संदर्भ:
लगभग पाँच वर्षों के अंतराल के बाद रूस ने रूस-भारत-चीन (RIC) त्रिपक्षीय प्रारूप को पुनः सक्रिय करने की पहल की है। यह रणनीतिक संवाद वर्ष 2020 में गलवान घाटी में भारत और चीन के बीच हुई झड़प के बाद से स्थगित पड़ा था।
RIC प्रारूप की पृष्ठभूमि और महत्व:
रूस-भारत-चीन (RIC) त्रिपक्षीय प्रारूप की शुरुआत 1990 के दशक के अंत में हुई थी। इसका मुख्य उद्देश्य तीनों देशों के बीच विदेश नीति, आर्थिक क्षेत्र और सुरक्षा से जुड़े मुद्दों में सहयोग को बढ़ावा देना था।
इस प्रारूप की स्थापना एक बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था को प्रोत्साहित करने और पश्चिमी देशों के वर्चस्व का संतुलन बनाने के लिए की गई थी। अब तक इस मंच के अंतर्गत 20 से अधिक मंत्री-स्तरीय बैठकें हो चुकी हैं, जिन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
रूस द्वारा RIC को पुनर्जीवित करने के कारण:
· भारत-चीन तनावों में कमी: रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने हाल ही में भारत और चीन के बीच सीमा तनावों में कमी आने की बात कही है, जिससे RIC संवाद के पुनः सक्रिय होने के लिए अनुकूल माहौल तैयार हुआ है।
· पश्चिमी प्रभाव का मुकाबला: रूस, नाटो और क्वाड जैसे पश्चिमी गठबंधनों के बढ़ते प्रभाव को क्षेत्रीय स्थिरता के लिए खतरा मानता है। RIC एक ऐसा मंच हो सकता है जो इन बाहरी दबावों का सामूहिक रूप से सामना कर सके।
· यूरेशिया में सुरक्षा संरचना को सुदृढ़ करना: रूस RIC के माध्यम से "यूरेशिया क्षेत्र में समान और न्यायसंगत सुरक्षा एवं सहयोग प्रणाली" स्थापित करना चाहता है, जो उसकी बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था की रणनीति का अहम हिस्सा है।
RIC पुनर्जीवन की चुनौतियाँ:
· भारत-चीन सीमा विवाद: सीमा से जुड़े कई मुद्दे अभी भी पूरी तरह सुलझाए नहीं गए हैं। दोनों देशों के बीच भरोसे की कमी RIC की प्रभावशीलता को प्रभावित कर सकती है।
· भारत की रणनीतिक प्राथमिकताएँ: भारत की क्वाड में भागीदारी और पश्चिमी देशों के साथ उसके गहरे होते संबंध यह दर्शाते हैं कि वह अपनी विदेश नीति में संतुलन बनाए हुए है, जिससे उसके लिए कूटनीतिक रूप से चुनौतियाँ खड़ी हो सकती हैं।
· रूस-चीन समीपता: रूस की चीन के साथ बढ़ती निकटता भारत में इस बात को लेकर चिंता पैदा कर सकती है कि क्या RIC मंच निष्पक्ष रहेगा या नहीं।
प्रभाव और भविष्य की संभावनाएँ:
RIC प्रारूप का पुनर्जीवन क्षेत्रीय सहयोग और वैश्विक राजनीति दोनों पर गहरा प्रभाव डाल सकता है। हाल ही में भारत और चीन के बीच रिश्तों में आई सकारात्मकता इसे एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करती है, लेकिन इस प्रारूप को सफल बनाने के लिए अनेक चुनौतियों को पार करना आवश्यक होगा।
इस त्रिपक्षीय पहल की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि तीनों देश जटिल भू-राजनीतिक परिस्थितियों को किस प्रकार प्रबंधित करते हैं और क्या वे अपने साझा हितों को सर्वोपरि रख पाते हैं।
निष्कर्ष:
रूस द्वारा RIC प्रारूप को पुनर्जीवित करने का प्रयास क्षेत्रीय सहयोग को मजबूत करने और पश्चिमी प्रभाव का संतुलन बनाए रखने की उसकी रणनीतिक सोच को दर्शाता है। यदि भविष्य में तीनों देश अपने मतभेदों को पीछे छोड़कर साझा हितों को प्राथमिकता दें और मिलकर काम करें, तो यह पहल क्षेत्रीय स्थिरता और सहयोग को एक नई दिशा प्रदान कर सकती है।