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Blog / 14 May 2025

डिजिटल ऋण दिशानिर्देश, 2025

संदर्भ:
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने डिजिटल ऋण दिशा-निर्देश, 2025 जारी किए हैं, जिनका उद्देश्य भारत में तेजी से बढ़ते डिजिटल ऋण पारिस्थितिकी तंत्र को सुव्यवस्थित और मजबूत बनाना है। इन दिशा-निर्देशों का उद्देश्य उधारकर्ताओं की सुरक्षा को बढ़ाना, डेटा पारदर्शिता सुनिश्चित करना और विनियमित संस्थाओं (Regulated Entities - REs) द्वारा जिम्मेदार डिजिटल ऋण देने को प्रोत्साहित करना है।

दिशा-निर्देशों का उद्देश्य
जिम्मेदार डिजिटल ऋण देने की प्रथाओं को बढ़ावा देना।
ग्राहक संरक्षण तंत्र को मजबूत करना।
ऋण वितरण और वसूली में डेटा गोपनीयता और पारदर्शिता सुनिश्चित करना।
विनियमित संस्थाओं और ऋण सेवा प्रदाताओं (Lending Service Providers - LSPs) दोनों की जवाबदेही बढ़ाना।

डिजिटल लेंडिंग के लिए प्रमुख दिशा-निर्देश

1.    डिजिटल ऋण समझौते
ऋण सेवा प्रदाताओं (LSPs) से जुड़ी सभी डिजिटल ऋण गतिविधियां विनियमित संस्थाओं (RE) के साथ एक अनुबंध के माध्यम से औपचारिक रूप से स्थापित की जानी चाहिए।
इस अनुबंध में दोनों पक्षों की भूमिकाएं, अधिकार और दायित्व स्पष्ट रूप से परिभाषित होने चाहिए।

2.    LSPs पर बढ़ी हुई जांच-पड़ताल
विनियमित संस्थाओं (Res) को LSP के निम्नलिखित पहलुओं का पूरा मूल्यांकन करना अनिवार्य है:
o
तकनीकी क्षमता
o
डेटा गोपनीयता प्रथाएं
o
उधारकर्ता के साथ व्यवहार में निष्पक्षता
o
पिछला प्रदर्शन और अनुपालन रिकॉर्ड

3.    उधारकर्ता डेटा संग्रह
ऋण वितरण से पहले REs को निम्नलिखित जानकारी एकत्र और रिकॉर्ड करनी होगी:
o
आयु
o
पेशा
o
आय का विवरण
यह जानकारी ऑडिट उद्देश्यों के लिए संग्रहीत की जाएगी।

उधारकर्ता सुरक्षा उपाय

1.    ऋण से बाहर निकलने के लिए कूलिंग-ऑफ अवधि
उधारकर्ताओं को ऋण से बाहर निकलने का स्पष्ट विकल्प दिया जाना चाहिए।
यह अवधि RE की बोर्ड नीति द्वारा निर्धारित होगी, लेकिन कम से कम एक दिन की होनी चाहिए।
इस अवधि के दौरान कोई भी जुर्माना नहीं लिया जा सकता।

2.    क्रेडिट लिमिट बढ़ाने के लिए सहमति जरूरी
• REs
को उधारकर्ता की क्रेडिट लिमिट को स्वचालित रूप से बढ़ाने की अनुमति नहीं है।
केवल उधारकर्ता के स्पष्ट अनुरोध और दस्तावेजी सहमति के बाद ही यह संभव है।

3.    ऋण वितरण पर कड़े दिशानिर्देश
ऋण की राशि सीधे उधारकर्ता के बैंक खाते में ही भेजी जानी चाहिए।
केवल निम्नलिखित मामलों में अपवाद मान्य हैं:
o
कानूनी या विनियामक निर्देश
o REs
के बीच को-लेंडिंग व्यवस्था
o
विशिष्ट उद्देश्य के लिए ऋण, जो सीधे अंतिम लाभार्थी को वितरित किया जाता है
• LSPs
या किसी तीसरे पक्ष के खातों में भुगतान की अनुमति नहीं है।

डेटा सुरक्षा

1.    जरूरत-आधारित डेटा संग्रह
• REs
और LSPs केवल आवश्यक उधारकर्ता डेटा ही एकत्र कर सकते हैं।
इसके लिए उधारकर्ता की स्पष्ट सहमति अनिवार्य है।

2.    डेटा भंडारण की सीमा
• LSPs
केवल बुनियादी व्यक्तिगत जानकारी (जैसे नाम, पता, संपर्क विवरण) ही संग्रहित कर सकते हैं।
डेटा की सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी RE पर होगी।

3.    शिकायत निवारण प्रणाली
• REs
और LSPs दोनों को नोडल शिकायत निवारण अधिकारी नियुक्त करने होंगे।
इन अधिकारियों के संपर्क विवरण निम्न स्थानों पर प्रदर्शित किए जाने चाहिए:
o RE, LSP
और DLA की वेबसाइटों पर
o
उधारकर्ता को जारी की गई मुख्य तथ्य विवरणिका (Key Fact Statement - KFS) पर

नियामक रिपोर्टिंग

1.    डिजिटल लेंडिंग ऐप्स (DLAs) की सार्वजनिक निर्देशिका
• RBI
एक सार्वजनिक निर्देशिका बनाएगा जिसमें सभी वैध DLAs सूचीबद्ध होंगे।
इससे उधारकर्ता यह सत्यापित कर सकेंगे कि कोई ऐप वास्तव में किसी विनियमित वित्तीय संस्था से संबद्ध है या नहीं।

2.    क्रेडिट सूचना कंपनियों (CICs) को रिपोर्टिंग
• REs
को DLAs के माध्यम से (LSPs सहित) वितरित सभी ऋणों की जानकारी CICs को रिपोर्ट करना अनिवार्य है, चाहे ऋण का प्रकार या अवधि कुछ भी हो।

निष्कर्ष:
डिजिटल ऋण दिशा-निर्देश, 2025 एक व्यापक नियामक परिवर्तन का संकेत देते हैं जो भारत के बढ़ते डिजिटल ऋण पारिस्थितिकी तंत्र के अवसरों और जोखिमों दोनों को मान्यता देता है।