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Blog / 02 Aug 2025

प्रोजेक्ट 17A फ्रिगेट 'हिमगिरी'

संदर्भ:

हाल ही में भारतीय नौसेना को अत्याधुनिक स्टेल्थ युद्धपोत 'हिमगिरी' सौंपा गया है, जिसे कोलकाता की गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE) द्वारा प्रोजेक्ट 17A के तहत निर्मित किया गया है। यह भारतीय नौसेना की समुद्री शक्ति को बढ़ाने और आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

हिमगिरी के बारे में:

·        हिमगिरी भारतीय नौसेना का एक आधुनिक युद्धपोत है, जो प्रोजेक्ट 17A के अंतर्गत नीलगिरी श्रेणी के तहत बनाया गया है। यह इस श्रेणी का तीसरा जहाज है और GRSE द्वारा बनाया गया पहला जहाज है।

·        इस युद्धपोत का डिज़ाइन भारतीय नौसेना के वॉरशिप डिज़ाइन ब्यूरो (WDB) ने तैयार किया है और निर्माण कार्य की निगरानी कोलकाता स्थित वॉरशिप ओवरसीइंग टीम ने की।

·        यह नया युद्धपोत पुराने INS हिमगिरी की विरासत को आगे बढ़ाता है, जो एक लिएंडर श्रेणी का फ्रिगेट था और 30 वर्षों तक सेवा देने के बाद 6 मई 2025 को सेवामुक्त हुआ। यह नया जहाज भारत की आत्मनिर्भर और आधुनिक युद्धपोत निर्माण की प्रतिबद्धता को दर्शाता है, साथ ही नौसेना की गौरवशाली परंपरा को भी सम्मान देता है।

मुख्य विशेषताएँ:

         मल्टी-मिशन भूमिका: हिमगिरी एक स्टेल्थ गाइडेड-मिसाइल फ्रिगेट है, जो वायु, सतह और पनडुब्बी हमलों से मुकाबला कर सकता है।

         हथियार प्रणाली:

o   ब्रह्मोस: यह सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है, जो जल और ज़मीन दोनों लक्ष्यों पर हमला कर सकती है।

o   बराक-8: यह एक आधुनिक लॉन्ग-रेंज सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली है।

         सेंसर: जहाज में AESA (एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैनड एरे) रडार लगा है, जिससे लक्ष्य की पहचान और निगरानी बेहद सटीक होती है।

         संचालक शक्ति प्रणाली: इसमें डीज़ल और गैस टरबाइन (CODOG) का संयुक्त इंजन लगा है, जो तेज़ी और ईंधन दक्षता दोनों देता है।

         चालक दल की सुविधा: इसमें लगभग 225 लोगों के रहने की व्यवस्था है और हेलिकॉप्टर संचालन की सुविधा भी है, जिससे समुद्र और हवा में बेहतर समन्वय हो सकता है।

         स्थानीय निर्माण: इसमें लगभग 75% सामग्री और तकनीक स्वदेशी है, जो भारत की रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को दर्शाता है।

प्रोजेक्ट 17A (नीलगिरी श्रेणी) क्या है?

प्रोजेक्ट 17A भारतीय नौसेना की एक पहल है, जिसके तहत नई पीढ़ी के स्टेल्थ फ्रिगेट बनाए जा रहे हैं, जो पुराने युद्धपोतों की जगह लेंगे और आधुनिक समुद्री खतरों से निपटने में सक्षम होंगे।

मुख्य विवरण:

         उद्देश्य: ऐसे आधुनिक युद्धपोत बनाना जो स्टेल्थ तकनीक से युक्त हों और नौसेना की ताकत को बढ़ाएँ।

         कुल जहाज: कुल 7 स्टेल्थ फ्रिगेट बनाए जा रहे हैं, जिनमें से 4 मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDL) और 3 GRSE द्वारा बनाए जा रहे हैं।

·         डिज़ाइन की प्रमुख तथ्य :

o    कम रडार पहचान के लिए स्टेल्थ तकनीक

    • युद्ध में बेहतर टिकाऊपन
    • उन्नत ऑटोमेशन और आधुनिक युद्ध प्रबंधन प्रणाली

Project 17A Indigenous Advanced Stealth Frigate Himgiri Delivered To Indian  Navy. - TRIPURA STAR NEWS

रणनीतिक महत्व:

         हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में भारत की समुद्री सुरक्षा मजबूत करता है, खासकर जब चीन जैसी शक्तियाँ भी इस क्षेत्र में सक्रिय हैं।

         नौसेना को समुद्री डकैती रोकने, व्यापारिक मार्गों की सुरक्षा और समुद्री निगरानी में मदद करता है।

         75% स्वदेशी निर्माण भारत की युद्धपोत डिज़ाइन, निर्माण और रखरखाव की क्षमता को दर्शाता है, जिससे विदेशों पर निर्भरता घटती है।

         ब्रह्मोस और बराक-8 से लैस होने के कारण यह जहाज सटीक हमला और वायु सुरक्षा में सक्षम है, जो भारत के दो मोर्चों (चीन और पाकिस्तान) के खतरे को देखते हुए बेहद अहम है।

         इससे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से लगभग 14,000 लोगों को रोजगार मिला,जिससे क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था को भी बल मिला।

         यह भारत के नेट सिक्योरिटी प्रोवाइडर बनने के संकल्प को मज़बूत करता है और SAGAR (सुरक्षा और सबके लिए विकास) के दृष्टिकोण के अनुरूप है।

         इससे भारत रक्षा कूटनीति में भी आगे बढ़ता है, क्योंकि अब भारत मित्र देशों (जैसे ASEAN या अफ्रीकी राष्ट्रों) को युद्धपोत निर्माण या मरम्मत सेवाएँ दे सकता है।

निष्कर्ष:

हिमगिरी का नौसेना को सौंपा जाना भारत के ब्लू वॉटर नेवी (समुद्र में लंबी दूरी तक अभियान चलाने में सक्षम नौसेना) बनने की दिशा में एक और अहम कदम है। यह आत्मनिर्भरता, समुद्री सुरक्षा और रक्षा उत्पादन में तकनीकी प्रगति की भारत की प्रतिबद्धता को स्पष्ट रूप से दर्शाता है।