संदर्भ:
मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले में स्थित गांधी सागर अभयारण्य में हाल ही में एक दुर्लभ और संकटग्रस्त कैरेकल (स्थानीय नाम – स्याहगोष) को देखा गया। यह झलक कैमरा ट्रैप के ज़रिए सामने आई, जो अभयारण्य में लगाए गए थे।
कैरेकल :
· कैरेकल एक शर्मीला, तेज़ दौड़ने वाला और रात्रिचर मांसाहारी जानवर है।
· यह प्राणी मुख्य रूप से शुष्क, झाड़ीदार, पथरीले और खुली घासदार जगहों में पाया जाता है।
· भारत में इसकी उपस्थिति बहुत ही दुर्लभ मानी जाती है और इसे संकटग्रस्त प्रजाति के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
· गांधी सागर अभयारण्य का शुष्क और अर्ध-शुष्क पारिस्थितिक तंत्र इस रहस्यमयी शिकारी के लिए अनुकूल आवास प्रदान करता है।
महत्त्वपूर्ण बिंदु:
· अभयारण्य में कैरेकल की मौजूदगी राज्य के लिए गर्व का विषय है और यह संरक्षण प्रयासों की सफलता को दर्शाता है।
· वन अधिकारियों के अनुसार, यह सफलता नियमित गश्त, आवास प्रबंधन और कैमरा ट्रैप की रणनीतिक तैनाती जैसी पहलों का परिणाम है।
· यह दृश्य यह भी दर्शाता है कि यह अभयारण्य दुर्लभ प्रजातियों के लिए एक सुरक्षित स्थान बन चुका है।
गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य के बारे में:
· यह अभयारण्य मध्य प्रदेश के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र में स्थित है और जैव विविधता संरक्षण के लिहाज़ से एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है।
· इसे 1974 में अभयारण्य घोषित किया गया था और यह 368 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला है।
· चंबल नदी इस अभयारण्य को दो भागों में विभाजित करती है।
· हाल ही में यह अभयारण्य दक्षिण अफ्रीका से लाए गए दो चीता – प्रभाष और पावक का भी नया घर बना है।
· कैरेकल की उपस्थिति यह सिद्ध करती है कि यहां का पारिस्थितिक तंत्र समृद्ध और संतुलित है।
मुख्य विशेषताएँ:
· महत्वपूर्ण पक्षी और जैव विविधता क्षेत्र (IBA) के रूप में मान्यता प्राप्त।
· विविध भौगोलिक स्वरूप: पहाड़ियाँ, पठार और गांधी सागर बांध का जलग्रहण क्षेत्र शामिल।
· वनस्पति प्रकार:
o उत्तरी उष्णकटिबंधीय शुष्क पर्णपाती वन
o मिश्रित पर्णपाती वन
o शुष्क झाड़ी वन
वन्यजीव:
अभयारण्य में पाए जाने वाले प्रमुख जीव:
· शाकाहारी: चिंकारा, नीलगाय, चीतल
· मांसाहारी: भारतीय तेंदुआ, धारीदार लकड़बग्घा, सियार
· जलजीव: मगरमच्छ, मछलियाँ, ऊदबिलाव और कछुए
निष्कर्ष:
गांधी सागर अभयारण्य में कैरेकल की झलक जैव विविधता की दृष्टि से एक महत्वपूर्ण खोज है।
यह संकेत देती है कि यहां के संरक्षण प्रयास सफल हो रहे हैं और यह क्षेत्र विविध वन्यजीवों को सहारा देने में सक्षम है।
यह खोज भविष्य में अधिक शोध और संरक्षण योजनाओं को प्रोत्साहित करेगी और क्षेत्र की पारिस्थितिक समृद्धि को उजागर करेगी।