संदर्भ:
वित्त वर्ष 2024–25 के दौरान विदेशों में कार्यरत भारतीयों ने 135.46 अरब डॉलर की रिकॉर्डतोड़ राशि भारत भेजी है, जो पिछले वर्ष के 129.4 अरब डॉलर की तुलना में 14% की वृद्धि को दर्शाता है। यह जानकारी भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा "प्राइवेट ट्रांसफर" श्रेणी के अंतर्गत जारी की गई, जो भारतीय प्रवासी समुदाय के देश की अर्थव्यवस्था में बढ़ते योगदान को दर्शाती है।
धन प्रेषण बढ़ने का प्रमुख कारण:
भारत का प्रवासी कार्यबल वर्षों में तेजी से बढ़ा है। 1990 में 66 लाख भारतीय विदेशों में काम करते थे, जबकि 2024 में यह संख्या 1.85 करोड़ तक पहुँच गई। इससे भारत की वैश्विक प्रवासी आबादी में हिस्सेदारी 4.3% से बढ़कर 6% से अधिक हो गई है।
लगभग 50% भारतीय प्रवासी खाड़ी सहयोग परिषद (GCC) के देशों जैसे UAE, सऊदी अरब और कतर में कार्यरत हैं। इन क्षेत्रों में विशेष रूप से निर्माण, सेवा, स्वास्थ्य और IT क्षेत्रों में भारतीय श्रमिकों की भारी मांग बनी हुई है, जिससे वहां से निरंतर रेमिटेंस भेजी जाती है।
धन प्रेषण का आर्थिक महत्व:
धन प्रेषण भारत की वृहद आर्थिक स्थिरता (Macroeconomic Stability) में अहम भूमिका निभाती है:
- ये भारत के विदेशी मुद्रा भंडार के लिए महत्वपूर्ण है और चालू खाता घाटा (Current Account Deficit) को कम करने में मदद करती है।
- ये करोड़ों परिवारों की आजीविका का आधार है, खासकर केरल, उत्तर प्रदेश, बिहार और पंजाब जैसे राज्यों में।
- यह धनराशि स्थानीय उपभोग और निवेश को बढ़ावा देती है, जिससे ग्रामीण और शहरी अर्थव्यवस्थाओं को अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन मिलता है।
वित्त वर्ष 2024-25 में रेमिटेंस भारत के कुल विदेशी मुद्रा प्रवाह का 10% से अधिक रहा, जो इसकी महत्ता को दर्शाता है।
भुगतान संतुलन (Balance of Payments - BOP) में 'प्राइवेट ट्रांसफर'-
BOP में 'प्राइवेट ट्रांसफर' ऐसे लेनदेन होते हैं जो एकतरफा (Unilateral) होते हैं – यानी बदले में कोई सेवा, वस्तु या संपत्ति नहीं मिलती।
मुख्य विशेषताएं:
- एकतरफा प्रकृति: भेजने वाला बदले में कुछ नहीं लेता।
- प्राइवेट बनाम सरकारी: प्राइवेट ट्रांसफर व्यक्ति या NGO द्वारा होते हैं; सरकारी ट्रांसफर सरकारों द्वारा।
- उदाहरण: विदेशों में कार्यरत भारतीयों द्वारा भेजा गया पैसा, व्यक्तिगत उपहार, प्रवास के समय भेजी गई राशि।
- स्थान: BOP के चालू खाता (Current Account) के अंतर्गत दर्ज होता है।
आगे की राह:
रेमिटेंस में निरंतर वृद्धि, वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं के बावजूद भारतीय प्रवासी समुदाय की मजबूती और समृद्धि का प्रतीक है। विदेशों में बेहतर अवसरों, अधिक गतिशीलता और अनुकूल नीतियों के चलते भारत, विश्व में सबसे अधिक रेमिटेंस प्राप्त करने वाला देश बना हुआ है। लेकिन इस वृद्धि को बनाए रखने के लिए आवश्यक सुझाव:
- खाड़ी और पश्चिमी देशों के साथ मजदूरी व कूटनीतिक समझौतों को सशक्त बनाना।
- लेनदेन लागत को कम करना और डिजिटल भुगतान ढांचे को बेहतर बनाना।
- NRIs के लिए निवेश के नए विकल्प और विशेष वित्तीय उत्पाद उपलब्ध कराना।
2024 में सर्वाधिक रेमिटेंस प्राप्त करने वाले देश:
1. भारत – $135.46 अरब
2. मैक्सिको – $68 अरब
3. चीन – $48 अरब
4. फिलीपींस – $40 अरब
5. पाकिस्तान – $33 अरब
निष्कर्ष:
वित्त वर्ष 2024–25 की रेमिटेंस की कहानी केवल भारतीय प्रवासियों के आर्थिक योगदान की नहीं है, बल्कि उन्हें राष्ट्रीय विकास में गहराई से जोड़ने की आवश्यकता को भी रेखांकित करती है। यदि सही नीति समर्थन दिया जाए, तो यह वित्तीय प्रवाह भारत के समावेशी विकास के लिए दीर्घकालिक पूंजी बन सकता है।