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Blog / 08 Sep 2025

राजस्थान कोचिंग सेंटर (नियंत्रण और विनियमन) विधेयक, 2025

संदर्भ:

राजस्थान विधानसभा ने 3 सितंबर 2025 को कोचिंग सेंटर (नियंत्रण और विनियमन) विधेयक, 2025 पारित किया। इसका उद्देश्य कोचिंग उद्योगखासतौर पर कोटा जैसे बड़े कोचिंग हबको नियंत्रित करना है। विधेयक का उद्देश्य छात्रों की सुरक्षा और मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देना, आत्महत्या की बढ़ती घटनाओं पर रोक लगाना और कोचिंग संस्थानों में बढ़ते व्यावसायीकरण को सीमित करना है। यह कदम छात्रों पर बढ़ते शैक्षणिक दबाव और मानसिक तनाव की पृष्ठभूमि में उठाया गया है।

विधेयक की मुख्य विशेषताएँ:

·        100 से अधिक छात्रों वाले सभी कोचिंग सेंटरों का पंजीकरण अनिवार्य होगा। इसके लिए "राजस्थान कोचिंग सेंटर विनियमन प्राधिकरण" बनाया जाएगा, जिसमें शिक्षा अधिकारियों, पुलिस, मनोचिकित्सकों, अभिभावकों और कोचिंग क्षेत्र के प्रतिनिधियों को शामिल किया जाएगा।

·        इसमें स्थान के लिए न्यूनतम मानक (प्रति छात्र 1 वर्ग मीटर), शिक्षक योग्यता (न्यूनतम स्नातक), शिकायत निवारण प्रणाली अनिवार्य होगी तथा सफलता दर, शिक्षकों की योग्यता और कोचिंग की वेबसाइट पर सफलता दर, शिक्षकों की योग्यता और हॉस्टल की जानकारी उपलब्ध कराना होगा।

छात्र कल्याण के उपाय:

·         रोज़ाना अधिकतम 5 घंटे तक ही पढ़ाई कराई जा सकेगी।

·         सप्ताह में एक दिन छुट्टी छात्रों और शिक्षकों दोनों के लिए अनिवार्य होगी।

·         भ्रामक विज्ञापनों पर रोक होगी।

·         मनोवैज्ञानिक परामर्श (काउंसलिंग) उपलब्ध कराया जाएगा।

दंड का प्रावधान: पहली बार उल्लंघन करने पर 50,000 रुपये, दूसरी बार उल्लंघन करने पर 2 लाख रुपये; बार-बार उल्लंघन करने पर पंजीकरण रद्द किया जा सकता है

विधेयक के प्रमुख प्रभाव:

  • छात्रों का कल्याण सुनिश्चित करना: यह कदम कोचिंग हब में बढ़ती मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को कम करने के लिए उठाया गया है। नियंत्रित समय सारिणी और काउंसलिंग के माध्यम से छात्रों में आत्महत्या जैसी घटनाओं को रोकने की कोशिश की जाएगी।
  • नियमन और आर्थिक वास्तविकता का संतुलन: शोषण रोकने के साथ-साथ यह विधेयक लचीला भी है। उदाहरण के लिए, पंजीकरण की सीमा बढ़ाकर छोटे कोचिंग संस्थानों पर बोझ कम किया गया है। इससे राज्य की अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा।
  • शिक्षा सुधार में शासन की भूमिका: यह दिखाता है कि सरकार निजी शिक्षा क्षेत्र को नियंत्रित करने में सक्रिय है। यह कदम राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP 2020) के लक्ष्य से मेल खाता है, जिसमें केवल रैंक और अंकों के बजाय समग्र शिक्षा और कौशल विकास पर जोर दिया गया है।

आलोचना और चिंताएँ:

  • विधेयक में मनोवैज्ञानिक परामर्श को अनिवार्य नहीं बनाया गया है, जबकि छात्र मानसिक स्वास्थ्य पर बार-बार चिंता जताई जाती रही है।
  • इसमें उम्र की सख्त सीमा शामिल नहीं की गई है (केंद्र सरकार की गाइडलाइन के अनुसार 16 वर्ष से कम उम्र के छात्रों को कोचिंग में दाखिला नहीं दिया जाना चाहिए)।
  • नियामक प्राधिकरण में ज्यादातर अधिकारी जैसे पुलिस, जिला मजिस्ट्रेट और नौकरशाह होंगे। इससे छोटे और मध्यम आकार के कोचिंग सेंटरों को परेशानियों या अनावश्यक जांच का सामना करना पड़ सकता है।
  • अधिक नियमों के कारण कई छोटे कोचिंग सेंटर बंद हो सकते हैं या दूसरे राज्यों में शिफ्ट हो सकते हैं।
  • कोटा और सीकर जैसे कोचिंग हब की अर्थव्यवस्था प्रभावित हो सकती है।
  • उन क्षेत्रों में रोज़गार पर असर पड़ेगा जहाँ कोचिंग एक बड़ा उद्योग है।
  • विधेयक में छात्रों की आत्महत्या रोकने के लिए ठोस और प्रभावी उपायों की कमी है।
  • छात्रों की मौत के मामलों में कोचिंग सेंटरों की स्पष्ट जवाबदेही तय नहीं की गई है।

निष्कर्ष:

राजस्थान कोचिंग सेंटर (नियंत्रण और विनियमन) विधेयक, 2025, कोचिंग उद्योग को नियंत्रित करने और छात्रों के हित को सर्वोच्च प्राथमिकता देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यदि इसे सही ढंग से लागू किया गया, तो यह राज्य के शिक्षा क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव ला सकता है और छात्रों के मानसिक और शैक्षणिक कल्याण को सुनिश्चित कर सकता है।