होम > Blog

Blog / 08 Nov 2025

गिरफ्तारी के लिए पुलिस को लिखित कारण देना अनिवार्य

सन्दर्भ:

हाल ही में भारत के सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्णय दिया है कि पुलिस अधिकारी और जांच एजेंसियां प्रत्येक गिरफ्तार व्यक्ति को उसकी गिरफ्तारी के लिखित कारण यथाशीघ्र उपलब्ध कराएँ, चाहे अपराध का स्वरूप कुछ भी हो या कोई भी कानून  लागू किया गया हो।

पृष्ठभूमि:

यह निर्णय मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति ए.जी. मसीह  की खंडपीठ द्वारा दिया गया। खंडपीठ ने कहा कि गिरफ्तारी के कारण की जानकारी देना , भारतीय संविधान के अनुच्छेद 22(1) का एक अभिन्न अधिकार है।

अनुच्छेद 22(1) के अनुसार किसी भी व्यक्ति को बिना यह बताए कि उसकी गिरफ्तारी के क्या कारण हैं, हिरासत में नहीं रखा जा सकता।

निर्णय के मुख्य बिंदु:

      • लिखित कारण देना अनिवार्य: अब पुलिस को गिरफ्तारी के समय या जल्द से जल्द बाद में, लिखित रूप में कारण बताना अनिवार्य होगा। यह नियम सभी कानूनों (All Statutes) पर लागू होगाचाहे भारतीय न्याय संहिता हो या कोई विशेष अधिनियम।
      • अपवादिक परिस्थिति: यदि कोई अत्यावश्यक या असामान्य स्थिति हो, जहाँ तुरंत लिखित कारण देना संभव न हो, तो पुलिस मौखिक रूप से  कारण बता सकती है।
      • समयसीमा: ऐसे मामलों में भी लिखित कारण उचित समय के भीतर और कम से कम मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रस्तुत किए जाने से दो घंटे पहले अवश्य दिए जाने चाहिए।

निर्णय का महत्व:

      • न्यायिक प्रक्रिया को सुदृढ़ बनाने में सहायक: यह निर्णय न्यायसंगत प्रक्रिया  के संवैधानिक वादे और मनमानी गिरफ्तारी के विरुद्ध सुरक्षा को सशक्त करता है।
      • उत्तरदायित्व सुनिश्चित करता: गिरफ्तारी के लिखित कारण अदालतों और निगरानी संस्थाओं द्वारा जांचे जा सकते हैं, जिससे पारदर्शिता बढ़ती है।
      • मौलिक अधिकारों की रक्षा: गिरफ्तारी के लिखित कारणों का दस्तावेजीकरण एक ऐसा रिकॉर्ड तैयार करता है जिसे अदालतें और निगरानी संस्थाएं जांच सकती हैं।
      • वैश्विक मानकों से सामंजस्य: यह निर्णय अंतरराष्ट्रीय नागरिक और राजनीतिक अधिकारों पर अभिसमय (International Covenant on Civil and Political Rights - ICCPR) के अनुच्छेद 9(2) के अनुरूप है, जिसमें कहा गया है किकिसी भी गिरफ्तार व्यक्ति को उसकी गिरफ्तारी के कारणों की जानकारी तुरंत दी जानी चाहिए।

निष्कर्ष:

सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला कानून के शासन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता को सशक्त करने की दिशा में एक प्रगतिशील कदम है। लिखित कारणों की अनिवार्यता से पुलिस शक्तियों के दुरुपयोग की संभावना घटेगी, और आपराधिक न्याय प्रणाली में पारदर्शिता व जवाबदेहीदोनों को मजबूती मिलेगी।