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Blog / 04 Oct 2025

भारतीय रिज़र्व बैंक ने गठित किया पेमेंट्स रेगुलेटरी बोर्ड | Dhyeya IAS

संदर्भ:

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने भारत में भुगतान और निपटान प्रणालियों के नियमन और पर्यवेक्षण के लिए छह सदस्यीय भुगतान नियामक बोर्ड (PRB) का औपचारिक रूप से गठन किया है। यह नया बोर्ड पूर्ववर्ती भुगतान और निपटान प्रणालियों के विनियमन एवं पर्यवेक्षण बोर्ड (BPSS) की जगह लेगा।

भुगतान नियामक बोर्ड (पीआरबी) के बारे में:

पीआरबी भारत में भुगतान बुनियादी ढांचे की निगरानी को मजबूत करने के उद्देश्य से किए गए विनियामक पुनर्गठन का हिस्सा है।

    • बोर्ड का मुख्य उद्देश्य उभरते हुए भुगतान पारिस्थितिकी तंत्र में अधिक जवाबदेही, स्पष्ट प्रशासन, पारदर्शिता और तत्परता सुनिश्चित करना है।
    • यह BPSS की जगह लेता है, जो आरबीआई के केंद्रीय बोर्ड के अधीन काम करने वाली एक पांच सदस्यीय समिति थी।
    • BPSS से अलग, पीआरबी में केंद्रीय सरकार के प्रतिनिधि भी शामिल हैं, जिससे नीति और सरकारी उद्देश्यों के बीच बेहतर समन्वय संभव होता है।

संरचना और सदस्यता:

पीआरबी का गठन भुगतान नियामक बोर्ड विनियम, 2025 के तहत किया गया है । इसकी सदस्यता और कार्यप्रणाली इस प्रकार है:

भूमिका

सदस्य / नामित व्यक्ति

स्थिति / नोट्स

अध्यक्ष

आरबीआई गवर्नर

पद के अनुसार

सदस्य

निपटान प्रणालियों के प्रभारी उप गवर्नर

पद के अनुसार

सदस्य

केंद्रीय बोर्ड द्वारा नामित एक आरबीआई अधिकारी

पद के अनुसार

सदस्य (3)

केंद्र सरकार के नामांकित व्यक्ति

पहली बार, भुगतान नियामक में सरकार की नामित उपस्थिति होगी।

आमंत्रित

भुगतान, आईटी, कानून आदि के विशेषज्ञ।

स्थायी अथवा तदर्थ आमंत्रित सदस्य हो सकते हैं; आरबीआई का प्रधान विधि सलाहकार स्थायी आमंत्रित सदस्य होता है।

मतदान, बैठकें और शक्तियाँ:

    • मतदान: प्रत्येक सदस्य को एक वोट का अधिकार होगा। निर्णय बहुमत से लिया जाएगा। यदि वोट बराबर हों, तो अध्यक्ष (RBI गवर्नर) निर्णायक वोट देंगे।
    • बैठकें: सामान्य परिस्थितियों में PRB को वर्ष में कम से कम दो बार बैठक करनी होगी।
    • आमंत्रित और विशेषज्ञ: बोर्ड अपनी बैठकों में भुगतान, आईटी या कानून के क्षेत्र के विशेषज्ञों को स्थायी या अस्थायी रूप से आमंत्रित कर सकता है। आरबीआई का प्रधान विधि सलाहकार एक स्थायी आमंत्रित सदस्य होता है।
    • क्षेत्राधिकार एवं प्रतिस्थापन: पीआरबी के पास भारत में भुगतान प्रणालियों की निगरानी, विनियमन और पर्यवेक्षण का क्षेत्राधिकार होगा, जो प्रभावी रूप से बीपीएसएस द्वारा निभाई जाने वाली भूमिका को ग्रहण करेगा।

महत्त्व और प्रभाव:

·         अधिक जवाबदेही और समन्वय: केंद्रीय सरकार के प्रतिनिधियों के शामिल होने से RBI की नियामक नीतियाँ और सरकार के उद्देश्य (DFS, MeitY) बेहतर तरीके से समन्वित होंगे, विशेषकर डिजिटल भुगतान, वित्तीय समावेशन और तकनीकी नियमन के क्षेत्र में।

·         भुगतान में नियामक स्पष्टता: जैसे-जैसे भुगतान पारिस्थितिकी तंत्र जटिल होता जा रहा है, UPI, प्रीपेड इंस्ट्रूमेंट्स, टोकनाइजेशन, सेटलमेंट नेटवर्क, पेमेंट एग्रीगेटर्स आदि, एक समर्पित और सशक्त बोर्ड स्पष्ट और प्रभावी निगरानी सुनिश्चित करेगा।

·         नवाचार और विशेषज्ञता के अवसर: बोर्ड में टेक्नोलॉजी, कानून और भुगतान के विशेषज्ञों को आमंत्रित करने की क्षमता से यह तेजी से विकसित हो रहे क्षेत्र में जरूरी विशेषज्ञ ज्ञान और नवाचार का लाभ उठा सकेगा।

निष्कर्ष:

पीआरबी के गठन के लिए आरबीआई का निर्णय भारत में डिजिटल भुगतान के नियामक ढांचे को और मजबूत करने के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। अपनी विस्तारित शक्तियों और स्वतंत्र संरचना के साथ, पीआरबी तेजी से विकसित हो रहे भुगतान परिदृश्य की प्रभावी निगरानी करने और लेनदेन की सुरक्षा व स्थिरता सुनिश्चित करने में पूरी तरह सक्षम है।