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Blog / 30 Jun 2025

एनएसओ सांख्यिकीय रिपोर्ट 2025

संदर्भ:

सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) के तहत राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट "कृषि और संबद्ध क्षेत्रों से उत्पादन के मूल्य पर सांख्यिकीय रिपोर्ट (2011–12 से 2023–24)" जारी की है।

         यह रिपोर्ट देश में फसलों, पशुपालन, जंगल और मछली पालन से जुड़ी जानकारी देती है, जो वर्तमान और स्थिर (2011–12 को आधार वर्ष मानते हुए) कीमतों पर आधारित है।

रिपोर्ट की मुख्य बातें:

         जीवीए और जीवीओ में वृद्धि: वर्तमान कीमतों पर कृषि और संबद्ध क्षेत्रों का सकल मूल्य वर्धन (GVA) 2011–12 में ₹1,502 हजार करोड़ से बढ़कर 2023–24 में ₹4,878 हजार करोड़ हो गया।
स्थिर कीमतों पर सकल उत्पादन मूल्य (GVO) में 54.6% की निरंतर वृद्धि दर्ज की गई, जो ₹2,949 हजार करोड़ तक पहुँच गया।

         फसल क्षेत्र का प्रभुत्व: फसल क्षेत्र कृषि GVO में सबसे बड़ा योगदानकर्ता बना रहा। 2023–24 में इसका उत्पादन (स्थिर कीमतों पर) ₹1,595 हजार करोड़ रहा, जो कुल कृषि GVO का 54.1% है।
इसमें अनाज और फल-सब्जियाँ मिलकर कुल फसल उत्पादन का 52.5% हिस्सा रखते हैं। केवल धान और गेहूँ ने अनाज GVO में लगभग 85% का योगदान दिया।

         अनाज उत्पादन में क्षेत्रीय रुझान: उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पंजाब, तेलंगाना और हरियाणा ये पाँच राज्य मिलकर 2023–24 में देश के कुल अनाज GVO में लगभग 53% का योगदान करते हैं।
हालाँकि उत्तर प्रदेश अब भी पहले स्थान पर है, लेकिन उसकी हिस्सेदारी 2011–12 में 18.6% से घटकर 2023–24 में 17.2% रह गई है।

         फलों और सब्जियों की बदलती स्थिति: 2023–24 में फलों के वर्ग में केले ने आम को पीछे छोड़ते हुए सबसे बड़ा योगदानकर्ता बन गया। केले का GVO ₹47.0 हजार करोड़ जबकि आम का GVO ₹46.1 हजार करोड़ रहा। पूरे कालखंड में आलू प्रमुख सब्जी बना रहा, जिसका उत्पादन मूल्य ₹21.3 हजार करोड़ से बढ़कर ₹37.2 हजार करोड़ हो गया। फूलों की खेती (फ्लोरीकल्चर) में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई, और इसका उत्पादन मूल्य लगभग दोगुना होकर ₹28.1 हजार करोड़ हो गया, जो उच्च-मूल्य horticulture की ओर झुकाव को दर्शाता है।

         मसालों का उभार: मध्य प्रदेश 2023–24 में 19.2% हिस्सेदारी के साथ मसाले उत्पादन में अग्रणी राज्य बना। कर्नाटक (16.6%) और गुजरात (15.5%) इसके बाद रहे, जो मसाला खेती में क्षेत्रीय विविधता को दर्शाता है।

         पशुधन क्षेत्र का विस्तार: पशुधन उत्पादों के GVO में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई, जो 2011–12 में ₹488 हजार करोड़ से बढ़कर 2023–24 में ₹919 हजार करोड़ हो गया। दूध अब भी सबसे बड़ा उत्पाद है, हालाँकि इसकी हिस्सेदारी थोड़ी घटकर 67.2% से 65.9% हो गई।
मांस उत्पादों की हिस्सेदारी 19.7% से बढ़कर 24.1% हो गई, जो देश में पशु-प्रोटीन की बढ़ती मांग को दर्शाता है।

         वानिकी और लकड़ी उत्पादन के रुझान: वानिकी उत्पादन में भी वृद्धि हुई है, जो ₹149 हजार करोड़ से बढ़कर ₹227 हजार करोड़ हो गया। औद्योगिक लकड़ी का योगदान 49.9% से बढ़कर 70.2% हो गया, जिससे इसके उपयोग में हो रहे बदलाव का संकेत मिलता है।

         मत्स्य पालन का बढ़ता महत्व: मत्स्य पालन और जलीय कृषि का महत्व तेजी से बढ़ा है। कृषि GVO में इनका हिस्सा 2011–12 में 4.2% से बढ़कर 2023–24 में 7% हो गया। विशेष रूप से, समुद्री मछलियों की हिस्सेदारी 42.3% से बढ़कर 49.8% हो गई, जबकि अंतर्देशीय मछलियों की हिस्सेदारी में अनुपातिक कमी आई। इस क्षेत्र में प्रमुख उत्पादन बदलाव पश्चिम बंगाल और आंध्र प्रदेश में दर्ज किए गए।

निष्कर्ष:

यह रिपोर्ट भारत के कृषि क्षेत्र की निरंतर प्रगति और उसके बदलते स्वरूप को दर्शाती है। बागवानी, पशुधन और मत्स्य पालन की बढ़ती हिस्सेदारी उपभोग के नए रुझानों और कृषि के व्यावसायिक अवसरों की ओर संकेत करती है। रिपोर्ट में प्रस्तुत आंकड़े ऐसी नीतियाँ बनाने में सहायक सिद्ध हो सकते हैं जो किसानों की आय बढ़ाएँ, खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करें और ग्रामीण क्षेत्रों में टिकाऊ विकास को प्रोत्साहित करें।