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Blog / 01 Sep 2025

थाईलैंड में राजनीतिक संकट

संदर्भ:

हाल ही में थाईलैंड की संवैधानिक अदालत ने प्रधानमंत्री पैतोंगटार्न शिनावात्रा को आचार संहिता (Ethics Violation) के उल्लंघन के आरोप में पद से हटा दिया। अदालत का निर्णय 6-3 मतों से हुआ। फैसले में कहा गया कि पैतोंगटार्न ने राष्ट्रीय हितों के बजाय व्यक्तिगत संबंधों को प्राथमिकता दी। यह मामला उस लीक हुई फ़ोन कॉल से जुड़ा है, जिसमें वह थाईलैंड और कंबोडिया के बीच सीमा विवाद के दौरान कंबोडिया के पूर्व नेता हुन सेन से बातचीत करती सुनाई दी थीं।

पद से हटाने का कारण:

  • विवाद की शुरुआत उस लीक हुई फ़ोन कॉल से हुई, जिसमें पैतोंगटार्न कंबोडिया के नेता हुन सेन से सीमा विवाद पर बातचीत कर रही थीं। इस बातचीत में उन्होंने हुन सेन के प्रति झुकाव दिखाया और एक वरिष्ठ थाई सैन्य अधिकारी की आलोचना की। अदालत ने इसे आचार संहिता का उल्लंघन मानते हुए कहा कि पैतोंगटार्न ने राष्ट्रीय हितों से ऊपर निजी संबंधों को प्राथमिकता दी।
  • उनके पद से हटने के बाद उप-प्रधानमंत्री फुमथम वेचायाचाई और वर्तमान मंत्रिमंडल कार्यवाहक सरकार के रूप में तब तक काम करेंगे, जब तक संसद नया प्रधानमंत्री नहीं चुन लेती। इस प्रक्रिया की समय-सीमा अभी स्पष्ट नहीं है और सरकार की स्थिरता इस बात पर निर्भर करेगी कि गठबंधन दल आपसी मतभेदों को दूर कर कितनी एकजुटता बनाए रखते हैं।

भारत पर प्रभाव:

थाईलैंड में हालिया राजनीतिक अस्थिरता, जिसके तहत प्रधानमंत्री पैतोंगटार्न शिनावात्रा को पद से हटाया गया है, भारत पर कई स्तरों पर प्रभाव डाल सकती है।

·         व्यापार और संपर्क: भारत-म्यांमार-थाईलैंड त्रिपक्षीय राजमार्ग (IMT-TH) जैसी वर्तमान और प्रस्तावित संपर्क परियोजनाएँ इस अस्थिरता से प्रभावित हो सकती हैं।

·         क्षेत्रीय स्थिरता: भारत की एक्ट ईस्ट नीति का उद्देश्य दक्षिण-पूर्व एशिया से संबंधों को गहरा करना है, लेकिन थाईलैंड में अस्थिरता और म्यांमार की चुनौतियाँ क्षेत्रीय एकीकरण और आर्थिक विकास की गति को धीमा कर सकती हैं।

·         रणनीतिक साझेदारी: थाईलैंड का चीन और पश्चिमी देशों के साथ संतुलित रिश्ता भारत के लिए सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। हालांकि, थाईलैंड की रूढ़िवादी शक्तियाँ चीन की ओर अपेक्षाकृत अधिक झुकाव रखती हैं।

भारत थाईलैंड संबंध:

भारत और थाईलैंड के बीच लंबे समय से घनिष्ठ और सौहार्दपूर्ण राजनीतिक संबंध रहे हैं, जिनकी नींव गहरे ऐतिहासिक और सांस्कृतिक जुड़ाव पर आधारित है। 1990 के दशक में भारत की लुक ईस्ट पॉलिसी ने इन संबंधों को नई गति प्रदान की, जिसे 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक्ट ईस्ट पॉलिसी के रूप में और आगे बढ़ाया। इसके साथ ही थाईलैंड ने अपनी एक्ट वेस्ट पॉलिसी के माध्यम से दक्षिण एशिया से और गहरे संबंध बनाने की दिशा में कदम उठाए।

भारत-थाईलैंड संबंधों के मुख्य पहलू:

·         रणनीतिक साझेदारी: अप्रैल 2025 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और थाई प्रधानमंत्री पैतोंगटार्न शिनावात्रा ने द्विपक्षीय संबंधों कोरणनीतिक साझेदारीके स्तर तक ऊँचा किया। इस साझेदारी का फोकस सुरक्षा सहयोग, व्यापार विस्तार और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में समन्वय पर रहा।

·         आर्थिक सहयोग: वित्तीय वर्ष 2023–24 में थाईलैंड भारत का 21वाँ सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार रहा। दोनों देशों के बीच लगभग 14.94 अरब डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार हुआ। इसके अतिरिक्त, आपसी निवेश, सूक्ष्मलघुमध्यम उद्यम (MSME) सहयोग और संपर्क बढ़ाने के लिए भारतम्यांमारथाईलैंड त्रिपक्षीय राजमार्ग जैसी परियोजनाओं पर कार्य जारी है।

·         क्षेत्रीय सहयोग: भारत और थाईलैंड आसियान (ASEAN), बिम्सटेक (BIMSTEC), एडीएमएम-प्लस (ADMM-Plus) और ईस्ट एशिया समिट जैसे क्षेत्रीय मंचों में सक्रिय रूप से सहयोग करते हैं तथा बहुपक्षवाद और क्षेत्रीय स्थिरता को सुदृढ़ करने में योगदान देते हैं।