संदर्भ:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना (PMKSY) के लिए ₹6,520 करोड़ की कुल राशि को मंज़ूरी दी है। यह राशि 15वें वित्त आयोग चक्र (2021–22 से 2025–26) के लिए है। इसमें ₹1,920 करोड़ की अतिरिक्त राशि भी शामिल है, जो योजना की मौजूदा पहलों को और मज़बूती देने के लिए दी गई है।
नई मंज़ूरी के मुख्य बिंदु:
1. ₹1,000 करोड़ का उपयोग इन कार्यों के लिए किया जाएगा:
o 50 मल्टी-प्रोडक्ट फूड इर्रैडिएशन यूनिट्स की स्थापना, जो ‘इंटीग्रेटेड कोल्ड चेन एंड वैल्यू एडिशन इन्फ्रास्ट्रक्चर (ICCVAI)’ घटक के तहत होंगी।
o 100 NABL-प्रमाणित खाद्य परीक्षण प्रयोगशालाएं स्थापित की जाएंगी, जो ‘फूड सेफ्टी एंड क्वालिटी एश्योरेंस इन्फ्रास्ट्रक्चर (FSQAI)’ घटक के अंतर्गत होंगी।
2. ₹920 करोड़ की राशि विभिन्न उप-योजनाओं के तहत अतिरिक्त परियोजनाओं को सहायता देने के लिए दी जाएगी।
प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना (PMKSY) क्या है?
यह एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है जिसे 2017 में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय (MoFPI) द्वारा शुरू किया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य खेत से खुदरा बाज़ार तक आधुनिक ढांचागत सुविधाएं तैयार करना और एक प्रभावी आपूर्ति श्रृंखला बनाना है।
PMKSY के उद्देश्य:
- खाद्य प्रसंस्करण के लिए आधुनिक अवसंरचना का निर्माण करना।
- खेत से लेकर खुदरा विक्रेता तक एकीकृत आपूर्ति श्रृंखला बनाना।
- कृषि उत्पादों की बर्बादी और कटाई के बाद होने वाले नुकसान को कम करना।
- किसानों की आय बढ़ाने के लिए उनके उत्पादों में मूल्य संवर्धन करना।
- इस क्षेत्र में निवेश को आकर्षित करना और रोजगार के अवसर पैदा करना।
- खाद्य सुरक्षा और गुणवत्ता में सुधार लाकर अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा को बढ़ाना।
PMKSY के प्रमुख घटक:
1. इंटीग्रेटेड कोल्ड चेन और वैल्यू एडिशन इन्फ्रास्ट्रक्चर (ICCVAI):
o कोल्ड स्टोरेज, रेफ्रिजरेटेड ट्रांसपोर्ट और वैल्यू एडिशन यूनिट्स का निर्माण किया जाता है ताकि खराबी कम हो।
2. खाद्य प्रसंस्करण और संरक्षण क्षमता का निर्माण/विस्तार (CEFPPC):
o नई इकाइयों की स्थापना या मौजूदा इकाइयों के विस्तार के लिए वित्तीय सहायता।
3. फूड सेफ्टी एंड क्वालिटी एश्योरेंस इन्फ्रास्ट्रक्चर (FSQAI):
o खाद्य गुणवत्ता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रयोगशालाएं स्थापित करना।
4. ऑपरेशन ग्रीन्स:
o पहले यह टमाटर, प्याज और आलू (TOP) फसलों तक सीमित था, अब यह 22 जल्दी खराब होने वाली फसलों को कवर करता है। इसका उद्देश्य मूल्य स्थिरता लाना और नुकसान कम करना है।
5. मेगा फूड पार्क्स:
o क्लस्टर आधारित खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र बनाए जाते हैं जहां किसानों और उद्यमियों को अत्याधुनिक सुविधाएं मिलती हैं।
6. बैकवर्ड और फॉरवर्ड लिंकेजेस:
o किसानों और प्रोसेसिंग इकाइयों के बीच बेहतर कनेक्टिविटी बनाई जाती है ताकि आय और दक्षता दोनों बढ़ें।
7. मानव संसाधन और संस्थान:
o कौशल विकास, प्रशिक्षण और अनुसंधान को बढ़ावा देने पर ज़ोर दिया जाता है।
भारत का खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र कैसे बढ़ रहा है?
- भारत का खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र हाल के वर्षों में तेज़ी से बढ़ा है। इसका सकल मूल्य वर्धन (GVA) वर्ष 2014–15 में ₹1.34 लाख करोड़ था, जो 2021–22 में ₹2.08 लाख करोड़ तक पहुँच गया है।
- यह क्षेत्र विदेशी निवेशकों को भी आकर्षित कर रहा है – अप्रैल 2014 से मार्च 2023 के बीच USD 6.185 बिलियन की एफडीआई (FDI) आई है।
- निर्यात के क्षेत्र में, प्रोसेस्ड फूड का हिस्सा 2014–15 में कुल कृषि निर्यात का 13.7% था, जो 2022–23 में 25.6% हो गया। यह दिखाता है कि भारत के खाद्य उत्पादों में मूल्य संवर्धन और वैश्विक प्रतिस्पर्धा बढ़ी है।
- यह क्षेत्र पंजीकृत विनिर्माण क्षेत्र की कुल नौकरियों में 12.22% का योगदान करता है, जिससे यह भारत की आर्थिक और रोजगार वृद्धि का अहम स्तंभ बन गया है।
निष्कर्ष:
₹6,520 करोड़ की यह नई मंज़ूरी यह दर्शाती है कि सरकार कृषि क्षेत्र को बुनियादी ढांचे, तकनीक और खाद्य सुरक्षा के ज़रिए आधुनिक और लाभकारी बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना भारतीय किसानों को अधिक आय, बेहतर मूल्य और वैश्विक बाज़ारों तक पहुंच प्रदान कर देश की कृषि अर्थव्यवस्था को मज़बूत बनाने का कार्य कर रही है।