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Blog / 04 Dec 2025

भारत में तम्बाकू-चबाने वालों में प्रारंभिक ओरल कैंसर: जेनेटिक खोज | Dhyeya IAS

संदर्भ:

मुंबई स्थित टाटा मेमोरियल सेंटर (TMC) के अंतर्गत एडवांस्ड सेंटर फॉर ट्रीटमेंट, रिसर्च एंड एजुकेशन इन कैंसर (ACTREC) द्वारा हाल ही में किए गए एक व्यापक अध्ययन में पता लगाया गया है कि कुछ भारतीय तंबाकू चबाने वालों में अन्य व्यक्तियों की तुलना में बहुत कम उम्र में मुख कैंसर क्यों विकसित हो जाता है। यह अध्ययन पहली बार ठोस आनुवंशिक (Genetic) प्रमाण प्रदान करता है कि समान तंबाकू सेवन की आदत होने के बावजूद दो लोगों के बीच बीमारी की शुरुआत और परिणामों में इतना बड़ा अंतर क्यों देखा जाता है।

मुख कैंसर के बारे में:

    • मुख कैंसर एक प्रकार का कैंसर है जो मुंह के भीतर उत्पन्न होता है और होंठ, जीभ, मसूड़ों, गालों के अंदरूनी हिस्से, मुंह के निचले भाग (फ्लोर ऑफ माउथ) तथा ऊपरी भाग (रूफ ऑफ माउथ) सहित कई जगहों पर विकसित हो सकता है।
    • यह तब विकसित होता है जब मुंह की कोशिकाओं के DNA में परिवर्तन (Mutation) हो जाते हैं, जिसके परिणामस्वरूप कोशिकाएँ अनियंत्रित रूप से बढ़ने और विभाजित होने लगती हैं और अंततः एक ट्यूमर का निर्माण हो जाता है।
    • प्रारंभिक अवस्था में यह अक्सर बिना दर्द वाली गांठ, लाल या सफेद पैच या न भरने वाला घाव के रूप में दिखाई दे सकता है; लेकिन यदि समय पर पहचान और उपचार न मिले तो यह तेजी से फैलकर जानलेवा साबित हो सकता है।
    • भारत में मुख कैंसर एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती है, हर वर्ष लगभग 1,41,342 नए मामले दर्ज किए जाते हैं।

मुख्य आनुवंशिक निष्कर्ष:

1.      महत्वपूर्ण आनुवंशिक मार्करों की पहचान

o   अध्ययन में क्रोमोसोम 5 और 6 पर कुछ विशिष्ट आनुवंशिक स्थान (Genetic Loci) पाए गए, जो मुख कैंसर के अधिक जोखिम से स्पष्ट रूप से जुड़े हुए हैं।

o   ये स्थान (Luci) निम्नलिखित जीन के पास स्थित हैं:

§  CLPTM1L–TERTटिलोमियर की लंबाई और कोशिकाओं की उम्र बढ़ने (Cell Aging) से संबंधित

§  HLA-DRB1 और HLA-DQB1प्रतिरक्षा प्रणाली (Immune Function) के नियमन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले

§  CEP43कोशिकाओं की संरचनात्मक एवं संगठनात्मक प्रक्रियाओं में शामिल

2.     आनुवंशिक संवेदनशीलता से कैंसर की जल्दी शुरुआत

o   अध्ययन में सभी प्रतिभागियों के लिए पॉलीजेनिक रिस्क स्कोर (PRS) की गणना की गई।

o   जिन तंबाकू उपयोगकर्ताओं में PRS अधिक पाया गया, उनमें बक्कल म्यूकोसा कैंसर (गाल के अंदर विकसित होने वाला कैंसर) कम पॉलीजेनिक रिस्क स्कोर वाले व्यक्तियों की तुलना में लगभग 10 वर्ष पहले विकसित हो गया।

3.     तंबाकू उपयोगकर्ताओं में कैंसर का बढ़ा हुआ जोखिम

o   केवल तंबाकू चबाने की आदत ही मुख कैंसर के खतरे को 26 गुना बढ़ा देती है।

o   वहीं तंबाकू चबाने वालों में, जिन व्यक्तियों में उच्च-जोखिम वाले आनुवंशिक मार्कर मौजूद थे, उनमें मुख कैंसर होने की संभावना कम आनुवंशिक जोखिम वाले लोगों की तुलना में लगभग दोगुनी दर्ज की गई।

जन स्वास्थ्य और नीति के लिए प्रभाव:

पहलू

प्रभाव

स्क्रीनिंग और शीघ्र पहचान

आनुवंशिक जोखिम प्रोफाइलिंग और PRS-आधारित स्क्रीनिंग से उच्च जोखिम वाले व्यक्तियों की शुरुआती पहचान और नियमित निगरानी संभव हो सकेगी, चाहे रोग के लक्षण प्रारंभिक चरण में दिखाई दें या नहीं।

लक्षित रोकथाम रणनीतियाँ

उच्च आनुवंशिक जोखिम वाले व्यक्तियों के लिए विशेष एंटी-तंबाकू अभियान, काउंसलिंग और व्यवहारिक हस्तक्षेप योजनाएँ, विशेष रूप से ग्रामीण एवं उच्च-प्रचलन वाले क्षेत्रों में लागू की जा सकती हैं।

प्रिसिजन मेडिसिन और उपचार

आनुवंशिक परिवर्तनों की जानकारी के आधार पर व्यक्तिगत (Personalized) उपचार, लक्षित दवाओं का उपयोग और अधिक प्रभावी चिकित्सीय परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं।

नीति सुदृढ़ीकरण

तंबाकू नियंत्रण नीतियों को और अधिक कठोर और व्यापक बनाने की आवश्यकता पर बल विशेष रूप से बिना धुएं वाले तंबाकू, सुपारी और पान मसाला जैसे उत्पादों पर जो भारत में मुख कैंसर के प्रमुख कारण हैं।