सन्दर्भ-
भारत की उच्च शिक्षा प्रणाली ने क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2026 में अब तक का सबसे प्रभावशाली प्रदर्शन दर्ज किया है। इस वर्ष कुल 54 भारतीय विश्वविद्यालयों को रैंकिंग में स्थान मिला है, जो 2015 में मात्र 11 थे। यह पांच गुना वृद्धि भारत के शिक्षा क्षेत्र में हुए संरचनात्मक और गुणात्मक सुधारों को दर्शाती है। 8 भारतीय विश्वविद्यालयों को पहली बार रैंकिंग में स्थान दिया गया है, जो इस वर्ष किसी भी देश के लिए सर्वाधिक है। इसमें 12 आईआईटी शामिल हैं, जिनमें आईआईटी दिल्ली विश्व स्तर पर 123वें स्थान पर है।
भारत की मजबूत उपस्थिति
क्यूएस 2026 रैंकिंग में भारत चौथा सबसे बड़ा प्रतिनिधित्व रखने वाला देश बन गया है। अमेरिका (192), यूनाइटेड किंगडम (90) और मेनलैंड चीन (72) के बाद भारत के 54 विश्वविद्यालयों को शामिल किया गया है। यह केवल संख्या में वृद्धि नहीं है, बल्कि गुणवत्तापूर्ण सुधार का भी संकेत है। 48% भारतीय संस्थानों ने अपनी पिछली रैंकिंग में सुधार किया है, जो शिक्षा के क्षेत्र में की गई नीतिगत पहलों की सफलता को दर्शाता है।
प्रमुख संस्थान और रैंकिंग
- आईआईटी दिल्ली ने 123वीं रैंक प्राप्त कर भारत का सर्वोच्च स्थान प्राप्त किया है। यह 2025 में 150वें स्थान पर था।
- आईआईटी मद्रास ने सबसे बड़ी छलांग लगाई है – 2025 में 227वें से 2026 में 180वें स्थान पर पहुंच गया।
- कुल 12 आईआईटी रैंकिंग में शामिल हैं।
- 6 भारतीय संस्थान वैश्विक शीर्ष 250 में हैं।
- 5 भारतीय संस्थान नियोक्ता प्रतिष्ठा के मामले में वैश्विक शीर्ष 100 में शामिल हैं, जो भारतीय स्नातकों के प्रति वैश्विक उद्योग जगत के भरोसे को दर्शाता है।
· आठ भारतीय संस्थानों ने पहली बार इस रैंकिंग में प्रवेश किया है जो इस वर्ष किसी भी देश के लिए सर्वाधिक है जिनका औसत स्कोर अमेरिका, यूके और जर्मनी से भी अधिक है।
शिक्षा नीति और सुधारों की भूमिका
इस बढ़ती सफलता के पीछे राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) और शोध व नवाचार पर बढ़ता बल महत्वपूर्ण कारक रहे हैं। विश्वविद्यालयों में अंतरराष्ट्रीय साझेदारियों को प्रोत्साहन, संकाय गुणवत्ता में सुधार, और उद्योग-अकादमिक सहयोग जैसी पहलों ने संस्थानों की रैंकिंग को सशक्त किया है।
पद्धति
क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग दुनिया भर के संस्थानों का आकलन करने के लिए एक संरचित दृष्टिकोण का उपयोग करती है। प्रत्येक रैंकिंग माप के एक सेट पर बनाई गई है जो विश्वविद्यालय के प्रदर्शन के विभिन्न पहलुओं का मूल्यांकन करने में मदद करती है। इन मापों को निम्नानुसार समूहीकृत किया गया है:
- लेंस: अनुसंधान या रोजगारपरकता जैसे सामान्य विषय से जुड़े संकेतकों का संग्रह।
- सूचक: प्रदर्शन का एक विशिष्ट क्षेत्र जैसे प्रति संकाय या नियोक्ता प्रतिष्ठा के अनुसार उद्धरण। प्रत्येक संकेतक के आधार पर संस्थाओं को अंक दिए जाते हैं और उनकी रैंकिंग तय की जाती है, जो उनकी समग्र रैंकिंग में योगदान देती है।
- मीट्रिक: एक संकेतक के भीतर एक विस्तृत गणना जिसका उपयोग सटीक स्कोर प्राप्त करने के लिए किया जाता है।
निष्कर्ष
क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2026 भारत के शिक्षा तंत्र के वैश्वीकरण की दिशा में एक मील का पत्थर है। यह केवल संख्यात्मक उपलब्धि नहीं, बल्कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षण, अनुसंधान और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में भागीदारी की दिशा में एक सशक्त संकेत है।