होम > Blog

Blog / 17 Jun 2025

प्रधानमंत्री मोदी की साइप्रस यात्रा

संदर्भ:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हाल की साइप्रस यात्रा भारत की पूर्वी भूमध्यसागर क्षेत्र के साथ विदेश नीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव को दर्शाती है। यह बीते दो दशकों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली यात्रा है और इसके राजनयिक, रणनीतिक और आर्थिक दृष्टिकोण से दूरगामी प्रभाव हैं।

यात्रा की मुख्य बातें:
यह पिछले चार दशकों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की साइप्रस की केवल तीसरी यात्रा हैइससे पहले इंदिरा गांधी (1982) और अटल बिहारी वाजपेयी (2002) गए थे। प्रधानमंत्री मोदी की यह पहल द्विपक्षीय संबंधों को प्रगाढ़ संबंध को दर्शाता है और भारत की कूटनीतिक प्राथमिकताओं में साइप्रस को एक विशेष स्थान देता है।

Modi’s Visit to Cyprus

तुर्की और पाकिस्तान को भू-राजनीतिक संदेश:
यह यात्रा उस समय और भी रणनीतिक महत्व रखती है जब हाल ही में 'ऑपरेशन सिंदूर' और अप्रैल 22 को हुए पहलगाम आतंकी हमले के बाद तुर्की ने पाकिस्तान का समर्थन किया।
इसके विपरीत, साइप्रस ने इस आतंकी घटना की निंदा की और यूरोपीय संघ के मंचों पर इस मुद्दे को उठाने का वादा किया।
निकोसिया में मोदी की उपस्थिति तुर्की के प्रभाव को संतुलित करने और उत्तरी साइप्रस को लेकर साइप्रस के साथ एकजुटता जताने के रूप में देखी जा सकती है।

साइप्रस का भारत के लिए महत्व:
हालाँकि साइप्रस एशिया में स्थित है, यह यूरोपीय संघ (EU) का सदस्य है। तुर्की, सीरिया और मध्य पूर्व के नज़दीक इसका रणनीतिक स्थान भारत के यूरोपीय बाज़ारों तक पहुँचने की महत्वाकांक्षाओं के लिए अहम है।
साइप्रस की सबसे बड़ी वित्तीय संस्थाओं में से एक यूरोबैंक द्वारा मुंबई में कार्यालय खोलना बढ़ते वित्तीय और वाणिज्यिक सहयोग का संकेत है।
इंडिया-मिडिल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर (IMEC): इस प्रस्तावित गलियारे में साइप्रस एक अहम हिस्सा है, जो एशिया और यूरोप के बीच व्यापार और संपर्क को मज़बूत करने का लक्ष्य रखता है। मोदी की यात्रा साइप्रस की इस परियोजना में भूमिका को स्थिर और मज़बूत बनाने की दिशा में है, जिससे भारत को समुद्री और लॉजिस्टिक पहुँच में एक स्थायी साझेदार मिल सकता है।
भारत-ईयू वार्ताओं को समर्थन: 2026 में साइप्रस यूरोपीय संघ परिषद की अध्यक्षता करेगा। भारत, जो 2025 के अंत तक ईयू के साथ मुक्त व्यापार समझौते (FTA) को अंतिम रूप देना चाहता है, के लिए साइप्रस एक रणनीतिक सहयोगी बन सकता है।
ऊर्जा और प्राकृतिक गैस सहयोग: साइप्रस पूर्वी भूमध्यसागर में समुद्र के अंदर प्राकृतिक गैस की खोज में सक्रिय है, जहाँ तुर्की की सैन्य गतिविधियाँ और दावे बने हुए हैं। ऊर्जा स्रोतों में विविधता लाने की दिशा में भारत साइप्रस को एक संभावित साझेदार के रूप में देखता है।
निवेश और कर-व्यवस्था: साइप्रस भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) का एक महत्वपूर्ण स्रोत है और दोनों देशों के बीच दोहरा कराधान निषेध समझौता (DTAA) है, जिससे वित्तीय लेन-देन सुगम होता है।

"ऑर्डर ऑफ माकारियॉस III" का ग्रैंड क्रॉस सम्मान-:
प्रधानमंत्री मोदी को इस यात्रा के दौरान "ऑर्डर ऑफ माकारियॉस III" का ग्रैंड क्रॉस सम्मान प्रदान किया गया, जो साइप्रस का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है। यह सम्मान विश्व नेताओं को राजनयिक, शांति और मानव मूल्यों में उत्कृष्ट योगदान के लिए दिया जाता है।

निष्कर्ष:
प्रधानमंत्री मोदी की साइप्रस यात्रा केवल प्रतीकात्मक नहीं है, बल्कि यह छोटे लेकिन रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण देशों तक भारत की पहुंच को दर्शाती है। यह तुर्की-पाकिस्तान गठजोड़ के प्रति भारत की असहमति को दर्शाती है और साइप्रस को भारत की यूरोपीय और भूमध्यसागरीय रणनीति में एक अहम भागीदार के रूप में स्थापित करती है।