वंचित रह गई है।

नीतिगत निहितार्थ:

रिपोर्ट इस बात पर जोर देती है कि अत्यधिक असमानता कोई स्वाभाविक स्थिति नहीं, बल्कि नीतिगत विकल्पों का परिणाम है।

इसमें सुझाव दिया गया है कि ऐसी नीतियाँ अपनाई जानी चाहिए जो गरीबों की स्थिति में सुधार करें, बिना अमीरों की संपत्ति घटाए। भारत के लिए प्रमुख नीतिगत मार्ग निम्नलिखित हैं

      • प्रगतिशील कर व्यवस्था : शीर्ष स्तर पर संपत्ति के संकेन्द्रण को कम करने के लिए संपत्ति कर  और उत्तराधिकार कर  को सशक्त बनाया जाए।
      • सार्वभौमिक पहुँच : सामाजिक सुरक्षा , स्वास्थ्य सेवाओं और शिक्षा तक समान पहुँच सुनिश्चित की जाए, ताकि सभी वर्गों को समान अवसर मिल सकें।
      • श्रम सुधार : उचित मजदूरी , श्रमिक अधिकारों  की सुरक्षा और समावेशी विकास को बढ़ावा देने वाली नीतियाँ लागू की जाएँ।
      • वैश्विक समन्वय: G20 के सदस्य के रूप में भारत को टैक्स हैवन , अवैध वित्तीय प्रवाह और अनुचित वैश्विक वित्तीय प्रथापर नियंत्रण हेतु साझा नीतियों की पैरवी करनी चाहिए।

वैश्विक निगरानी का प्रस्ताव :

      • G20 रिपोर्ट मेंअंतरराष्ट्रीय असमानता पैनल के गठन का सुझाव दिया गया है, जो IPCC की तर्ज पर कार्य करेगा।
      • यह पैनल वैश्विक और राष्ट्रीय स्तर पर असमानता से संबंधित प्रामाणिक आंकड़े और नीतिगत दिशा-निर्देश प्रदान करेगा।
      • इसका उद्देश्य साक्ष्य-आधारित हस्तक्षेप  को बढ़ावा देना और असमानता को कम करने के उपायों की प्रभावशीलता का मूल्यांकन करना है।

निष्कर्ष :

G20 की रिपोर्ट यह रेखांकित करती है कि यदि संपत्ति का केंद्रीकरण अनियंत्रित रूप से बढ़ता रहा, तो यह लोकतंत्र, सामाजिक एकता और सतत विकास के लिए गंभीर खतरा बन सकता है। भारत के लिए यह अत्यंत आवश्यक है कि वह तेज आर्थिक विकास को न्यायपूर्ण और समान संपत्ति वितरण के साथ जोड़े, ताकि समृद्धि के लाभ समाज के प्रत्येक वर्ग तक समान रूप से पहुँच सकें। यह न केवल आर्थिक संतुलन के लिए आवश्यक है, बल्कि संविधान में निहित न्याय और समानता के मूल्यों को साकार करने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है।