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Blog / 18 Oct 2025

व्यक्तित्व अधिकार (Personality Rights)

सन्दर्भ:

बॉम्बे हाई कोर्ट ने हाल ही में दो अंतरिम आदेश जारी किए हैं, जिनमें लोकप्रिय गायिका आशा भोसले और अभिनेता सुनील शेट्टी को उनके चित्र, आवाज़, समानता (likeness) और अन्य व्यक्तिगत विशेषताओं के अनधिकृत उपयोग से सुरक्षा प्रदान की गई है (विशेष रूप से एआई जनित सामग्री, डीपफेक्स और सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स पर)। इन आदेशों के तहत वेब पोर्टल्स, सोशल मीडिया इंटरमीडियरीज़ और अन्य संस्थाओं को बिना सहमति के इन हस्तियों की पहचान के किसी भी रूप का दुरुपयोग या शोषण करने से रोका गया है।

पृष्ठभूमि:

91 वर्षीय प्रसिद्ध पार्श्वगायिका आशा भोसले ने बॉम्बे हाई कोर्ट का रुख किया, यह आरोप लगाते हुए कि कई प्लेटफ़ॉर्म्स ने उनकी आवाज़ की एआई क्लोनिंग की, उनके गायन की शैली की नकल की, उनके चित्रों का इस्तेमाल किया, उनके समानता वाले उत्पाद (merchandise) बेचे और बिना अनुमति उनके नाम से प्रतिरूपण (impersonation) किया।

सुनील शेट्टी का मामला:

सुनील शेट्टी ने भी अदालत से हस्तक्षेप की मांग की, यह आरोप लगाते हुए कि उनकी डीपफेक छवियाँ, प्रतिरूपण, तस्वीरों और नाम का व्यावसायिक प्रचार में उपयोग और रियल एस्टेट, जुआ तथा ज्योतिष संबंधी वेबसाइटों पर उनके नाम से झूठे विज्ञापन चलाए जा रहे हैं।

अदालत का अवलोकन:

अदालत ने कई महत्वपूर्ण टिप्पणियाँ कीं 

·         प्राथमिक दृष्टया उल्लंघन: किसी व्यक्ति की आवाज़ की एआई-आधारित क्लोनिंग या चित्र/व्यक्तित्व (जैसे आशा भोसले की आवाज़ या सुनील शेट्टी की छवि) का बिना अनुमति उपयोग प्राथमिक दृष्टया व्यक्तित्व एवं प्रचार अधिकारों का उल्लंघन माना गया।

·         अपूरणीय क्षति: अदालत ने कहा कि इस तरह का दुरुपयोग किसी सेलिब्रिटी की प्रतिष्ठा, सद्भावना और गरिमा को अपूरणीय क्षति पहुँचा सकता है। अतः ऐसे मामलों में त्वरित राहत (यहां तक कि एकतरफा आदेश के रूप में) उचित है।

·         निषेधाज्ञा का दायरा: प्रतिवादियों को सेलिब्रिटी की पहचान के किसी भी तत्व (जैसे आवाज़, हावभाव, व्यक्तित्व आदि) को व्यावसायिक या व्यक्तिगत लाभ के लिए बिना सहमति उपयोग करने से रोका गया

·         प्लेटफ़ॉर्म की जवाबदेही: सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स, वेबसाइटों और इंटरमीडियरीज़ को निर्देश दिया गया कि वे उल्लंघनकारी सामग्री हटाएँ, एक्सेस अवरुद्ध करें और अपराधियों की पहचान में मदद के लिए लॉग/डेटा साझा करें।

·         नैतिक अधिकारों की मान्यता: अदालत ने यह भी स्वीकार किया कि यह मामला कॉपीराइट अधिनियम की धारा 38B के तहत कलाकारों के नैतिक अधिकारों से भी जुड़ा है, जिससे परंपरागत बौद्धिक संपदा अधिकारों के अतिरिक्त सुरक्षा का दायरा बढ़ता है।

व्यक्तित्व अधिकार के बारे में:

व्यक्तित्व अधिकार (Personality Rights) किसी व्यक्ति को उसकी पहचान जैसे नाम, छवि, आवाज़, समानता या विशिष्ट गुणों के अनधिकृत उपयोग से सुरक्षा प्रदान करते हैं, विशेष रूप से जब यह उपयोग व्यावसायिक या दुर्भावनापूर्ण उद्देश्य से किया जाता है। ये अधिकार मुख्य रूप से सार्वजनिक व्यक्तियों और सेलिब्रिटीज़ के लिए महत्वपूर्ण हैं, लेकिन केवल उन्हीं तक सीमित नहीं हैं।

भारत में व्यक्तित्व अधिकारों के लिए कोई स्वतंत्र कानून नहीं है, परंतु इनकी सुरक्षा निम्नलिखित प्रावधानों से प्राप्त होती है

·         संविधान का अनुच्छेद 21: निजता का अधिकार (Right to Privacy)

·         अनुच्छेद 19(1)(a): अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता

·         न्यायिक उदाहरण: जैसे अमिताभ बच्चन और रजनीकांत से संबंधित मामले

·         बौद्धिक संपदा कानून, जिनमें शामिल हैं:

o    ट्रेडमार्क अधिनियम, 1999 (धारा 14)

o    कॉपीराइट अधिनियम, 1957 (धारा 38 – कलाकारों के अधिकार)

o    पासिंग ऑफका दायित्व (Tort of Passing Off): झूठे प्रचार और फर्जी समर्थन को रोकने के लिए

भारतीय न्यायालयों ने इन अधिकारों की सक्रिय रूप से रक्षा की है और एआई जनित सामग्री तथा डीपफेक्स के अनधिकृत उपयोग को रोकने हेतु कई निषेधाज्ञाएँ (injunctions) जारी की हैं।

निष्कर्ष:

बॉम्बे हाई कोर्ट द्वारा लोकप्रिय गायिका आशा भोसले और सुनील शेट्टी के व्यक्तित्व अधिकारों की सुरक्षा का निर्णय डिजिटल युग में सेलिब्रिटीज़ के अधिकारों की रक्षा की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। अदालत ने एआई-आधारित सामग्री के अनधिकृत उपयोग को व्यक्तित्व अधिकारों का उल्लंघन मानते हुए एक महत्वपूर्ण उदाहरण स्थापित की है, जो आने वाले समय में ऐसे मामलों के लिए मार्गदर्शक बनेगी।