संदर्भ:
ब्राज़ील के बेलेम शहर में आयोजित COP30 जलवायु सम्मेलन में भारत के केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने घोषणा की कि भारत दिसंबर 2025 तक 2031–2035 की अवधि के लिए अपना संशोधित राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDC 3.0) प्रस्तुत करेगा।
राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) क्या होते हैं?
· नेशनली डिटरमाइंड कंट्रीब्यूशन (NDCs) पेरिस समझौते का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। इनमें यह बताया जाता है कि कोई देश जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए क्या कदम उठाएगा:
• न्यूनीकरण (Mitigation) अर्थात ग्रीनहाउस गैसों को कम करना
• अनुकूलन (Adaptation) अर्थात जलवायु प्रभावों से निपटने की क्षमता बढ़ाना
· पेरिस समझौते के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के तहत, देश हर पाँच साल में अपने नेशनली डिटरमाइंड कॉन्ट्रिब्यूशन (NDCs) को UNFCCC सचिवालय में जमा करते हैं।
· ये सबमिशन राष्ट्रीय जलवायु कार्रवाई योजनाओं को ट्रैक करने का एक महत्वपूर्ण तरीका हैं, जो ग्रीनहाउस गैस (GHG) उत्सर्जन को कम करने और जलवायु लचीलेपन को बढ़ाने के लक्ष्यों को दर्शाते हैं।
2035 के लिए एनडीसी को संशोधित करने के कारण:
1. 2070 के नेट-ज़ीरो लक्ष्य के साथ समन्वय:
• भारत ने 2070 तक नेट-ज़ीरो उत्सर्जन हासिल करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। एनडीसी 3.0 (2031–2035) इस दीर्घकालिक लक्ष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण मध्यवर्ती चरण होगा।
2. जलवायु महत्वाकांक्षा में वृद्धि:
• नए एनडीसी में उत्सर्जन कम करने के लक्ष्यों को और बढ़ाया जाना।
• नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता के तेजी से विस्तार और ऊर्जा संक्रमण पर जोर दिया जाना।
• ग्रीन हाइड्रोजन मिशन, परमाणु ऊर्जा और इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को आगे बढ़ाने पर विशेष ध्यान रहना।
3. अनुकूलन को प्राथमिकता देना:
• COP30 में अनुकूलन वित्त (Adaptation Finance) को विशेष महत्व दिया गया है, जिसके अनुरूप भारत अपनी अनुकूलन रणनीतियों को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित करता है।
• तटीय क्षेत्रों की सुरक्षा, जल प्रबंधन और टिकाऊ कृषि भारत की अनुकूलन प्राथमिकताओं के मुख्य क्षेत्र बने हुए हैं।
• NDC 3.0 में अनुकूलन प्रगति को मापने के लिए सरल, स्पष्ट और तर्कसंगत सूचकांक शामिल किए जाते हैं, ताकि अनुकूलन प्रयासों की निगरानी अधिक प्रभावी ढंग से की जा सके।
4. वित्त और निवेश जुटाना:
• संशोधित NDC का उद्देश्य निवेश जोखिमों को कम करना है, ताकि निजी और सार्वजनिक दोनों क्षेत्रों से जलवायु निवेश को प्रोत्साहन मिल सके।
• भारत ग्रीन क्लाइमेट फंड (GCF), अनुकूलन फंड और विभिन्न द्विपक्षीय जलवायु वित्त तंत्रों के साथ सहयोग को निरंतर मजबूत करता है, जिससे जलवायु परियोजनाओं के लिए स्थिर और दीर्घकालिक वित्तीय संसाधन सुनिश्चित हो सकें।
भारत के मूल (2015) और अद्यतन (2022) NDC की तुलना:
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विशेषता |
मूल NDC (2015) |
अद्यतन NDC (2022) |
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उत्सर्जन तीव्रता |
2005 के स्तर से 2030 तक 33–35% की कमी का लक्ष्य |
2005 के स्तर से 2030 तक 45% की कमी का लक्ष्य |
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गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित बिजली |
2030 तक कुल विद्युत् उत्पादन क्षमता का न्यूनतम 40% गैर-जीवाश्म स्रोतों से प्राप्त करना |
2030 तक कुल बिजली स्थापित क्षमता का लगभग 50% गैर-जीवाश्म स्रोतों से प्राप्त करने पर ज़ोर |
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कार्बन सिंक |
वनों के बढ़े हुए क्षेत्र के माध्यम से 2030 तक 2.5–3 बिलियन टन CO₂ समतुल्य का अतिरिक्त कार्बन सिंक बनाना |
लक्ष्य अपरिवर्तित (मूल लक्ष्य यथावत) |
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मुख्य पहल |
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पर्यावरण-अनुकूल जीवनशैली को बढ़ावा देने हेतु LiFE (Lifestyle for Environment) अभियान की शुरुआत |
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दीर्घकालिक लक्ष्य |
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2070 तक नेट-ज़ीरो उत्सर्जन लक्ष्य की ओर बढ़ने की प्रतिबद्धता (COP26 में घोषित) |

