संदर्भ:
भारत ने हाल ही में चार नई आर्द्रभूमियों (वेटलैंड्स) को रामसर कन्वेंशन सूची में जोड़ा है। इसके साथ ही, भारत में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त रामसर स्थलों की संख्या 89 हो गई है। यह घोषणा विश्व आर्द्रभूमि दिवस से पहले की गई, जो भारत की पर्यावरण संरक्षण और आर्द्रभूमियों के सतत विकास के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
नए रामसर स्थल-
भारत में जिन चार नई आर्द्रभूमियों को रामसर सूची में जोड़ा गया है, वे हैं:
- सक्कराकोट्टई पक्षी अभयारण्य, तमिलनाडु
- थेरथंगल पक्षी अभयारण्य, तमिलनाडु
- खेचियोपालरी वेटलैंड, सिक्किम
- उधवा झील, झारखंड
इसके साथ अब तमिलनाडु में अब सबसे अधिक (20) रामसर स्थल हैं और सिक्किम और झारखंड पहली बार इस सूची में शामिल हुए हैं।
वैश्विक स्तर पर भारत की स्थिति-
· दुनिया भर में 2,529 आर्द्रभूमियाँ रामसर कन्वेंशन के तहत संरक्षित हैं।
· भारत 89 रामसर स्थलों के साथ दुनिया में तीसरे स्थान पर है।
· पहले स्थान पर यूनाइटेड किंगडम (176 स्थल) और दूसरे स्थान पर मैक्सिको (144 स्थल) हैं।
· पिछले 10 वर्षों में, भारत में रामसर स्थलों की संख्या 26 से बढ़कर 89 हो गई है।
· सिर्फ पिछले तीन वर्षों में ही 47 नई आर्द्रभूमियाँ जोड़ी गई हैं, जो दर्शाता है कि भारत इन पारिस्थितिक तंत्रों के संरक्षण के लिए गंभीरता से काम कर रहा है।
आर्द्रभूमियों का महत्व-
आर्द्रभूमियाँ हमारे पर्यावरण के लिए बेहद ज़रूरी हैं क्योंकि वे कई महत्वपूर्ण काम करती हैं, जैसे:
- जैव विविधता को बचाना: कई तरह के पेड़-पौधों और जीव-जंतुओं को आश्रय देना।
- बाढ़ को नियंत्रित करना: बारिश के पानी को सोखकर बाढ़ की संभावना को कम करना।
- जल आपूर्ति को बनाए रखना: प्राकृतिक जल स्रोतों के रूप में काम करना।
- कार्बन स्टोरेज: वातावरण से कार्बन डाइऑक्साइड अवशोषित करके जलवायु परिवर्तन को कम करना।
- रोज़गार और आजीविका देना: मत्स्य पालन, खेती और पर्यटन जैसी गतिविधियों को बढ़ावा देना।
रामसर कन्वेंशन और भारत की भागीदारी-
रामसर कन्वेंशन, आर्द्रभूमियों के संरक्षण और उनके सतत इस्तेमाल के लिए बनाई गई एक अंतरराष्ट्रीय संधि है। रामसर कन्वेंशन 1971 में ईरान के रामसर शहर में अपनाया गया था। यह आर्द्रभूमियों को बचाने और उनका सतत उपयोग सुनिश्चित करने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय समझौता है। भारत इस कन्वेंशन के 172 सदस्य देशों में से एक है और अपने आर्द्रभूमियों की सुरक्षा के लिए लगातार प्रयास कर रहा है।
निष्कर्ष-
हाल ही में जोड़े गए चार नए स्थल इस बात को दर्शाते हैं कि सरकार और विभिन्न संस्थाएँ आर्द्रभूमियों की सुरक्षा के लिए लगातार प्रयास कर रही हैं। यह पहल सुनिश्चित करेगी कि ये प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र आने वाली पीढ़ियों के लिए सुरक्षित रहें। आर्द्रभूमियों का संरक्षण पर्यावरण संतुलन और सतत विकास दोनों के लिए ज़रूरी है, और भारत इस दिशा में लगातार आगे बढ़ रहा है।