संदर्भ:
हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्य सरकारों से आग्रह किया कि वे केंद्र सरकार के प्रगति (PRAGATI) मंच को राज्य स्तर पर भी अपनाएँ तथा राज्य के प्रशासनिक ढाँचे के अंतर्गत डेटा रणनीति इकाइयों और नियमन-मुक्ति प्रकोष्ठों की स्थापना करें। यह सुझाव नई दिल्ली में आयोजित मुख्य सचिवों के पाँचवें राष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान प्रस्तुत किया गया। इस पहल के माध्यम से केंद्र सरकार ने डेटा-आधारित शासन, प्रशासनिक दक्षता तथा नीतियों के समयबद्ध और प्रभावी क्रियान्वयन पर अपने विशेष जोर को स्पष्ट रूप से रेखांकित किया है।
प्रगति (PRAGATI) के बारे में:
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- प्रगति (PRAGATI) का पूर्ण रूप सक्रिय शासन और समयबद्ध कार्यान्वयन है। इस मंच की शुरुआत वर्ष 2015 में केंद्र सरकार द्वारा की गई थी। यह विभिन्न मंत्रालयों और राज्यों की प्रमुख अवसंरचना परियोजनाओं तथा फ्लैगशिप योजनाओं की निगरानी के लिए डेटा प्रबंधन प्रणाली, भू-स्थानिक मानचित्रण और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग जैसी आधुनिक तकनीकों को एकीकृत करता है।
- प्रगति मंच वास्तविक समय में परियोजनाओं की निगरानी को संभव बनाता है, विभिन्न एजेंसियों के बीच बेहतर समन्वय स्थापित करता है और क्रियान्वयन से जुड़ी समस्याओं के त्वरित समाधान में सहायक होता है। इसके परिणामस्वरूप शासन की गुणवत्ता, जवाबदेही और नीति-परिणामों में समग्र सुधार होता है।
- प्रगति (PRAGATI) का पूर्ण रूप सक्रिय शासन और समयबद्ध कार्यान्वयन है। इस मंच की शुरुआत वर्ष 2015 में केंद्र सरकार द्वारा की गई थी। यह विभिन्न मंत्रालयों और राज्यों की प्रमुख अवसंरचना परियोजनाओं तथा फ्लैगशिप योजनाओं की निगरानी के लिए डेटा प्रबंधन प्रणाली, भू-स्थानिक मानचित्रण और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग जैसी आधुनिक तकनीकों को एकीकृत करता है।
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मुख्य अनुशंसाएँ:
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- राज्य स्तर पर प्रगति मंच की स्थापना
- राज्यों को अपनी क्षेत्रीय विकास आवश्यकताओं के अनुरूप प्रगति जैसे निगरानी मंच विकसित करने के लिए प्रोत्साहित किया गया है।
- इसका उद्देश्य सक्रिय समस्या-समाधान को बढ़ावा देना, परियोजनाओं की वास्तविक समय में निगरानी सुनिश्चित करना, योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन को सुदृढ़ करना तथा राज्य शासन में जवाबदेही को मजबूत करना है।
- राज्यों को अपनी क्षेत्रीय विकास आवश्यकताओं के अनुरूप प्रगति जैसे निगरानी मंच विकसित करने के लिए प्रोत्साहित किया गया है।
- डेटा रणनीति इकाइयों की स्थापना
- राज्यों को मुख्य सचिवों के कार्यालयों के अंतर्गत डेटा रणनीति इकाइयों की स्थापना करने की सलाह दी गई है।
- ये इकाइयाँ डेटा विश्लेषण, साक्ष्य-आधारित नीति निर्माण तथा डिजिटल उपकरणों के उपयोग के माध्यम से योजना निर्माण, सेवा वितरण और प्रशासनिक सुधारों को सुदृढ़ करेंगी।
- यह सिफारिश अधिक प्रभावी नीति क्रियान्वयन के लिए डेटा-आधारित शासन की दिशा में बढ़ते व्यापक रुझान को दर्शाती है।
- राज्यों को मुख्य सचिवों के कार्यालयों के अंतर्गत डेटा रणनीति इकाइयों की स्थापना करने की सलाह दी गई है।
- नियमन-मुक्ति प्रकोष्ठों का गठन
- राज्यों को ऐसे नियमन-मुक्ति प्रकोष्ठ स्थापित करने के लिए कहा गया है, जो अनावश्यक और जटिल नियमों की पहचान कर उन्हें हटाने की प्रक्रिया को तेज करें।
- इसका उद्देश्य नियामक बाधाओं को कम करना, प्रशासनिक प्रक्रियाओं को सरल बनाना और व्यापार करने में सुगमता को बढ़ावा देना है।
- इस पहल से अधिक पारदर्शी, पूर्वानुमेय और निवेश-अनुकूल नियामक वातावरण के निर्माण में सहायता मिलेगी।
- राज्यों को ऐसे नियमन-मुक्ति प्रकोष्ठ स्थापित करने के लिए कहा गया है, जो अनावश्यक और जटिल नियमों की पहचान कर उन्हें हटाने की प्रक्रिया को तेज करें।
- प्रशासनिक समय का बेहतर उपयोग
- प्रधानमंत्री ने सुझाव दिया कि नियमित और गैर-आवश्यक बैठकों की संख्या को सीमित किया जाए, ताकि अधिकारियों को मैदानी कार्य और जमीनी स्तर पर नीति क्रियान्वयन के लिए अधिक समय मिल सके।
- इस कदम का उद्देश्य प्रशासनिक दक्षता में वृद्धि करना और जमीनी स्तर पर शासन को अधिक प्रभावी बनाना है।
- प्रधानमंत्री ने सुझाव दिया कि नियमित और गैर-आवश्यक बैठकों की संख्या को सीमित किया जाए, ताकि अधिकारियों को मैदानी कार्य और जमीनी स्तर पर नीति क्रियान्वयन के लिए अधिक समय मिल सके।
- राज्य स्तर पर प्रगति मंच की स्थापना
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पहल का महत्व:
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- शासन दक्षता में वृद्धि: राज्य स्तर पर प्रगति मंच को अपनाने से निगरानी और मूल्यांकन तंत्र मजबूत होगा, परियोजनाओं में होने वाली देरी कम होगी तथा सार्वजनिक परियोजनाओं का समयबद्ध और लागत-कुशल क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जा सकेगा।
- डेटा-आधारित निर्णय निर्माण को बढ़ावा: डेटा रणनीति इकाइयों की स्थापना शासन में विश्लेषण और साक्ष्य के बढ़ते महत्व को रेखांकित करती है, जिससे राज्य प्रशासन वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं के अनुरूप नीति निर्माण और क्रियान्वयन की दिशा में अग्रसर हो सकेगा।
- व्यापार करने में सुगमता: नियमन-मुक्ति प्रकोष्ठ राज्य स्तर के नियामक ढाँचे को सरल बनाएँगे, प्रशासनिक जटिलताओं को कम करेंगे, निवेश आकर्षित करेंगे और आर्थिक गतिविधियों को गति प्रदान करेंगे।
- सहकारी संघवाद को मजबूती: राज्यों को केंद्र की सफल शासन प्रणालियों को अपनाने के लिए प्रेरित करना सहकारी संघवाद को सुदृढ़ करता है तथा केंद्र–राज्य समन्वय और सहयोग को बढ़ावा देता है।
- शासन दक्षता में वृद्धि: राज्य स्तर पर प्रगति मंच को अपनाने से निगरानी और मूल्यांकन तंत्र मजबूत होगा, परियोजनाओं में होने वाली देरी कम होगी तथा सार्वजनिक परियोजनाओं का समयबद्ध और लागत-कुशल क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जा सकेगा।
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निष्कर्ष:
राज्यों में प्रगति मंच को दोहराने तथा डेटा रणनीति इकाइयों को संस्थागत रूप देने का प्रधानमंत्री का आह्वान आधुनिक, उत्तरदायी और प्रौद्योगिकी-सक्षम शासन की व्यापक दृष्टि को दर्शाता है। यह पहल डिजिटल शासन, साक्ष्य-आधारित नीति निर्माण और प्रभावी सार्वजनिक सेवा वितरण की दिशा में भारत के प्रयासों के अनुरूप है, जो राज्यों में समावेशी और सतत विकास प्राप्त करने के लिए अत्यंत आवश्यक हैं।
