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Blog / 20 Dec 2025

प्रोजेक्ट सनकैचर

संदर्भ:

हाल ही में गूगल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुंदर पिचाई ने घोषणा की है कि गूगल कंपनी ने एक दीर्घकालिक अनुसंधान पहल प्रोजेक्ट सनकैचर पर कार्य प्रारंभ कर दिया है, जिसका उद्देश्य वर्ष 2027 तक सौर ऊर्जा से संचालित डेटा केंद्रों को अंतरिक्ष में स्थापित करना है।

गूगल के प्रोजेक्ट सनकैचर के बारे में:

प्रोजेक्ट सनकैचर गूगल द्वारा घोषित एक दीर्घकालिक अनुसंधान पहल है, जिसके अंतर्गत संगणनात्मक कार्यभार (computational workloads) को क्रमिक रूप से अंतरिक्ष-आधारित, सौर ऊर्जा चालित उपग्रह समूहों में स्थानांतरित करने का लक्ष्य रखा गया है।

प्रमुख विशेषताएँ:

    • प्रारंभिक चरण के प्रायोगिक मॉडल के रूप में उपग्रहों पर छोटे पैमाने के डेटा केंद्र रैक की तैनाती।
    • बड़े पैमाने की मशीन लर्निंग आवश्यकताओं के लिए अनुकूलित, गूगल द्वारा विकसित विशेष कृत्रिम बुद्धिमत्ता चिप्स (टेंसर प्रोसेसिंग इकाइयों) का उपयोग।
    • उपग्रह समूहों के बीच डेटा केंद्र-स्तरीय संगणना को सक्षम करने हेतु प्रकाशीय (लेज़र आधारित) अंतर-उपग्रह संपर्क प्रणाली।
    • सौर ऊर्जा पर पूर्ण निर्भरता, जिससे निरंतर, स्वच्छ और निर्बाध ऊर्जा आपूर्ति सुनिश्चित हो सके।
    • कठोर अंतरिक्ष परिस्थितियों को सहन करने के लिए विकिरण-प्रतिरोधक क्षमता वाली चिप्स का उपयोग।

गूगल, इस पहल के अंतर्गत सीखने और सत्यापन के उद्देश्य से, वर्ष 2027 की शुरुआत तक प्लैनेट लैब्स के सहयोग से दो प्रायोगिक उपग्रह प्रक्षेपित करने की योजना बना रहा है।

Google's "Project Suncatcher" Plans to Put AI Data Centers into Space

अंतरिक्ष-आधारित डेटा केंद्रों के पीछे कारण:

    • पृथ्वी पर पर्यावरणीय सीमाएँ: कृत्रिम बुद्धिमत्ता आधारित डेटा केंद्र अत्यधिक मात्रा में विद्युत और जल की खपत करते हैं। अनुमान है कि वर्ष 2030 तक डेटा केंद्रों से वैश्विक विद्युत माँग में तीव्र वृद्धि होगी, जिससे जलवायु पर अतिरिक्त दबाव पड़ेगा।
    • अंतरिक्ष के लाभ: लगभग असीमित सौर ऊर्जा की उपलब्धता, जल की शून्य खपत तथा भूमि उपयोग संबंधी न्यूनतम बाधाएँ।
    • ऊर्जा और अवसंरचना सुरक्षा: पृथ्वी पर स्थित डेटा केंद्र प्राकृतिक आपदाओं, केबल बाधाओं और विद्युत ग्रिड विफलताओं के जोखिम से ग्रस्त रहते हैं, जबकि अंतरिक्ष में सौर ऊर्जा का संपर्क अपेक्षाकृत अधिक स्थिर और पूर्वानुमेय होता है।
    • डेटा संप्रभुता से जुड़े प्रश्न: 1967 की बाह्य अंतरिक्ष संधि (outer Space Treaty) एक कानूनी अस्पष्टता उत्पन्न करती है, जिससे पारंपरिक राष्ट्रीय अधिकार क्षेत्रों से परे बहु-देशीय डेटा होस्टिंग की संभावना बनती है।
    • अंतरिक्ष तक पहुँच की घटती लागत: पुनः उपयोग योग्य प्रक्षेपण यानों और निजी क्षेत्र की बढ़ती भागीदारी के कारण अंतरिक्ष तक पहुँच की लागत में उल्लेखनीय कमी आई है।

चुनौतियाँ और चिंताएँ:

    • उच्च लागत: प्रक्षेपण, रखरखाव तथा कक्षा में मरम्मत अब भी अत्यधिक महँगी और तकनीकी रूप से जटिल प्रक्रियाएँ हैं।
    • विलंब संबंधी समस्याएँ: लंबी संचार दूरी के कारण डेटा संप्रेषण में विलंब होता है, जिससे वास्तविक समय अनुप्रयोगों के लिए इसकी उपयोगिता सीमित हो जाती है।
    • साइबर सुरक्षा जोखिम: अंतरिक्ष-आधारित डेटा अवसंरचना की सुरक्षा के लिए वैश्विक स्तर पर स्पष्ट मानकों और प्रवर्तन तंत्र का अभाव है।
    • विनियामक रिक्तता: कानूनी अस्पष्टता के कारण अंतरिक्ष अवसंरचना का संकेन्द्रण कुछ बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनियों के हाथों में होने का खतरा है।

अंतरिक्ष-आधारित डेटा केंद्रों की खोज में अन्य कंपनियाँ:

कंपनी

पहल

ओपनएआई (सैम ऑल्टमैन)

डाइसन क्षेत्र जैसी संरचना वाले, सौर ऊर्जा चालित कृत्रिम बुद्धिमत्ता डेटा केंद्रों की परिकल्पना

एनविडिया

एच100 ग्राफिक्स प्रसंस्करण तकनीक से युक्त स्टारक्लाउडउपग्रह का प्रक्षेपण

लोनस्टार डेटा होल्डिंग्स

8 टेराबाइट भंडारण क्षमता वाले लघु डेटा केंद्र को चंद्रमा पर स्थापित किया

अमेज़न (जेफ बेजोस)

ब्लू ओरिजिन के माध्यम से डेटा केंद्रों सहित प्रदूषणकारी उद्योगों को पृथ्वी से बाहर स्थानांतरित करने का समर्थन

एरिक श्मिट

रिलेटिविटी स्पेस के सहयोग से कक्षीय डेटा केंद्रों का प्रस्ताव

भारत और वैश्विक शासन के लिए निहितार्थ:

1.      भारत के लिए:

·        अंतरिक्ष-आधारित संगणना और क्लाउड अवसंरचना में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन तथा निजी क्षेत्र के बीच सहयोग की संभावनाएँ

·        डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना के विस्तार के लिए इसकी प्रासंगिकता

·        अंतरिक्ष-आधारित कृत्रिम बुद्धिमत्ता, क्लाउड संगणना और डेटा भंडारण में स्वदेशी क्षमताओं के विकास की आवश्यकता

2.     वैश्विक शासन के लिए:

·         निम्नलिखित क्षेत्रों में त्वरित अंतरराष्ट्रीय मानदंडों की आवश्यकता:

o    अंतरिक्ष में वाणिज्यिक संगणन गतिविधियों के नियमन हेतु वैश्विक नियम

o    अंतरिक्ष-आधारित डिजिटल परिसंपत्तियों की सुरक्षा के लिए साइबर सुरक्षा ढाँचा

o    समान पहुँच सुनिश्चित करने और अंतरिक्ष अवसंरचना के एकाधिकार को रोकने वाले सिद्धांत

निष्कर्ष:

गूगल का प्रोजेक्ट सनकैचर पृथ्वी पर संसाधनों की सीमाओं और कृत्रिम बुद्धिमत्ता कार्यभार की तीव्र वृद्धि के संदर्भ में अंतरिक्ष-आधारित संगणना की ओर एक संभावित बदलाव का संकेत देता है। हालाँकि यह ऊर्जा स्थिरता, जलवायु शमन और डेटा लचीलापन के दृष्टिकोण से आशाजनक है, फिर भी इससे लागत, विनियमन और समानता से जुड़ी गंभीर चुनौतियाँ उत्पन्न होती हैं। आगामी वर्षों में यह सुनिश्चित करना अत्यंत आवश्यक होगा कि बाह्य अंतरिक्ष एक साझा, सुरक्षित और सतत वैश्विक सार्वजनिक संपदा के रूप में बना रहे।