प्रसंग:
हाल ही में लगातार मिल रही जन शिकायतों और आधिकारिक रिपोर्टों के आधार पर, सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए 25 ओटीटी (OTT) प्लेटफॉर्मों सहित उनसे जुड़े वेबसाइट्स और मोबाइल एप्लिकेशन को ब्लॉक करने का आदेश दिया है।
प्रतिबंध के कारण:
इन प्लेटफॉर्मों पर यह आरोप था कि वे ऐसा कंटेंट प्रसारित कर रहे थे जो:
• अश्लील या यौन रूप से स्पष्ट प्रकृति की थी
• बिना किसी सार्थक कहानी या संदर्भ के नग्नता के लंबे दृश्य दिखाए गए थे
• अनुचित यौन स्थितियों को दर्शाया गया था, जिनमें पारिवारिक परिवेश भी शामिल थे
• किसी भी सामाजिक संदेश, कथात्मक संरचना या विषयगत औचित्य का अभाव था
इस प्रकार का कंटेंट न केवल नैतिक रूप से आपत्तिजनक माना गया, बल्कि इसे युवा दर्शकों के लिए खतरनाक भी माना गया, क्योंकि इस प्रकार की सामग्री तक पहुँचना बेहद आसान है।
यह निर्णय कई मंत्रालयों और विशेषज्ञों की आपसी चर्चा के बाद लिया गया, जिनमें शामिल थे:
• गृह मंत्रालय
• महिला और बाल विकास मंत्रालय
• इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय
• कानूनी मामलों का विभाग
• उद्योग संगठन जैसे फिक्की (FICCI) और सीआईआई (CII)
• महिला और बाल अधिकारों के विशेषज्ञ
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने भी कुछ प्लेटफॉर्मों पर प्रसारित हो रहे कंटेंट की प्रकृति को लेकर शिकायतें दर्ज की थीं।
प्रयुक्त कानूनी प्रावधान:
• सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000
o धारा 67: इलेक्ट्रॉनिक रूप में अश्लील सामग्री के प्रसारण को दंडनीय बनाता है
o धारा 67A: यौन रूप से स्पष्ट सामग्री के प्रकाशन या प्रसारण से संबंधित है
• भारतीय दंड संहिता (IPC), धारा 292: अश्लील सामग्री की बिक्री, वितरण और प्रसार पर प्रतिबंध लगाता है
• महिलाओं के अशोभनीय चित्रण (निषेध) अधिनियम, 1986, धारा 4: महिलाओं को डिजिटल या प्रिंट मीडिया में अशोभनीय या अपमानजनक तरीके से दिखाने पर रोक लगाता है
इसके अतिरिक्त, ये प्लेटफॉर्म सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यस्थ दिशा-निर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 का भी उल्लंघन कर रहे थे, जो ओटीटी और डिजिटल कंटेंट प्लेटफॉर्मों के लिए आचार संहिता निर्धारित करते हैं।
ओटीटी नियमन की आवश्यकता:
देश भर की उच्च न्यायालयों ने समय-समय पर डिजिटल कंटेंट पर सख्त निगरानी की आवश्यकता पर जोर दिया है। उनके प्रमुख चिंताएँ रही हैं:
• सभी आयु वर्ग, विशेषकर बच्चों तक इलेक्ट्रॉनिक कंटेंट की पहुँच
• उम्र के अनुसार अनुपयुक्त सामग्री को फ़िल्टर करने की व्यवस्था का अभाव
• रचनात्मक स्वतंत्रता के नाम पर अश्लीलता का अनावश्यक उपयोग
• ऐसे कंटेंट का भारतीय सामाजिक मूल्यों से न मिलना
हालाँकि संविधान का अनुच्छेद 19 रचनात्मक अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की गारंटी देता है, यह स्वतंत्रता उचित प्रतिबंधों के अधीन है। कई प्लेटफॉर्म इस संतुलन की उपेक्षा करते नजर आ रहे हैं।
निष्कर्ष:
यह हालिया कार्रवाई इस बात का संकेत है कि जहाँ रचनात्मक स्वतंत्रता का सम्मान किया जाता है, वहीं यह कानूनी और नैतिक मानकों की कीमत पर नहीं हो सकती। ओटीटी प्लेटफॉर्मों को अब भारत के नियामक ढाँचे के अनुरूप अपनी नीतियों को गंभीरता से लागू करना होगा, ताकि उनका कंटेंट न केवल मनोरंजक हो बल्कि जिम्मेदार भी हो।
आगे चलकर, आईटी नियमों का कड़ाई से पालन, कंटेंट रेटिंग, पेरेंटल कंट्रोल और आंतरिक शिकायत निवारण तंत्र जैसी व्यवस्थाओं को अपनाना आवश्यक होगा, ताकि भविष्य में ऐसी दंडात्मक कार्रवाइयों से बचा जा सके। अब ज़ोर इस पर है कि नवाचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को सार्वजनिक शालीनता और वैधानिकता के साथ संतुलित किया जाए।