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Blog / 12 Nov 2025

भारत में पोषण-परिवर्तन: चुनौतियाँ और अवसर | Dhyeya IAS

संदर्भ:

हाल के वर्षों में भारत में पोषण परिवर्तन को लेकर चर्चा तेज़ हुई है। इसका मुख्य कारण कार्यात्मक खाद्य पदार्थों और स्मार्ट प्रोटीन का तेजी से उभरना है। सरकार अब पारंपरिक खाद्य सुरक्षा से आगे बढ़कर पोषण सुरक्षा की दिशा में कदम बढ़ा रही है। इसके लिए बायोई3 नीति ढांचे के तहत जैव प्रौद्योगिकी आधारित समाधानों को अपनाने की कोशिश की जा रही है।

कार्यात्मक खाद्य पदार्थों के बारे में:

कार्यात्मक खाद्य पदार्थ ऐसे खाद्य उत्पाद होते हैं जिन्हें इस तरह समृद्ध किया जाता है कि वे न केवल शरीर को ऊर्जा दें, बल्कि स्वास्थ्य में सुधार करें और बीमारियों से बचाव में भी मदद करें। इनके उदाहरणों में विटामिन से युक्त चावल और ओमेगा-3 से समृद्ध दूध शामिल हैं।

इस क्षेत्र की प्रगति में कई आधुनिक तकनीकें योगदान दे रही हैं, जैसे:

        न्यूट्रिजेनोमिक्स (Nutrigenomics): यह अध्ययन करता है कि भोजन हमारे जीन के साथ कैसे प्रभाव डालता है।

        जैव-सुदृढ़ीकरण (Bio-fortification): फसलों के पोषक तत्वों की मात्रा को वैज्ञानिक तरीकों से बढ़ाना।

        3D फूड प्रिंटिंग और बायोप्रोसेसिंग: उन्नत तकनीक की मदद से खाद्य पदार्थों को अधिक पौष्टिक और विविध रूपों में तैयार करना।

Functional foods and their impact on health | Journal of Food Science and  Technology

स्मार्ट प्रोटीन के बारे में:

स्मार्ट प्रोटीन ऐसे प्रोटीन हैं जो पारंपरिक पशु उत्पादों के स्थान पर जैव-प्रौद्योगिकी की मदद से तैयार किए जाते हैं। इनके प्रमुख प्रकार इस प्रकार हैं:

        पादप-आधारित प्रोटीन (Plant-based proteins): फलियों, अनाजों और तिलहनों से तैयार किए जाते हैं ताकि वे मांस या डेयरी उत्पादों जैसा अनुभव दें।

        किण्वन से बने प्रोटीन (Fermentation-derived proteins): सूक्ष्मजीवों की सहायता से उत्पादित किए जाते हैं, जो उच्च गुणवत्ता वाले प्रोटीन का स्रोत बनते हैं।

        संवर्धित मांस (Cultivated meat): पशु कोशिकाओं को बायोरिएक्टर में विकसित कर तैयार किया जाता है, जिससे मांस उत्पादन के लिए पशुओं का वध नहीं करना पड़ता।

भारत को पोषण सुरक्षा की आवश्यकता क्यों है?

भारत में पोषण की स्थिति अभी भी असमान है। देश में हर तीन में से एक बच्चा कुपोषण का शिकार है, जबकि वयस्कों में प्रोटीन के सेवन को लेकर शहर और गाँवों के बीच बड़ा अंतर देखा जाता है। जैसे-जैसे लोगों की आय बढ़ रही है, यह आवश्यक है कि भोजन केवल पेट भरने वाला न होकर शरीर को पोषण देने वाला भी हो।

        पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करना: पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन, एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन उपलब्ध कराना, स्वास्थ्य, मानव विकास और पर्यावरणीय संतुलन के लिए अत्यंत आवश्यक है। इससे न केवल लोगों का जीवन स्तर सुधरेगा, बल्कि सतत विकास के लक्ष्यों को भी बल मिलेगा।

भारत की वर्तमान स्थिति:

भारत ने बायोई3 नीति के तहत पोषण परिवर्तन से जुड़े इन क्षेत्रों को औपचारिक मान्यता दी है। (जैव प्रौद्योगिकी विभाग) डीबीटी और बीआईआरएसी जैसी सार्वजनिक संस्थाएँ अनुसंधान और नवाचार को वित्तीय सहायता प्रदान कर रही हैं, जबकि टाटा, आईटीसी और मैरिको जैसी निजी कंपनियाँ पोषक-संवर्धित (फोर्टिफाइड) खाद्य पदार्थों और स्वास्थ्य-केंद्रित उत्पादों में निवेश कर रही हैं। स्मार्ट प्रोटीन का पारिस्थितिकी तंत्र भी तेज़ी से विकसित हो रहा है, वर्ष 2023 में 70 से अधिक ब्रांडों ने 377 पादप आधारित या संवर्धित प्रोटीन उत्पाद लॉन्च किए।

कार्यात्मक खाद्य पदार्थों की प्रमुख चुनौतियाँ:

        नवाचार में धीमी गति और नियामक ढाँचे की कमी

        गलत लेबलिंग या असत्यापित उत्पादों की समस्या

        प्रयोगशाला में बने खाद्य पदार्थोंके प्रति उपभोक्ताओं का अविश्वास

संभावित समाधान:

        नवीन खाद्य पदार्थों के लिए एफएसएसएआई के अंतर्गत एक सशक्त राष्ट्रीय नियामक ढाँचा तैयार करना

        विभिन्न मंत्रालयों के बीच बेहतर समन्वय और सार्वजनिक-निजी भागीदारी को प्रोत्साहित करना

        कार्यबल को प्रशिक्षित करना और जनता को पोषण एवं जैव-प्रौद्योगिकी के प्रति जागरूक बनाना

        किसानों को नई मूल्य श्रृंखलाओं में शामिल कर इस परिवर्तन के लाभ समाज के सभी वर्गों तक पहुँचाना

बायोई3 नीति के बारे में:

        अगस्त 2024 में स्वीकृत बायोई3 (अर्थव्यवस्था, पर्यावरण और रोज़गार के लिए जैव प्रौद्योगिकी) नीति भारत की पहली व्यापक जैव-प्रौद्योगिकी नीति है।

        इसका मुख्य उद्देश्य उच्च-प्रदर्शन जैव-विनिर्माण और जैव-अर्थव्यवस्था के विकास को गति देना है।

        यह नीति जैव-आधारित उत्पादों के निर्माण में नवाचार को प्रोत्साहित करने, खाद्य सुरक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार लाने तथा जैव-विनिर्माण और जैव-एआई हब जैसी पहलों के माध्यम से पर्यावरणीय स्थिरता को सशक्त बनाने पर केंद्रित है।

निष्कर्ष:

भारत इस समय एक व्यापक पोषण परिवर्तन की स्थिति में है। यदि उचित नीतियाँ, पर्याप्त निवेश और प्रभावी जनशिक्षा प्रणाली लागू की जाए, तो कार्यात्मक खाद्य पदार्थ और स्मार्ट प्रोटीन न केवल जनस्वास्थ्य में उल्लेखनीय सुधार लाएँगे, बल्कि नए रोज़गार अवसरों का सृजन करेंगे और भारत को सतत पोषण के क्षेत्र में एक वैश्विक अग्रणी देश के रूप में स्थापित कर सकते हैं।