संदर्भ:
हाल ही में ग्रामीण विकास और पंचायती राज पर संसद की स्थायी समिति ने एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें राष्ट्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज संस्थान (NIRD&PR) के वर्तमान प्रशासन की "तत्काल समीक्षा और आवश्यकतानुसार परिवर्तन" की सिफारिश की गई है।
· यह संस्थान, जो ग्रामीण विकास मंत्रालय के अधीन एक प्रमुख शोध, प्रशिक्षण और परामर्श केंद्र है, इस समय गंभीर संस्थागत और वित्तीय चुनौतियों से जूझ रहा है। इन समस्याओं का मुख्य कारण केंद्र सरकार द्वारा इसके बजट में की गई अत्यधिक कटौती है, जहां 2024-25 के संशोधित अनुमानों में संस्थान को 73.68 करोड़ रुपये का आवंटन मिला था, वहीं 2025-26 के लिए यह घटाकर सिर्फ 1 लाख रुपये कर दिया गया है।
समिति की सिफारिशें:
इन समस्याओं से निपटने के लिए समिति ने निम्नलिखित सुझाव दिए हैं:
· तत्काल समीक्षा और प्रतिस्थापन: प्रभावी नेतृत्व और संस्थागत स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए वर्तमान प्रशासन की समीक्षा की जानी चाहिए और उसे प्रतिस्थापित किया जाना चाहिए।
· समिति का गठन: प्रशासनिक और शासन संबंधी मामलों की देखरेख के लिए मंत्रालय की देखरेख में एक समिति का गठन किया जाना चाहिए।
· रणनीतिक सहयोग: मंत्रालय को संरचनात्मक सुधारों, विकेन्द्रीकृत निर्णय लेने और बजटीय अनुदान सहायता के पर्याप्त आवंटन के माध्यम से एनआईआरडी और पीआर के साथ गहन रणनीतिक सहयोग स्थापित करना चाहिए।
ग्रामीण विकास मंत्रालय की व्यापक समस्याएं:
यह घटनाक्रम ग्रामीण विकास के क्षेत्र में सामने आ रही कई समस्याओं का हिस्सा है। संसदीय समिति ने मंत्रालय से संबंधित अन्य गंभीर मुद्दों पर भी चिंता जताई है:
- मनरेगा भुगतान में देरी: महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (MGNREGS) के तहत मजदूरी भुगतान में लगातार देरी हो रही है, जिससे ग्रामीण परिवारों को आर्थिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
- बजट का अपूर्ण उपयोग: ग्रामीण विकास मंत्रालय अपने आवंटित बजट का पूरी तरह से उपयोग करने में विफल रहा है। वास्तविक खर्च आवंटन की तुलना में 34.82% कम रहा है।
- ग्रामीण सड़कों की खराब गुणवत्ता: प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY) के अंतर्गत बनने वाली सड़कों की गुणवत्ता पर सवाल उठे हैं। समिति ने इन सड़कों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए कड़े उपायों की सिफारिश की है।
NIRD&PR के बारे में:
राष्ट्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज संस्थान (NIRD&PR) ग्रामीण विकास मंत्रालय के अधीन एक स्वायत्त संस्था है।
· यह संस्थान ग्रामीण विकास और पंचायती राज से जुड़े शोध, प्रशिक्षण और परामर्श कार्यों में प्रमुख भूमिका निभाता है।
· NIRD&PR विभिन्न हितधारकों की क्षमता विकास में सहायक होता है — जिनमें सरकारी अधिकारी, चुने गए प्रतिनिधि, NGO और अन्य संगठन शामिल हैं।
· इसकी स्थापना 1958 में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ कम्युनिटी डेवलपमेंट (NICD) के रूप में हुई थी। बाद में इसका नाम बदलकर NIRD और फिर 2014 में वर्तमान नाम NIRD&PR रखा गया।
निष्कर्ष:
संसदीय समिति की ये सिफारिशें ग्रामीण विकास योजनाओं में सशक्त संचालन और संस्थागत स्थिरता की आवश्यकता को दर्शाती हैं। सरकार को इन सुझावों को गंभीरता से लेते हुए, NIRD&PR और अन्य ग्रामीण योजनाओं में आवश्यक सुधारों को तुरंत लागू करना चाहिए, ताकि इन योजनाओं का वास्तविक लाभ देश के ग्रामीण समुदायों तक पहुंच सके।