संदर्भ:
हाल ही में बॉम्बे हाईकोर्ट ने अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी को अंतरिम राहत देते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स और एआई से जुड़ी संस्थाओं को उनके मॉर्फ्ड या बदले हुए चित्रों एवं वीडियो को प्रसारित करने से रोक दिया। इसी तरह, दिल्ली हाईकोर्ट ने अभिनेता आर. माधवन की छवि के अनधिकृत व्यावसायिक उपयोग पर प्रतिबंध लगाते हुए एआई जनित सामग्री को हटाने और उनकी समानता का उपयोग कर बनाए गए मर्चेंडाइज की बिक्री पर रोक लगाई। ये मामले इस बात को दर्शाते हैं कि अब कई सेलिब्रिटी जैसे ऐश्वर्या राय बच्चन और अभिषेक बच्चन सोशल मीडिया पर उनके नाम, छवि और पहचान के दुरुपयोग के खिलाफ व्यक्तित्व अधिकारों के संरक्षण हेतु न्यायालयों का सहारा ले रहे हैं।
भारत में व्यक्तित्व अधिकार:
-
-
- परिभाषा
- व्यक्तित्व अधिकार किसी व्यक्ति को उसके व्यक्तिगत गुणों, जैसे- नाम, छवि, आवाज़, समानता , तथा विशिष्ट अभिव्यक्तियों या गुणों के उपयोग पर नियंत्रण का अधिकार प्रदान करते हैं।
- ये अधिकार व्यावसायिक और गैर-व्यावसायिक दोनों प्रकार के शोषण को शामिल करते हैं।
- व्यक्तित्व अधिकार किसी व्यक्ति को उसके व्यक्तिगत गुणों, जैसे- नाम, छवि, आवाज़, समानता , तथा विशिष्ट अभिव्यक्तियों या गुणों के उपयोग पर नियंत्रण का अधिकार प्रदान करते हैं।
- भारत में कानूनी स्थिति:
- भारत में व्यक्तित्व अधिकार किसी एक विशेष क़ानून में स्पष्ट रूप से संहिताबद्ध नहीं हैं। हालांकि, इन्हें विभिन्न मौजूदा क़ानूनों और संवैधानिक प्रावधानों के माध्यम से अप्रत्यक्ष रूप से संरक्षण प्राप्त है।
- भारत में व्यक्तित्व अधिकार किसी एक विशेष क़ानून में स्पष्ट रूप से संहिताबद्ध नहीं हैं। हालांकि, इन्हें विभिन्न मौजूदा क़ानूनों और संवैधानिक प्रावधानों के माध्यम से अप्रत्यक्ष रूप से संरक्षण प्राप्त है।
- परिभाषा
-
प्रमुख घटक:
-
-
- प्रचार का अधिकार: किसी व्यक्ति की छवि या समानता के अनधिकृत व्यावसायिक उपयोग को रोकता है। आंशिक रूप से ट्रेडमार्क अधिनियम, 1999 और कॉपीराइट अधिनियम, 1957 के अंतर्गत संरक्षित।
- निजता का अधिकार: बिना सहमति किसी व्यक्ति को सार्वजनिक रूप से प्रस्तुत किए जाने से सुरक्षा प्रदान करता है। संविधान के अनुच्छेद 21 के अंतर्गत संरक्षित, जैसा कि न्यायमूर्ति के.एस. पुट्टास्वामी (सेवानिवृत्त) बनाम भारत संघ निर्णय (2017) में स्पष्ट किया गया।
- प्रचार का अधिकार: किसी व्यक्ति की छवि या समानता के अनधिकृत व्यावसायिक उपयोग को रोकता है। आंशिक रूप से ट्रेडमार्क अधिनियम, 1999 और कॉपीराइट अधिनियम, 1957 के अंतर्गत संरक्षित।
-
मृत्युोपरांत व्यक्तित्व अधिकार:
-
-
- भारत में मृत्यु के बाद व्यक्तित्व अधिकारों को लेकर कोई स्पष्ट वैधानिक मान्यता नहीं है।
- प्रतीक और नाम (अनुचित उपयोग निवारण) अधिनियम, 1950 महात्मा गांधी और प्रधानमंत्री की छवि के व्यावसायिक उपयोग पर प्रतिबंध लगाता है।
- दीपा जयकुमार बनाम ए.एल. विजय मामले में मद्रास हाईकोर्ट ने कहा कि सामान्यतः किसी व्यक्ति की मृत्यु के साथ ही उसके व्यक्तित्व अधिकार समाप्त हो जाते हैं।
- भारत में मृत्यु के बाद व्यक्तित्व अधिकारों को लेकर कोई स्पष्ट वैधानिक मान्यता नहीं है।
-
प्रमुख न्यायिक निर्णय:
-
-
- आईसीसी डेवलपमेंट लिमिटेड बनाम अर्वी एंटरप्राइजेज: इसमें प्रचार अधिकार से वंचित करना संविधान के अनुच्छेद 19 और 21 का उल्लंघन माना गया।
- अरुण जेटली बनाम नेटवर्क सॉल्यूशंस: न्यायालय ने माना कि डिजिटल स्पेस में प्रसिद्धि और प्रतिष्ठा का कानूनी महत्व भौतिक दुनिया के समान है।
- रजनीकांत बनाम वर्षा प्रोडक्शंस: किसी सेलिब्रिटी के नाम या छवि का अनधिकृत उपयोग व्यक्तित्व अधिकारों का उल्लंघन है।
- आईसीसी डेवलपमेंट लिमिटेड बनाम अर्वी एंटरप्राइजेज: इसमें प्रचार अधिकार से वंचित करना संविधान के अनुच्छेद 19 और 21 का उल्लंघन माना गया।
-
आदेशों का महत्व:
-
-
- डिजिटल निजता की सुरक्षा: AI और डीपफेक तकनीक के कारण किसी व्यक्ति की तस्वीर, वीडियो या पहचान का गलत इस्तेमाल आसान हो गया है। व्यक्तित्व अधिकार ऐसे दुरुपयोग से व्यक्ति की डिजिटल निजता की रक्षा करते हैं।
- निवारक न्यायिक हस्तक्षेप: अब न्यायालय नुकसान होने के बाद नहीं, बल्कि नुकसान होने से पहले ही रोक लगाने वाले आदेश (निषेधाज्ञा) जारी कर रहे हैं। इससे किसी व्यक्ति की प्रतिष्ठा को होने वाली अपूरणीय क्षति रोकी जा सकती है।
- तकनीकी उत्तरदायित्व: न्यायालयों ने स्पष्ट किया है कि AI का उपयोग मनमाने ढंग से नहीं किया जा सकता। AI का प्रयोग संविधान और क़ानून की सीमाओं के भीतर, जिम्मेदारी के साथ किया जाना चाहिए।
- डिजिटल निजता की सुरक्षा: AI और डीपफेक तकनीक के कारण किसी व्यक्ति की तस्वीर, वीडियो या पहचान का गलत इस्तेमाल आसान हो गया है। व्यक्तित्व अधिकार ऐसे दुरुपयोग से व्यक्ति की डिजिटल निजता की रक्षा करते हैं।
-
निष्कर्ष:
शिल्पा शेट्टी के मामले में दी गई अंतरिम राहत और दिल्ली हाईकोर्ट के समान आदेश यह दर्शाते हैं कि भारतीय न्यायपालिका डिजिटल व्यक्तित्व की रक्षा के लिए गंभीर और प्रतिबद्ध है। एआई आधारित हेरफेर और दुरुपयोग से उत्पन्न नई चुनौतियों के संदर्भ में, ये निर्णय भारत में व्यक्तित्व अधिकारों के प्रवर्तन के एक महत्वपूर्ण विकास चरण को दर्शाते हैं।
