संदर्भ:
हाल ही में भारतीय प्रधानमंत्री भूटान की यात्रा पर थे। यह दौरा भूटान के चौथे राजा (जिग्मे सिंग्ये वांगचुक) के 70वें जन्मदिन समारोह के अवसर पर हुआ। इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य भारत और भूटान के लंबे समय से चले आ रहे मजबूत संबंधों को और गहराई देना था। इस दौरान कूटनीतिक वार्ताओं के साथ-साथ सांस्कृतिक जुड़ाव और आध्यात्मिक महत्व भी प्रमुख रूप से जुड़े थे।
यात्रा के दौरान प्रमुख घोषणाएँ और समझौते:
1. आर्थिक और विकास सहयोग:
• भारत ने भूटान की 13वीं पंचवर्षीय योजना और आर्थिक प्रोत्साहन कार्यक्रम के प्रति अपने पूर्ण समर्थन को दोहराया, जिसका लक्ष्य समावेशी और सतत विकास को बढ़ावा देना है।
• भारत सरकार ने भूटान में विभिन्न ऊर्जा परियोजनाओं के लिए 40 अरब रुपये की रियायती ऋण सहायता (Line of Credit) प्रदान करने की घोषणा की।
2. ऊर्जा सहयोग:
• भारतीय प्रधानमंत्री और भूटान के राजा ने संयुक्त रूप से 1,020 मेगावाट क्षमता वाली पुनात्सांगचु-II जलविद्युत परियोजना का उद्घाटन किया, जो दोनों देशों की ऊर्जा साझेदारी में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
• दोनों देशों ने 1,200 मेगावाट की पुनात्सांगचु-I परियोजना पर दोबारा कार्य आरंभ करने पर सहमति जताई। यह परियोजना दोनों सरकारों द्वारा संयुक्त रूप से विकसित की जाने वाली सबसे बड़ी जलविद्युत परियोजना होगी।
3. कनेक्टिविटी और बुनियादी ढाँचा:
• भारत और भूटान ने सीमा क्षेत्रों में संपर्क बढ़ाने और बुनियादी ढाँचे को मजबूत बनाने पर विशेष जोर दिया।
• प्रमुख प्रगति में शामिल हैं:
o नवंबर 2024 से संचालित दाररंगा में आव्रजन जाँच चौकी
o मार्च 2025 से संचालित जोगीघोपा में अंतर्देशीय जलमार्ग टर्मिनल और मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क
o सीमा-पार रेल संपर्क (कोकराझार-गेलेफू और बानरहाट-समत्से) पर सितंबर 2025 में एमओयू पर हस्ताक्षर; इसके क्रियान्वयन के लिए परियोजना संचालन समिति का गठन
4. उभरते सहयोग क्षेत्र:
• STEM, फिनटेक और स्पेस टेक्नोलॉजी को भारत–भूटान सहयोग के नए और प्रमुख क्षेत्रों शामिल है।
• UPI इंटीग्रेशन के फेज-II पर तेजी से काम चल रहा है, जिससे भूटानी नागरिक भारत में QR-आधारित डिजिटल भुगतान आसानी से कर सकेंगे।
• संचार, आपदा प्रबंधन और अन्य उपयोगों के लिए अंतरिक्ष सहयोग पर तैयार संयुक्त कार्य योजना की समीक्षा की गई।
5. हस्ताक्षरित तीन महत्वपूर्ण समझौते (MoUs):
• नवीकरणीय ऊर्जा सहयोग: भूटान के ऊर्जा मंत्रालय और भारत के नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के बीच।
• स्वास्थ्य और चिकित्सा सहयोग: भारत और भूटान के स्वास्थ्य मंत्रालयों के बीच।
• मानसिक स्वास्थ्य संस्थागत सहयोग: भूटान के पीईएमए (पेमा) सचिवालय और भारत के राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य और तंत्रिका विज्ञान संस्थान (NIMHANS) के बीच।
यात्रा के व्यापक प्रभाव:
• यह यात्रा भारत–भूटान की गहरी मित्रता, आपसी विश्वास और सांस्कृतिक निकटता का मजबूत प्रमाण बनी।
• इसने भारत की ‘पड़ोस प्रथम’ नीति को और सुदृढ़ किया तथा यह भी स्पष्ट किया कि भूटान अपने विकास के लिए भारत को सबसे विश्वसनीय साझेदार मानता है।
• इस यात्रा ने भूटान की भूमिका को हिमालयी क्षेत्र में भारत के एक महत्वपूर्ण रणनीतिक सहयोगी के रूप में फिर से स्थापित किया, जो उत्तरी सीमा पर चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने में मदद करता है।
• भूटान–चीन सीमा वार्ताओं के बीच भारत और भूटान के बीच सीमा प्रबंधन तथा क्षेत्रीय सुरक्षा पर समन्वय और अधिक मजबूत हुआ।
• इस यात्रा से दक्षिण एशिया में भारत की उपस्थिति, विश्वसनीयता और साख में और बढ़ोतरी हुई, जिससे क्षेत्र में चीन की बढ़ती सक्रियता का प्रभावी संतुलन बना रहता है।
निष्कर्ष:
प्रधानमंत्री मोदी की 2025 की यह भूटान यात्रा केवल एक औपचारिक कार्यक्रम नहीं थी, बल्कि यह भारत और भूटान के बीच विश्वास, पारस्परिक सम्मान और साझा प्रगति पर आधारित आदर्श संबंध की पुष्टि थी। हाइड्रोपावर, डिजिटल कनेक्टिविटी, स्वास्थ्य, शिक्षा, स्पेस टेक्नोलॉजी और सांस्कृतिक आदान-प्रदान जैसे क्षेत्रों में हुए समझौते स्पष्ट रूप से दिखाते हैं कि भारत–भूटान संबंध अब एक व्यापक और बहुआयामी विकास साझेदारी के रूप में आगे बढ़ रहे हैं।

