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Blog / 13 May 2025

राइस पैनजीनोम

संदर्भ: 

चीनी विज्ञान अकादमी के प्रमुख वैज्ञानिकों ने एशिया भर की 144 जंगली और खेती की गई चावल की किस्मों की आनुवंशिक जानकारी को शामिल करते हुए दुनिया का पहला "राइस पैनजीनोम" (चावल का समग्र जीनोम) तैयार किया है।

राइस पैनजीनोम को समझना:

राइस पैनजीनोम पारंपरिक संदर्भ जीनोम (reference genome) से अलग है। एक सामान्य संदर्भ जीनोम किसी प्रजाति के मूल जीनों की पहचान करता है, जबकि पैनजीनोम सामान्य जीनों के साथ-साथ विभिन्न चावल की किस्मों में पाए जाने वाले विशिष्ट (unique) जीनों को भी शामिल करता है। इससे वैज्ञानिकों को आनुवंशिक विविधता को व्यापक रूप से समझने में मदद मिलती है। इस अध्ययन में वैज्ञानिकों ने वर्तमान संदर्भ जीनोम (O. sativa ssp. japonica) में न पाए जाने वाले 3.87 बिलियन बेस पेयर की नई आनुवंशिक अनुक्रमण (genetic sequences) की मैपिंग की।

पैनजीनोम अध्ययन से प्रमुख निष्कर्ष:

इस अध्ययन में कुल 69,531 जीन पाए गए, जिनमें से 28,907 ऐसे जीन थे जो सभी चावल की किस्मों में सामान्य थे और 13,728 जीन केवल जंगली चावल में पाए गए।

  • लगभग 20% जीन केवल जंगली चावल की प्रजातियों में पाए गए, जो पर्यावरणीय अनुकूलन, बाहरी रूप में लचीलापन (phenotypic plasticity) और पुनरुत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए उपयोगी संसाधन प्रदान करते हैं।
  • अनुसंधान से यह भी पुष्टि हुई कि एशियाई खेती वाला चावल एक जंगली चावल की किस्म Or-IIIa से विकसित हुआ, जो ओ. रूफिपोगोन (O. rufipogon) का एक प्रकार है और जापोनिका चावल का पूर्वज है। इंडिका चावल को अपनाना तब हुआ जब प्राचीन जापोनिका एशिया में फैला और स्थानीय जंगली चावल की किस्मों के साथ मिला।

वैश्विक खाद्य सुरक्षा में चावल का महत्व:

चावल (Oryza sativa L.) दुनिया की लगभग दो-तिहाई आबादी के लिए एक महत्वपूर्ण मुख्य आहार है, विशेष रूप से भारत जैसे देशों में। भारत में यह मानसून के मौसम (जून से सितंबर) के दौरान उगाई जाने वाली प्रमुख फसल है, जिसने 2024-25 में 51,000 हेक्टेयर क्षेत्र में रिकॉर्ड 220 मिलियन टन उत्पादन किया।

  • हालांकि, जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ते वैश्विक तापमान से चावल उत्पादन को गंभीर खतरा है, जिससे उपज में कमी और आर्सेनिक अवशोषण जैसे जोखिम बढ़ रहे हैं।
  • 1901 से भारत का औसत तापमान 0.7°C बढ़ चुका है, और 2024 अब तक का सबसे गर्म वर्ष था, जिसमें न्यूनतम तापमान दीर्घकालीन औसत से 0.9°C अधिक था।
  • इन चुनौतियों से निपटने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) ने दो जीनोम-संपादित चावल की किस्में विकसित की हैंसांबा मसूरी और MTU 1010, जो बेहतर सूखा-प्रतिरोध और उच्च उपज का वादा करती हैं।

राइस पैनजीनोम के लाभ:

        पैनजीनोम अध्ययन जंगली और खेती वाले चावल के बीच की आनुवंशिक खाई को पाटता है, जिससे चावल की किस्मों को सुधारने की नींव मिलती है।

        जंगली चावल के जीनों को मिलाकर वैज्ञानिक ऐसी नई किस्में विकसित कर सकते हैं जो जलवायु परिवर्तन, बीमारियों और पर्यावरणीय तनावों के प्रति अधिक सहनशील हों।

        सूखा-प्रतिरोध और रोग सहनशीलता जैसे गुणों को विकसित करना जलवायु परिवर्तन के दौर में चावल उत्पादन को बनाए रखने के लिए अत्यंत आवश्यक होगा।

निष्कर्ष:

राइस पैनजीनोम का निर्माण चावल की आनुवंशिक विविधता को समझने में एक बड़ी उपलब्धि है। इस जानकारी का उपयोग करके वैज्ञानिक ऐसी चावल की किस्में विकसित कर सकते हैं जो अधिक उपज देने वाली, बीमारियों से बचाव करने वाली और बदलते मौसम के अनुकूल हो। ये नवाचार वैश्विक खाद्य सुरक्षा को बनाए रखने के लिए आवश्यक हैं। यह अनुसंधान न केवल चावल की आनुवंशिकी को बेहतर समझने में मदद करता है, बल्कि भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए जलवायु-प्रतिरोधी चावल की किस्मों के विकास की नई संभावनाएं भी खोलता है।